इस तरह रो के मुझे कोई रुलाता क्यों है
सर्द रातों में मुझे बेवजह जगाता क्यों है
ना तेरे दिल में गुंजाइश है ना तेरे प्यार में दम
बेवज़ह दिल में कोई उम्मीद जगाता क्यों है
मैंने सोचा था तेरे आने से आयेगी बहार
आके आँगन में कोई कांटे बिछाता क्यों है
जिंदगी फिर से इक करवट थी लगी लेने अभी
उसे बिस्तर से कोई नीचे गिराता क्यों है
तेरे आँचल में तो भर सकता हूँ हीरे मोती
चाँद सिक्के मेरी नज़रो से चुराता क्यों है
सर्द रातों में मुझे बेवजह जगाता क्यों है
ना तेरे दिल में गुंजाइश है ना तेरे प्यार में दम
बेवज़ह दिल में कोई उम्मीद जगाता क्यों है
मैंने सोचा था तेरे आने से आयेगी बहार
आके आँगन में कोई कांटे बिछाता क्यों है
जिंदगी फिर से इक करवट थी लगी लेने अभी
उसे बिस्तर से कोई नीचे गिराता क्यों है
तेरे आँचल में तो भर सकता हूँ हीरे मोती
चाँद सिक्के मेरी नज़रो से चुराता क्यों है
1 comment:
waaaaaaahhhhh,
pr last line missing h
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