Monday, February 28, 2011

इन तारों को जमीं पे लेन की कोशिश भी मत करना

रही उम्मीद सारी उम्र कि इस बार जीतेंगे
मगर हर बार की तरह हैं हम इस बार भी हारे

 बताये क्या किसी को हाले दिल तुम ही बतलाओ
 किया छलनी जिन्होंने दिल वही मौजूद है सारे

 इन तारों को जमीं पे लाने की कोशिश भी मत करना
 गगन में ही चमकते अच्छे लगते चाँद और तारे

हमारे ही हुनर में थी कमी है बात इतनी सी
 तस्सली देने को कह लो कि हैं तकदीर के मारे

 यहाँ पर जीतना और हारना दोनों बेमानी है
 जो कल हारे थे अब जीते जो कल जीते थे अब हारे

 कहो जल्लाद से फंदा कसे इक बार में कस कर
 यूँ हौले हौले लटका के हमें तड़पा के ना मारे

हमारी दास्ताँ सुनने की जिद तो कर रहे हो तुम
 सुनी है आजतक जिसने गये मुहँ फेर वो सारे

 बहुत करते थे दावा आस्मां तक की बुलंदी का
जो कद नापा तो तो निकले बौने कद के यार हमारे

 हो जाए राख तो भी सब ख़त्म होता नही फौरन
 बचे रहते हैं अक्सर राख में कुछ देर अंगारे

2 comments:

vikas said...

awsm one ,

vikas said...

osm ,,, bahut achha hai