बाद तेरे इक इक कर सब राज यूं खुलते गये
लगते थे जो अपने वो सब गैर निकलते गये
ना कोई आता हॆ ऒर ना ही बुलाता हॆ हमे
दामन तो क्या सब नजरे भी बचा के निकलते गये
बाद तेरे सिर्फ गैरो से रहा नाता मेरा
अपने तो ले ले चुस्कियां हमपे ही हंसते गये
मेरी जरुरत को ना समझा है न समझेगा कोई
या यूं कहो कि जानकर अन्जान सब बनते गये
पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट ही भरते गये
देखले इस अन्न ने क्या दिखलाया रंग तेरे बिना
तन से हम जिन्दा रहे पर मन से हम मरते गये
व्यस्त थे ऒर मस्त थे अपने अपने घर में सब
दूर रहने के बहाने सब को ही मिलते गये
जिन की याद मे गुजारे हम ने अपने रात दिन
हमें खाली वक्त याद कर वो रस्म पूरी करते गये
बन के बेगैरत ही रखी हमने सबसे दोस्ती
देख मजबूरी मेरी सब और भी तनते गये
ना तो रिश्तेदार ना मेहमान सा आया कोई
घर मेरे जो आये इक अहसान सा करते गये
रिश्ता बस तब तक चला नाता तब तक ही निभा
जैसा वो चाहते थे वैसा जब तक हम करते गये
लगते थे जो अपने वो सब गैर निकलते गये
ना कोई आता हॆ ऒर ना ही बुलाता हॆ हमे
दामन तो क्या सब नजरे भी बचा के निकलते गये
बाद तेरे सिर्फ गैरो से रहा नाता मेरा
अपने तो ले ले चुस्कियां हमपे ही हंसते गये
मेरी जरुरत को ना समझा है न समझेगा कोई
या यूं कहो कि जानकर अन्जान सब बनते गये
पेट भरना ही नही काफी है जीने के लिये
हालाकि जीने के लिये हम पेट ही भरते गये
देखले इस अन्न ने क्या दिखलाया रंग तेरे बिना
तन से हम जिन्दा रहे पर मन से हम मरते गये
व्यस्त थे ऒर मस्त थे अपने अपने घर में सब
दूर रहने के बहाने सब को ही मिलते गये
जिन की याद मे गुजारे हम ने अपने रात दिन
हमें खाली वक्त याद कर वो रस्म पूरी करते गये
बन के बेगैरत ही रखी हमने सबसे दोस्ती
देख मजबूरी मेरी सब और भी तनते गये
ना तो रिश्तेदार ना मेहमान सा आया कोई
घर मेरे जो आये इक अहसान सा करते गये
रिश्ता बस तब तक चला नाता तब तक ही निभा
जैसा वो चाहते थे वैसा जब तक हम करते गये