कौन है वो मेरा क्या है तुम ही कुछ बतलाओ
मेरा होकर भी मेरा नहीं क्या लगता है समझाओ
दूर दूर रहते हैं लेकिन पास पास भी रहते हैं
दिल की सारी बाते अक्सर इक दूजे से कहते हैं
इक दूजे के काँधे पे सर रख कर हम रोये हैं
इक दूजे का हाथ पकड़ अक्सर गलियों में खोये हैं
दिल में समाये हैं हरदम बाहों में समाये कभी नहीं
एक ही थाली ,एक कटोरी इक चम्मच से खाते हैं
इक दूजे के पोंछे आंसू जब भी हम रोयें हैं
घर का मालिक मै हूँ तो वो भी नहीं उसकी चेरी
तुम ही कहो कि कौन है वो और क्या लगती है मेरी
मेरा होकर भी मेरा नहीं क्या लगता है समझाओ
दूर दूर रहते हैं लेकिन पास पास भी रहते हैं
दिल की सारी बाते अक्सर इक दूजे से कहते हैं
इक दूजे के काँधे पे सर रख कर हम रोये हैं
इक दूजे का हाथ पकड़ अक्सर गलियों में खोये हैं
दिल में समाये हैं हरदम बाहों में समाये कभी नहीं
एक ही छत के नीचे अजनबी बन के भी हम सोये हैं
एक ही थाली ,एक कटोरी इक चम्मच से खाते हैं
इक दूजे के पोंछे आंसू जब भी हम रोयें हैं
घर का मालिक मै हूँ तो वो भी नहीं उसकी चेरी
तुम ही कहो कि कौन है वो और क्या लगती है मेरी
1 comment:
Sundar Abhivyakti......Shubhkaamnae!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
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