जिन्दगी ने कल हमें फिर और इक झटका दिया
वक्त ने फिर हम पे बन्द इक और दरवाजा किया
जिसकी नजरों में, तमन्ना थी कि मेरा कद बढे
उसी की नजरों में गिरा मुझ को शर्मिन्दा किया
इनायत से ज्यादा यार जब करने लगे शिकायते
समझ लो कि यारी टूटने का वक्त आ गया
जिन्दगी से जब भी कुछ उम्मीद पाने की जगी
वक्त ने लाकर हमें फिर आईना दिखला दिया
क्या मुकद्दर है मेरा और क्या मेरी तकदीर है
सामने थाली रही और अन्दर निवाला ना गया
नाकामियां बदनामियां कुछ और दामन में जुड़ी
जब भी कोई नाकामी कम करने का हौंसला किया
हर शख्स ही मुझ से बड़ा दिखने लगा है आजकल
वक्त मेरे कद को किस हद तक बौना बना गया
मेरे मन दर्पण पे तूने फैंके हैं पत्थर,
मगर टूटने से पहले उस मे अक्स तेरा समा गया
दीवानगी की देख हद खुद टूट कर भी शीशा दिल
अपने हर टुकडे मे तेरा अक्स पूरा बचा गया
वक्त ने फिर हम पे बन्द इक और दरवाजा किया
जिसकी नजरों में, तमन्ना थी कि मेरा कद बढे
उसी की नजरों में गिरा मुझ को शर्मिन्दा किया
इनायत से ज्यादा यार जब करने लगे शिकायते
समझ लो कि यारी टूटने का वक्त आ गया
दोस्त दुश्मन दोनों का हक वक्त ने यूँ किया अदा
पहले मिलाया और फिर मिलते ही उससे जुदा कियाजिन्दगी से जब भी कुछ उम्मीद पाने की जगी
वक्त ने लाकर हमें फिर आईना दिखला दिया
क्या मुकद्दर है मेरा और क्या मेरी तकदीर है
सामने थाली रही और अन्दर निवाला ना गया
नाकामियां बदनामियां कुछ और दामन में जुड़ी
जब भी कोई नाकामी कम करने का हौंसला किया
हर शख्स ही मुझ से बड़ा दिखने लगा है आजकल
वक्त मेरे कद को किस हद तक बौना बना गया
मेरे मन दर्पण पे तूने फैंके हैं पत्थर,
मगर टूटने से पहले उस मे अक्स तेरा समा गया
दीवानगी की देख हद खुद टूट कर भी शीशा दिल
अपने हर टुकडे मे तेरा अक्स पूरा बचा गया
4 comments:
bahut badhiya, maza aagaya
shukriya Chandan ji bahut bahut shukriya. Blog par aate rehiye koshish rehegi aapko santushat karne ki
दोस्त दुश्मन दोनों का हक वक्त ने यूँ किया अदा
पहले मिलाया और फिर मिलते ही उससे जुदा किया
dard me rachana...bahut alag hai...
nidhi ji
shukriya rachna ko pasand karne ke liye
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