Monday, July 24, 2017

तुम मेरे पास चली आना

आज तुम मुझे छोड़ कर
मेरे विश्वास मेरी आस को तोड़ कर
अपने किये वादे से मुकर
मुझे ठुकरा कर शर्मिदा कर
जा रही  हो
 फिर भी  अगर कभी कोई तुम्हे भी  इसी तरह छोड़ जाए
तेरा दिल इस तरह से तोड़ जाए
मंजिल आने से पहले ही अपना रास्ता मोड़ जाए
बहुत तनहा सा लगने लगे तुझे  ये ज़िंदगी का  सफर
तो खुद अकेला मत महसूस करना
तुम मेरे पास चली आना

तेरी जवानी की दोपहरी जब ढलने लगे
परछाइयाँ जब तेरे कद से लम्बी लगने लगे
रात का अन्धेरा तुझे जब डराने लगे
पैर  तेरे जब ठोकर पे ठोकर खाने लगे
डरना मत
मै  दिया तेरी राहों में बन के जलूँगा
मै  हर एक कदम पे तेरे आगे चलूँगा
तुम मेरे पास चली आना

आज के तेरे अपने जब तेरा साथ छोड़ दे
तेरे चाहने वाले भी तुझसे मुँह मोड़ ले
ना पैसा बचे ना  जवानी बचे
ना अपनो की कोई  निशानी बचे
तुम दुखी मत होना
मै  हमेशा की तरह तेरा साथ दूंगा
बस तुम मेरे पास चली आना

मत सोचना कि  तुम ने खुद ही तो मेरा साथ छोडा था
तुमने जान बूझकर ही मेरा दिल तोड़ा था
मेरे दिल  में ना कोई उल्हाना है न कोई शिकायत
मै  खुली बाहों से तेरा स्वागत करूँगा
तुम शर्मिन्दा मत होना
तुम  मेरे पास चली आना









अपनी खुदगर्ज़ी से खुद घोंटा हर रिश्ते का गला

जितनी सुलझाता हूँ उतनी ही उलझती जा  रही है
ज़िंदगी तेरी पहेली जाने क्या मुझ से चाह रही है

मेरी ज़रूरतें मेरी चाहतें कब की ख़तम सब हो गयी
अब क्या है  जो इस उम्र में मुझको तू देना चाह  रही है

गीली लकड़ियों से सिर्फ धुंआ ही तो निकलना है 
बे वजह तू इनमे आग किसलिए सुलगा रही है

कल तो आने दे  जो कल होगा वो  देखा जायेगा
कल की फिक्र में  आज क्यों बर्बाद करती जा रही है

कभी पूछ मुझ से चाहता हूँ मै  क्या तुझसे  ज़िंदगी
या फिर बता खुल के कि आखिर तू  क्या मुझसे चाह रही है

किस तरह मिलती सफलता कैसे मिलती मंज़िले
तू तो दो  कदम भी चलने से अभी घबरा रही है

जब भी कुछ मांगा तो तेरी न के सिवा कुछ ना मिला
इसके बावजूद भी तू अपना मुझे बता  रही है

अपनी इस करनी पे तुझको होना है इक दिन शर्मसार
आज बेशक अपनी हर हरकत पे तू इतरा  रही है

अपनी खुदगर्ज़ी से खुद  घोंटा  हर रिश्ते  का गला
अब शिकायत है  घुटन जिंदगी में बढ़ती जा रही है

फूल बनने  पर हश्र   तेरा भी देखेंगे कली
आज  डाली पर लगी  तू मुस्करा रही इतरा रही है

सिर्फ शब्दों तक सिमट के प्यार तेरा रह गया
करने के नाम पर  सिर्फ मज़बूरिया  गिनवा रही है

तेरी इस हरकत से तंग  मै खुद  भी तुझको छोड़ता
मेरी जान  तू  तो खुद ही मुठी से फिसलती जा रही है





नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

 बुलन्दी  आसमां  की छूना कोई मुश्किल  नही होता
बस नज़र आसमा  पर और ज़मीं पर घोंसला  चाहिए

तुझे उड़ान भरने से कहाँ कोई  रोक सकता है
बस थोड़े पर फैलाने है और थोड़ा होंसला चाहिए

अगर  उड़ने की चाहत है तो फिर इतना समझ लीजे
हर पिंजरा  छोड़ना होगा  अगर आसमां  खुला चाहिए

परिंदा  सोच से उड़ता है  या फिर हिम्मत से उड़ता है
नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

बिना कुर्बानियों  के कुछ नहीं होता यहाँ हासिल
कुछ खोने को  भी रह तैयार अगर पाने को कुछ चाहिए

अगर ये जुर्म है कि  तुम से मै  क्यों  प्यार कर बैठा
तो फिर इस जुर्म की मिलनी मुझे कोई  सजा चाहिए 


फिसल ही गया मेरे हाथ से देख ले तेरा हाथ

तुम जागो तो सुबह हो गई तुम सोओ  तो रात
ऐसे कहाँ बन पाती है दुनिया  में  किसी की बात

तेरा प्यार तो  प्यार कहलाये भले ही शब्दों  तक  सीमित हो
तुम "ना" करो तो  मज़बूरी है  मेरी  'ना" है  विश्वास घात

चाहने भर से क्या होता है हर कोई चाँद सितारे चाहता
किस्मत वाले को  मिलना  है तुझ से हसीन  का  साथ

चाहने भर से कहाँ होती है बिन बादल बरसात
 हिम्मत से लांघ सकता है इन्सा चाहे तो समुन्दर सात

"लेन  देन  को ख़ाक मोहब्बत पाक" कहाँ चलती है
 फिसल ही गया मेरे  हाथ से देख ले तेरा हाथ