जागती आन्खे बन्द कर सपने देखने का मै आदी नहीं
चाहो तो कह सकते हो मै तुम सा आशावादी नहीं
जब तक शीशा देखा ही नहीं क्या पता कि सूरत कैसी है
कागज पे उतारो तो जाने मन मे बसी मूरत कैसी है
ऐसा वैसा जैसा भी है सच तुम्हे मानना ही होगा
आज नहीं तो कल इस नगें सच का सामना भी होगा
यथार्थ को तुम निराशा कहो ये बात समझ मे आती नही
बन्द आँख कर लेने पर बिल्ली क्या कबूतर खाती नही
बेहतर है कबूतर उड जाये और उड कर जान बचा डाले
या फिर चोन्चे मार मार बिल्ली को घायल कर डाले
सच देख के आन्खे बन्द ना कर सच सच है ये सच मान ले तूँ
हो सके तो सच को लड़ के जीत क्यों उसको नियति मान ले तूँ
जीवन है अगर संग्राम तो फिर तुम मरोगे या तो मारोगे
और जीवन है संघर्ष तो फिर तुम जीतोगे या हारोगे
इस जंग से बच सकते ही नहीं या झुकना है या झुकाना है
हारे तो समर्पण करना है जीते तो फिर करवाना है
हार को समझौते का नाम देकर इस जीत का रंग ना दो
हार गये तो हार गये इस हार से क्या घबराना है
हार भी सच है जीत भी सच है झूठ सिर्फ समझौता है
आँखे बन्द कर ख्वाब देखना आशावाद कब होता है
आशावाद तो लडना है जब तक जीत नहीं होती
समझौता घुटने टेकना है बाद इसके जीत कहाँ होती
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