क्या खबर थी ये अकेलापन हमें भा जायेगा
जीने को तो बिन तेरे भी जी ली हमने जिन्दगी
गम ये है कि कद तेरा बौना नजर अब आयेगा
सात जन्मों तक के रिश्ते की है करता बात क्या
इतना सोच इस जन्म तक कैसे ये निभ पायेगा
लादना अब छोड़ दे औरो पे अपनी सीख तूँ
कौन मानेगा तेरी और तुझसा कौन हो जायेगा
मन्जिलें तो मन मे सबके पहले से हैं बनी हुई
फिर तेरी खातिर कौन अपनी राह बदल पायेगा
ना प्यार ना हमदर्दी है, सब कुछ दिखावा है यहाँ
जितना जल्दी समझेगा तू उतना ही सुख पायेगा
अपने अपने तर्क सब ने गढ लिये अपने लिये
करना है सब ने वही जो रास जिसको आयेगा
12 comments:
बढिया रचना है बधाई।
लादना अब छोड़ दे औरो पे अपनी सीख तूँ
कौन मानेगा तेरी और तुझसा कौन हो जायेगा
-बढिया.
ना प्यार ना हमदर्दी है केवल दिखावा है यहाँ
जितना जल्दी समझेगा उतना ही सुख पायेगा
yah pankti jiwan ke bahut hi karib hai ........ya yo kahe meri jindagi me aise lo ka sumar raha hai ki har ek pal ise jiya hai.....
uttam
ati uttam !
सुंदर रचना के लिए बधाई!
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
Param jit ji
aap kaa bahut bahut shukriya rachna ko pasand karne ke liye. Kripya aate rahiye.
Samir ji
aap ki tippani kaa hamesha intzaar rehtaa hai. Dhanyavaad.
Om Ji
Zindgi sachmuch hasin hai aur agar nahi bhi hai to ise banayaa janaa chaahiye. Maine kuchh din pehle likha tha
jo bhi chahe tu manzil chun jo bhi chahe tu sapne bun
Jo theek lage so karta ja na iski sun na uski sun.
Albela ji
aapne ek shabad me bahut kuchh kah diya. Dhanyaavaad.
Dwivedi ji
Aap mere blog par aaye, rachna ko pasand kiyaa. Aap ka abhari hun. Aap aate rehenge to achhaa lagega. Dhanyavaad.
गम ये है कि कद तेरा बौना नजर अब आयेगा
ये पंक्ति भा गई , वाह
शारदा अरोड़ा जी
आप का ब्लाग पर आने का हर्दिक स्वागत एवं बहुत बहुत शुक्रिया
आप ने गजल की जो पक्तियां पसन्द की हैं वो वास्तव मे जीवन के कटु अनुभवों से ली गयी हैं
ब्लाग पर आते रहेंगे तो अच्छा लगेगा धन्यवाद्।
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