इतना भी किसी को न चाहो खुद जान पे अपनी बन आये
ये इश्क कहीं खुद तेरे लिए ना कोई मुसीबत बन जाए
चाहत को चाहत रहने दो और इतना ध्यान रहे हरदम
बढ़ते बढ़ते इतनी ना बढे ना मिले तो आफत हो जाए
ये इश्क खुदा क़ी देन तो है लेकिन उस देन से क्या हासिल
आंचल में समाते ही जिसके आँचल सारा कट फट जाए
देने को तो दे दू नाम कोई तेरे चाहत के रिश्ते को
डरता हूँ कहीं चाहत तेरी बदनाम ना मुफ्त ही हो जाए
यार से इतने शिकवे गिले ये तो कोई अच्छी बात नहीं
ये शिकवे गिले बढ़ते बढ़ते ना तर्क -ऐ- मोहब्बत हो जाए
ये इश्क कहीं खुद तेरे लिए ना कोई मुसीबत बन जाए
चाहत को चाहत रहने दो और इतना ध्यान रहे हरदम
बढ़ते बढ़ते इतनी ना बढे ना मिले तो आफत हो जाए
ये इश्क खुदा क़ी देन तो है लेकिन उस देन से क्या हासिल
आंचल में समाते ही जिसके आँचल सारा कट फट जाए
देने को तो दे दू नाम कोई तेरे चाहत के रिश्ते को
डरता हूँ कहीं चाहत तेरी बदनाम ना मुफ्त ही हो जाए
यार से इतने शिकवे गिले ये तो कोई अच्छी बात नहीं
ये शिकवे गिले बढ़ते बढ़ते ना तर्क -ऐ- मोहब्बत हो जाए
1 comment:
V.nice
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