tag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post3667495285621833144..comments2024-02-02T07:56:26.618+05:30Comments on दर्पण के टुकड़े: देखिये अब कौन रह पाता है अपने होश मेंKrishan lal "krishan"http://www.blogger.com/profile/12663970434075261890noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post-3275923110866221192012-01-29T18:41:19.778+05:302012-01-29T18:41:19.778+05:30nice gazal bhai sahab......
jo dil pe lag jae vhi...nice gazal bhai sahab...... <br />jo dil pe lag jae vhi bat hoti he,<br />ye dil kisi radif ko nhi janta.....Manmoujihttps://www.blogger.com/profile/00020908922683682434noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post-39283127080948996252008-03-03T13:12:00.000+05:302008-03-03T13:12:00.000+05:30नीरज जी, आप का कहना बिल्कुल सही है। रदीफ के नियम क...नीरज जी, <BR/>आप का कहना बिल्कुल सही है। रदीफ के नियम की अवहेलना हूई है। मैने नया मतला डाल कर उसे ठीक भी कर दिया है । शायद अब आपको ठीक लगे।<BR/>हर चीज को सहज लेने वालों से अक्सर कुछ नियमों की अवहेलना हो जाती है। कभी जानकारी के अभाव मे और कभी सब चलता है मान कर्। आइन्दा पूरा धयान रखने की कोशिश करुंगा।<BR/><BR/>शेर पसन्द करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया<BR/>आप जैसे पाठक का मेरे ब्लाग पे आना सौभाग्य की बात है<BR/>कृप्या स्नेह बनाये रखेंKrishan lal "krishan"https://www.blogger.com/profile/12663970434075261890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post-18990506336065558292008-03-03T02:51:00.000+05:302008-03-03T02:51:00.000+05:30कृष्ण लालजी,मैने आपकी कई गजलों में देखा है कि आप म...कृष्ण लालजी,<BR/>मैने आपकी कई गजलों में देखा है कि आप मतले की दोनो पंक्तियों में रदिफ़ (इस गजल में "अभी अभी") का इस्तेमाल नहीं करते हैं । जबकि गजल के नियम के हिसाब से मतले की दोनो पंक्तियों में रदिफ़ आना चाहिये । आपका शब्दकोष और ख्याल दोनों बहुत समृद्ध हैं इसीलिये थोडे से प्रयास से आप ऐसा कर सकते हैं । गजल के नियम से चलने से उसकी खूबसूरती कई गुना अपने आप बढ जायेगी ।<BR/><BR/>आपकी इस रचना में मेरा पसंदीदा शेर है:<BR/><BR/>अब वो समझ जायेगा,क्या है प्यार,क्या वफा<BR/>खुली है नींद, टूटा है उसका ख्वाब अभी अभी<BR/><BR/>बार बार पढने का मन कर रहा है इस शेर को ...<BR/><BR/><BR/>साभार,<BR/>नीरजNeeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com