परिवर्तन की कैसी चली ये हवा
शब्द अपना अर्थ खोने लगे है
दोस्ती के नाम पर दुश्मनी निभाता है
हाल पूछने मेरा जब भी वो आता है
जख्म देख कर मेरे हमदर्दी यूँ जताता है
कान्टो की नोक से मरहम लगाता है
कैसे कैसे दोस्त आज होने लगे है
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैँ
दौर है मिलावट का हर चीज मे मिलावट है
जिन्दगी के दामन पर मौत की लिखावट है
मरता कोई बच्चा या मरती कोई नारी है
इन्हे क्या ये तो लाशो के व्यापारी हैं
कैसे कैसे व्यापार होने लगे हैं
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैं
धर्म के भी अब तो बदलने लगे मायने हैं
जगह जगह धर्म की खुल गयी दुकाने हैं
आसन हैं ऊँचे इनके, उँची ऊँची बाते हैं
करना सिखाते जो खुद ये कर नहीं पाते है
त्याग हो कि सादगी दूजे सीखे तो अच्छा है
खुद ये ठाठ बाठ का जीवन बिताते है
कैसे कैसे धर्म गुरू होने लगे है
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैं
पर इससे पहले की एक एक कर सारे शब्द बदल जाएँ
इससे पहले की अन्धकार हर शब्द का अर्थ निगल जाए
आह्वाहन तुम्हारा करता हूँ आओ मित्रों आगे आओ
मत देखो राह पैगम्बर की तुम खुद ही अपना डीप जलाओ
और जब समाज में हर कोई यूँ अपना डीप जलाएगा
इन खोये शब्दों को आना अर्थ स्वयं मिल जाएगा
शब्द अपना अर्थ खोने लगे है
दोस्ती के नाम पर दुश्मनी निभाता है
हाल पूछने मेरा जब भी वो आता है
जख्म देख कर मेरे हमदर्दी यूँ जताता है
कान्टो की नोक से मरहम लगाता है
कैसे कैसे दोस्त आज होने लगे है
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैँ
दौर है मिलावट का हर चीज मे मिलावट है
जिन्दगी के दामन पर मौत की लिखावट है
मरता कोई बच्चा या मरती कोई नारी है
इन्हे क्या ये तो लाशो के व्यापारी हैं
कैसे कैसे व्यापार होने लगे हैं
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैं
धर्म के भी अब तो बदलने लगे मायने हैं
जगह जगह धर्म की खुल गयी दुकाने हैं
आसन हैं ऊँचे इनके, उँची ऊँची बाते हैं
करना सिखाते जो खुद ये कर नहीं पाते है
त्याग हो कि सादगी दूजे सीखे तो अच्छा है
खुद ये ठाठ बाठ का जीवन बिताते है
कैसे कैसे धर्म गुरू होने लगे है
शब्द अपना अर्थ खोने लगे हैं
पर इससे पहले की एक एक कर सारे शब्द बदल जाएँ
इससे पहले की अन्धकार हर शब्द का अर्थ निगल जाए
आह्वाहन तुम्हारा करता हूँ आओ मित्रों आगे आओ
मत देखो राह पैगम्बर की तुम खुद ही अपना डीप जलाओ
और जब समाज में हर कोई यूँ अपना डीप जलाएगा
इन खोये शब्दों को आना अर्थ स्वयं मिल जाएगा