शायद ये जीत का हुनर उसको खुदा की देंन है
हर एक बाजी जीतता है पहले बाजी हार के
ये नही शतरंज ये तो इश्क की बिसात है
जीती जाती है यहां हर एक बाजी हार के
जान खुद दे दूंगा हंस के कह दो मेरे यार से
आसमां छोटा पड़ेगा इक दिन उसकी परवाज को
बाहर निकलेगा परिंदा जो पिंजरे की दरो दीवार से
छाछ के भी हैं जले नहीं दूध के ही हम जले
हर शै को पीना पड़ता है अब फूंक मार मार के
हर एक बाजी जीतता है पहले बाजी हार के
ये नही शतरंज ये तो इश्क की बिसात है
जीती जाती है यहां हर एक बाजी हार के
जान खुद दे दूंगा हंस के कह दो मेरे यार से
काम नाहक ले रहा क्यों तीर से तलवार से
बाहर निकलेगा परिंदा जो पिंजरे की दरो दीवार से
छाछ के भी हैं जले नहीं दूध के ही हम जले
हर शै को पीना पड़ता है अब फूंक मार मार के
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