मेरी नजरो से खुद को देखो खुद को जानो तुम
तुम सा सुंदर कोई नहीं ये बात मेरी सच मानो तुम
तुम सा सुंदर कोई नहीं ये बात मेरी सच मानो तुम
होंठ गुलाबी नयन शराबी रेशमी जुल्फें काले बाल
बिना पीये ही झूम उठे देखे जो तेरी लहराती चाल
सुडोल बदन नयन नख्श तीखे चहरे पे गज़ब का नूर
ऐसा लगता है धरती पे उतर आयी जन्नत की हूर
चाल चले तो ऎसी जैसे मंद मंद चलती है हवा
मुस्काती है ऐसे जैसे फूल कमल का खिलता हुआ
बिना पीये ही झूम उठे देखे जो तेरी लहराती चाल
सुडोल बदन नयन नख्श तीखे चहरे पे गज़ब का नूर
ऐसा लगता है धरती पे उतर आयी जन्नत की हूर
चाल चले तो ऎसी जैसे मंद मंद चलती है हवा
मुस्काती है ऐसे जैसे फूल कमल का खिलता हुआ
बदन तेरा गदराया जो भी छू ले वो ही तर जाए
इसके बाद क्या उसको फिक्र वो ज़िंदा रहे या मर जाए
एक नजर जो देख ले तुझ को होके रह जाए तेरा
मै भी हुआ दीवाना खुद तो क्या कसूर है तेरा
घर का तेरे पता है लेकिन मन का मुझे पता दे
कौनसा रस्ता सीधे तेरे मन तक जाए बता दे
काश तू कोई दुःख सुख अपना कभी तो मुझ से बांटे
और हटा पौऊ मै तेरी राह से दुःख के कांटे
4 comments:
सुंदर प्रेम की अभिव्यक्ति के साथ साथ कविता एक भावनात्मक रिश्ता भी बखूबी बयाँ कर जाती है...शुभकामनाएँ!!!
खूबसूरती का बढ़िया चित्रण।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सादर वन्दे
हुश्न, प्रकृति और आपकी नज्म का अनूठा संयोग इस रचना को अदभुत बनता है.
रत्नेश त्रिपाठी
बेहतरीन!! वाह!!
मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.
नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
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