आगाज से अंजाम का अंदाजा लगता ही नही
मंजिल कहीं होती है और राहें ले जाती हैं कहींख्वाहिशो के अंकुरित होने पे खुश क्या होईये
पौधा कभी बनती नही फल कभी लगते नही
वो आदतन ही मुस्कराता है तो क्या पता चले
कौन सी मुस्कान उसकी प्यार है कौन सी नहीं
अब ऐसे मेहरबां से फरमाइश करें तो क्या करें
जो जब भी कुछ मांगो तो कहता है नहीं अभी नही
उम्र सारी गुजार दी और कुछ ना हासिल कर सके
सोचते भर रह गए क्या गलत है और क्या सही
2 comments:
आगाज से अंजाम का अंदाजा लगता है नही
मंजिल कहीं होती है और राहें ले जाती हैं कहीं
ख्वाहिशो के अंकुरित होने पे खुश क्या होईये
पौधा कभी बनती नही फल कभी लगते नही
वो आदतन ही मुस्कराता है तो क्या पता चले
कौन सी मुस्कान उसकी प्यार है कौन सी नहीं
अब ऐसे मेहरबां से फरमाइश करें तो क्या करें
जो जब भी कुछ मांगो तो कहता है नहीं अभी नही
उम्र सारी गुजार दी और कुछ ना हासिल कर सके
सोचते भर रह गए क्या गलत है और क्या सही
अति सुन्दर रचना
arshaad alii ji dhanywaad rachnaa ko pasamd karne ke liye
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