Monday, August 23, 2010

ये दुनिया है यहाँ पर लूटना फितरत है इंसां की

किसी ने मार के लूटा किसी ने प्यार से लूटा
गरज ये है कि हम को तो सारे संसार ने लूटा

 उसकी हाँ और ना दोनों का मकसद लूटना ही था
कभी इनकार से लूटा कभी इकरार से लूटा

हमारा हक़ था फिर भी न ही सुनने को मिली अक्सर
 कभी हाँ भी अगर की तो उसके इकरार ने लूटा

ये दुनिया है यहाँ पर लूटना फितरत है इन्सां की
अगर दुःख है तो बस इतना कि हमको यार ने लूटा

गिला गैरों से क्या कीजे लगे जब लूटने अपने
हर नातेदार ने लूटा हर रिश्तेदार ने लूटा

अगर पतझड़ में खुशियाँ लुट गयी होती तो क्या गम था
 गिला किस से करे जिसको सदा बहार ने लूटा

 खुदा का शुक्र ना कीजे तो फिर बतलाओ क्या कीजे
 बनाया जिसने इस लायक हमें संसार ने लूटा

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