ना सुख में साथ देना ना दुःख में काम आना
कभी करना ये बहाना कभी करना वो बहाना
बने दोस्त हो तो दोस्तों की तरह पेश आओ
क्यों हो ऐसे पेश आते जैसे आता है जमाना
उसे दोस्ती के काबिल मिलेगा कहाँ से कोई
देने से पेशतर जो हर वक्त चाहे पाना दिया
दोस्ती में जो भी दिया तोल तोल कर के
हर वक्त का तराजू नही प्यार का निभाना
लिए बैठा खुद समुंदर की प्यास अपने दिल में
कभी करना ये बहाना कभी करना वो बहाना
बने दोस्त हो तो दोस्तों की तरह पेश आओ
क्यों हो ऐसे पेश आते जैसे आता है जमाना
उसे दोस्ती के काबिल मिलेगा कहाँ से कोई
देने से पेशतर जो हर वक्त चाहे पाना दिया
दोस्ती में जो भी दिया तोल तोल कर के
हर वक्त का तराजू नही प्यार का निभाना
लिए बैठा खुद समुंदर की प्यास अपने दिल में
चाहता दो बूँद से है प्यास दोस्त की बुझाना
बेहतर है दोस्ती में, ना रहे तराजू शामिल
हो अगर तो उसमे हरगिज पासंग नही लगाना
सदा सोचता रहा ये क्या मिला है दोस्तों से
ये हिसाब दोस्ती में नही होता है लगाना
हर बात दोस्त की तो तुझे नागवार गुजरी
वाजिब था कितना तेरा. दिल दोस्त का दुखाना
1 comment:
bahut badia krishna ji... bahut gehrai h is kavita me..
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