किस कद्र तकलीफ दी है जिन्दगी तूने मुझे
अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे
पहले तेरे बिन कभी कोई मुझे भाता न था
अब तुझ से दूर जाने की होने लगी चाहत मुझे
आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत नहीं
कल बहुत महसूस होगी मेरी जरूरत तुझे
पर मुझे अफसोस है तब मैं ना लौट पाऊंगा
सौत की बाहों में जो इक बार चला जाऊंगा
तुमने तो ठुकरा दिया तनहा किया भुला दिया
पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी
तुमने साथ ना दिया तो ना सही मर्जी तेरी
सौत तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी
सौतन के इन्तजार की तारीफ कर सके तो कर
जिस भी पल तूम छोड़ देगी वो मुझे अपनायेगी
छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की नहीं
जानती थी एक दिन तूं खुद उसे दे जायेगी
सौत तेरी हो तो हो पर मेरी महबूबा है वो
मैं भी खुशी से चलूँगा जब वो लेने आयेगी
दर्द तन्हाई का शायद तब तुझे महसूस हो
मैं चला जौउगा जब और तनहा तूं रह जायेगी
तूं सात फेरे में भी अपना बन सकी ना बना सकी
वो एक फेरे में ही मेरी जान तक ले जायेगी
मौत मेरी सौत तेरी बन के जब आ जायेगी
देख लेना उस घड़ी तूं बहुत पछताएगी
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