इस से रिश्ता उस से नाता तहेदिल से निभाते रहे
हम खोटे सिक्को का वज़न बेवज़ह उठाते रहे
ज़िन्दगी की गाड़ी थी , अकेले ही चलती रही
सवारी की तरह दोस्त थे आते रहे जाते रहे
एक तुम ही थे हमें जिससे कुछ उम्मीद थी
तुम भी पर तब तक चले जब तक हम चलाते रहे
घाव मैं दिल के दिखाता भी तो दिखलाता किसे
सब के सब हाथो में नश्तर और नमक लाते रहे
एक हम थे अपना घर फूँका कि हो कुछ रौशनी
एक वो थे हाथ सेंक अपने घर जाते रहे
ना रही अब जिस्म में ताकत ना पैसा जेब में
बारी बारी पल्ला सब बहाने से छुड़ाते रहे
हीरे मोती से तेरा दामन था भर सकता मगर
तुम क्यों कंकर पथ्थरो से जी को बहलाते रहे
आज भी आदम का बच्चा उतना ही नासमझ है
लाखों रहनुमा भले इसको समझाते रहे
हम खोटे सिक्को का वज़न बेवज़ह उठाते रहे
ज़िन्दगी की गाड़ी थी , अकेले ही चलती रही
सवारी की तरह दोस्त थे आते रहे जाते रहे
एक तुम ही थे हमें जिससे कुछ उम्मीद थी
तुम भी पर तब तक चले जब तक हम चलाते रहे
घाव मैं दिल के दिखाता भी तो दिखलाता किसे
सब के सब हाथो में नश्तर और नमक लाते रहे
एक हम थे अपना घर फूँका कि हो कुछ रौशनी
एक वो थे हाथ सेंक अपने घर जाते रहे
ना रही अब जिस्म में ताकत ना पैसा जेब में
बारी बारी पल्ला सब बहाने से छुड़ाते रहे
हीरे मोती से तेरा दामन था भर सकता मगर
तुम क्यों कंकर पथ्थरो से जी को बहलाते रहे
आज भी आदम का बच्चा उतना ही नासमझ है
लाखों रहनुमा भले इसको समझाते रहे
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