Sunday, January 29, 2017

उजाले की खातिर क्यों घर को जलाओ

लगता है मौसम बदलने लगा है
चमन में नए फूल खिलने लगे हैं
कलियों पे मुस्कान आने लगी है
फूलों पे भँवरे मचलने लगे है
जो बच के निकलते थे इस राह से
वो फिर इस तरफ से निकलने लगे है

फिजा में  अजब सी इक है  ताज़गी
पौधों पे नए पत्ते निकलने लगे है
चिड़िया अब फिर से चहकने  लगी हैं
 नशेमन नए फिर से बनने लगे है
बुलबुल नए गीत गाने लगी है
नए अरमा दिल में फिर पलने लगे है

डर है तो  बस अब इसी बात का है
कुछ सैयाद इस और चलने लगे है
हो सके तो चमन को अब इन से बचाओ
हिम्मत करो और इन को भगाओ

नशेमन तेरा अब उजड़ने ना पाये
जो बिजली गिराये तुम उन को गिराऔ
 है काफी दिया एक  यहाँ रोशनी को
उजाले की खातिर क्यों घर को जलाओ 

पहुँच किनारे भूल गए सब कैसी कश्ती मांझी कौन

तुमने  चुप्पी साध  ली  है तो मैं  भी अब हो चला  हूँ मौन
वक्त फैसला देगा इस खामोशी का अपराधी कौन

अंधेरो में तो कोई ना कोई दीया  जलाना ही पड़ता है
रात कटी  भोर हुई ,तो दीये  की परवाह करता कौन

जब तक है मझधार में कश्ती मांझी की जरूरत रहती है
पहुँच किनारे भूल गए सब कैसी कश्ती मांझी कौन

दुनिया का दस्तूर है  शायद हम को ही मालूम नही
फायदा नही तो कैसा  रिश्ता  तू  कौन और मैं हूँ कौन

माप दंड उपयोगिता  है  रिश्ता  किस से कितना रखना है
बूढ़े बैल को जोत के अपने खेत में हल चलवाता कौन 

रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला

अर्थहीन सी लगने लगी  है मुझ को हर एक बात
चाहे कोई अपना ले या  छोड़ दे मेरा साथ

किसे कहूँ दुनिया में अपना किसे पराया  मानु
रिश्ता दोनों का है  जब तक सिद्ध होता है स्वार्थ

तेज दिमाग से काम ले रहे तेज छुरी के जैसा
स्वार्थ की हर एक शख्स लगा कर बैठा हुआ है घात

बीज तो  अक्सर बोये  पर फसल नसीब में नही रही
जमीन कभी बंजर निकली कभी हुई नही बरसात

फ़ायदा और नुक्सान की गिनती कितनी ज्यादा सीख गए
ख़त्म हो गयी प्यार मोहब्बत , ख़तम हुए जज्बात

रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला
चाल पे चाल लगे चलने,  किसीको शह  दी  किसीको मात

बेवफाई हो जिनकी फितरत उन्हें बदलना है हर हाल
और  बहाना  होता  है  अक्सर कि बदल गए हालात








अब तो छोड़ के जाने वाले, तेरी याद तलक नही आती है

जिंदगी जब भी कभी कोई दर्द लेके आती है
सीखे हुओं को भी नया कुछ ना कुछ सिखाती है

पहले दर्द बहुत होता था जब कोई छोड़ के जाता था
अब तो छोड़ के जाने वाले तेरी याद  तलक नही आती है

ना कोई उम्मीद ना खुशी ना दिया कभी होंसला
तू तो जब भी  मिलती है तकलीफ ही  दे के जाती है

पहले पछताया करती थी जब   गलती हो जाती  थी
अब तो गलती कर के दुनिया उल्टी और  इतराती  है

कभी मोहब्बत भी थी मुझसे अब तो सिर्फ शिकायत है
वाह री दुनिया इतनी देर में कितने रंग बदल जाती  है

ऐसा भी क्या प्यार में यारा अधिकार जताना साथी पे
उसे  सांस तलक नही लेने देती गला  घोंटती  जाती है

दिल  बड़ा मिला है  तो दिमाग वालो से बचो
अच्छे दिलवालो  का फ़ायदा दुनिया बहुत उठाती है

मुठ्ठीयों में कैद आसमां  करेंगे ख़ाक हम
अपनी मुठ्ठियों से रेत  तक तो फिसल जाती है