प्यार नही करना है तो फिर प्यार जताती क्यों हो
दूर दूर रहना है तो फिर पास में आती क्यों हो
दिल से दिल ही नही मिले तो जिस्म मिलेगे कैसे
नही मिलाना दिल से दिल तो हाथ मिलाती क्यों हो
प्यास बुझाने की तुझ में ना चाहत है ना हिम्मत
प्यास बुझा सकती ही नही तो प्यास जगाती क्यों हो
कोई आस नही होती पूरी तो बहुत निराशा होती
आस नही करनी पूरी तो आस बंधाती क्यों हो
दे सकती हो कोई दवा तो आकर पूछो हाल मेरा
दवा नही देनी तो दर्द भी याद दिलाती क्यों हो
तेरी ही जिद्द थी अपने सब जख्म दिखाऊँ तुझको
देख के अब जख्मों के मेरे नाहक घबराती क्यों हो
दूर दूर रहना है तो फिर पास में आती क्यों हो
दिल से दिल ही नही मिले तो जिस्म मिलेगे कैसे
नही मिलाना दिल से दिल तो हाथ मिलाती क्यों हो
प्यास बुझाने की तुझ में ना चाहत है ना हिम्मत
प्यास बुझा सकती ही नही तो प्यास जगाती क्यों हो
कोई आस नही होती पूरी तो बहुत निराशा होती
आस नही करनी पूरी तो आस बंधाती क्यों हो
दे सकती हो कोई दवा तो आकर पूछो हाल मेरा
दवा नही देनी तो दर्द भी याद दिलाती क्यों हो
तेरी ही जिद्द थी अपने सब जख्म दिखाऊँ तुझको
देख के अब जख्मों के मेरे नाहक घबराती क्यों हो
2 comments:
इसको पढ़कर
मची गुदगुदी
ऐसी मन में,
मज़ा आ गया!
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ"
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
Wah!
Ishq me dard
dard me Haale Dil
bayan karne
jab nikle
taarif hin nikli
unki har lafzo me
chah kar bhi
unke khilaf
kahan lafz nikle.
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