यार जब दिल मे कोई बस जाये तो क्या कीजीये
दिन रात वो ही याद जब आये तो क्या कीजीये
लोग माहिर हैं भुला देने मे अपने प्यार को
हम से इस तरह ना भूला जाए तो क्या कीजीये
दिल दिया है उसको तो हम जान भी देंगे उसे
इन्तजार उससे ना हो पाये तो क्या कीजीये
धीरे धीरे प्यार दिल मे खुद ही तो उसने भरा
उनके बिंन अब रहा ना जाये तो क्या कीजीये
जो ना हो सकती था हम वो बात करने चल पडे
वो बात अब हमसे नही बन पाए तो क्या कीजीये
कहने को कह्ते है वो ये विश्वास है हम पे बहुत
हर बात पे करते हैं शक तुम ही कहो क्या कीजीये
2 comments:
mat pucho yar bahut kuch hota he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत सुंदर रचना।
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