अब अपनी हार जीत का आखिर हो कैसे फैसला
कभी तुम ने मात खायी कभी हम ही तुम से हार गए
कहाँ मौत में थी ताकत जो बे वक़्त हम को मारे
ये तो ज़िंदगी के गम थे अक्सर जो हमको मार गए
है कौन सा वो इन्सा जो ना टूटा हो कभी भी
कभी गैरो ने तोड़ा उसको कभी अपने चीर फाड़ गए
इस जिंदगी को देखो ना किसी तरह भी सुलझी
जितने भी फलसफे थे जब भी चले बेकार गए
मुझे जीने के सलीके ना सिखाओ कोई यारों
अब तक जो सीखे शायद उसी वज़ह से हार गए
एक दिन भी इसको जीते तो कुछ और बात होती
समझने समझाने में ही हम जिंदगी गुज़ार गए
तुझे पाके आखिर हमने ऐ जिंदगी क्या पाया
मौत को तो पाके एक बार में उस पार गए
कभी तुम ने मात खायी कभी हम ही तुम से हार गए
कहाँ मौत में थी ताकत जो बे वक़्त हम को मारे
ये तो ज़िंदगी के गम थे अक्सर जो हमको मार गए
है कौन सा वो इन्सा जो ना टूटा हो कभी भी
कभी गैरो ने तोड़ा उसको कभी अपने चीर फाड़ गए
इस जिंदगी को देखो ना किसी तरह भी सुलझी
जितने भी फलसफे थे जब भी चले बेकार गए
मुझे जीने के सलीके ना सिखाओ कोई यारों
अब तक जो सीखे शायद उसी वज़ह से हार गए
एक दिन भी इसको जीते तो कुछ और बात होती
समझने समझाने में ही हम जिंदगी गुज़ार गए
तुझे पाके आखिर हमने ऐ जिंदगी क्या पाया
मौत को तो पाके एक बार में उस पार गए
No comments:
Post a Comment