tag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post5523552784618054820..comments2024-02-02T07:56:26.618+05:30Comments on दर्पण के टुकड़े: Krishan lal "krishan"http://www.blogger.com/profile/12663970434075261890noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-3539949369988561892.post-55648265117326487882009-04-18T22:29:00.000+05:302009-04-18T22:29:00.000+05:30आप कहते हैं.
"क्या लिखा किताबों में, उसकी तो तुम...आप कहते हैं. <br /><br />"क्या लिखा किताबों में, उसकी तो तुम जानों। मैं तो वो कहता हूँ जो मैंने गुजारा है। इन्हें गीत, गज़ल, कविता जो चाहे तुम समझो। मैने तो, दिल का दर्द कागज़ पे उतारा है।"<br /><br />क्षमा करेंगे. अब इस कविता में तो आपका दर्द दुःख का कम हास्य का पात्र अधिक लगता है.कौतुक रमणhttps://www.blogger.com/profile/16041471462244478785noreply@blogger.com