Thursday, January 14, 2010

बेवजह तो दिल धडकता है कहां यूं जोर से

जब से वो हमसे और उनसे हम मिलने लगे
जिन्दगी के सारे मायने ही बदलने लगे

ता उम्र तो अकेले ही तय किया सारा सफर
है खत्म होने को सफर तो हमसफर मिलने लगे

बेवजह तो दिल धडकता है कहां यूं जोर से
दिल की गली से लगता है वो होके गुजरने लगे

यकीनन ही दिन बहारों के कुछ दूर अब नही रहे
उनके घर आने से सारे मौसम बदलने लगे

बेशक कोई नायाब तोहफा खुदा ने अब बख्शा हमें
गैर गुमसुम हो गये जो अपने थे जलने लगे

इतना हसीन हमसफर मिला भी तो किस मोड पर
जब खत्म सफर हो चला दुनिया से हम चलने लगे

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