जिस तरफ भी देखिये
मचा हुआ धमाल है
सुनते है कि आने वाला कोई नया साल है
लेकिन दिल से पूछीये
कि इसमे कुछ नया है क्या
जो था पहली जनवरी, दिसंबर भी तो
वही हाल है
बेवफाई, बेहयाई मतलब से बनती यारियां
कुछ भी तो बदला नही ये दिल मे मेरे मलाल है
पेहले भी
भ्र्ष्टाचार था अब भी भ्ष्टाचार है ,
आज भी तो औरतो पे होता बलात्कार है
पेहले कोई विरला
रावण या दुशासन था कोई
अब तो जिधर देखीये, इन्ही की भरमार है
जी नही रहे है अब तो
सिर्फ पी रहे है लोग
पीने को ही खुशी समझ पी के जी रहे है लोग
पांव थिरके है तो
कुछ दिल भी थिरकना चाहिये
दूजे के होन्ठो पे भी हसी को बिखरना चाहिये
खुद ही नाचे खुद ही
झूमे खुद मनायी हर खुशी
उन की भी सोची जिन्दगी जिनके लिये जन्जाल है
आया है तो जायेगा ये
कौन बडी बात है
किस बात की खुशी है फिर किस बात का मलाल है
वक्त चलता जा रहा
यही सोचने का वक्त है
जो भी ठहरा रह गया वो सिर्फ
कमबख्त है
तुम बदलते मै बदलता
तब तो कोई बात थी
क्या हुआ जो बदल गया और एक साल है
आप चाहे कुछ कहो मुझ
को तो लगता है ये
पियक्कडों की पीने पिलाने की ये कोई चाल है
क्या हुआ जो बदल गया एक और साल है
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