Tuesday, July 28, 2009

प्यार करते हो तो सरेआम कहो करते हैं


प्यार में दर्द का अहसास ही कब होता है
प्यार जब आधा अधूरा हो ये तब होता है

दर्द जब हद में रहे तब ये रूलाता है बहुत
दर्द जब हद से गुजर जाये दवा होता है

प्यार तड़पाता,रुलाता है,सताता है बहुत
प्यार जो अपने ही दायरों मे घिरा होता है

प्यार जब हद से गुजर जाये तो फिर क्या कहना
प्यार में सारे जमाने का मजा होता है

प्यार में रोने रूलाने का चलन है तब तक
जब ये अपनी ही जंजीरो मे बंधा होता है

अपने संस्कारो की जंजीरे जरा तोड़ के देख
अपने दायरों से निकल अहम जरा छोड़ के देख

प्यार करते हो तो सरे आम कहो करते हैं
यार से साफ कहो तुम पे बहुत मरते हैं

कोई भी अहम तूँ आड़े ना आने दे कभी
रूठ के प्यार को तूँ दूर ना जाने दे कभी

खा कसम  डर या वहम दिल मे ना तेरे आयेगा
तूँ कदम आगे बढा जहाँ खुद पीछे ह्ट जायेगा

हाँ ये हो सकता है कुछ चर्चे रहें दो चार दिन
इससे ज्यादा तूँ बता कि और क्या हो जायेगा

थोडी ताकत थोड़ी सी हिम्मत जुटानी है तुम्हें
प्यार तेरी सारी दुनियां को हसीं कर जायेगा

वो कहेगा कब कहेगा इसका ना इंतजार कर
तुम कहोगे पहले तो इसमें तेरा क्या जायेगा

तेरे दामन के पकड़ने में ही दिखती ढील है
वरना क्या हिम्मत जो वो दामन छुड़ा ले जायेगा

1 comment:

ओम आर्य said...

khubsoorat rachcna.....sundar