लाख समझाया तुझे पर तू ना मानी जिंदगी
अब देख तू किस मोड़ पर आकर खडी है जिंदगी
तूफान के आगे तुझे झुकना सिखाया था कभी
वक्त देख कर तुझे बचना सिखाया था कभी
पर पेड़ की तरह तू कुछ और भी तनती गयी
बात बिगड़ती गयी तूने समझा कि बनती गयी
वापिस तुरन्त हो जाइये जो कोई कदम गलत उठे
मंजिले खो जायेगी अगर आगे यूँ बढ़ती रही
अब देख तू किस मोड़ पर आकर खडी है जिंदगी
तूफान के आगे तुझे झुकना सिखाया था कभी
वक्त देख कर तुझे बचना सिखाया था कभी
पर पेड़ की तरह तू कुछ और भी तनती गयी
बात बिगड़ती गयी तूने समझा कि बनती गयी
वापिस तुरन्त हो जाइये जो कोई कदम गलत उठे
मंजिले खो जायेगी अगर आगे यूँ बढ़ती रही
No comments:
Post a Comment