Saturday, April 22, 2017

करते है व्यापार मगर क्यों प्यार उसे हम कहते हैं

हर दिल में एक तराजू है बिन तोले  कोई क्या देगा
कागज़ पे नही तो दिल में सही पूरा हिसाब लगा लेगा

मानो न मानो पर सच है दिल से हम व्यापारी हैं
आँखों आँखों में तोलते है कि  सौदा  कितना भारी है

कहाँ कहँ कितना कितना फायदा हम को होना
किससे  कितना मिलना है और किस संग कितना खोना है

कुछ मुफ्त नही मिलता है यहाँ हर चीज का दाम चुकाना है
जो मुफ्त दिखायी पड़ता है दरअसल वो तुझे फ़साना है

सोचो तो जरा अबतक  तुमने  क्या मुफ्त में पाया है तुमने
आखिर तो हर उपलब्धि का इक  मोल चुकाया है तुम ने

कभी धन से किया चुकता तुमने  कभी तन से चुकाया है तुमने
कभी पहले ही कर दिया अदा कभी  बाद में बिल पाया तुम ने

उपहार जिसे तुम कहते हो दरअसल उधार में कहता हूँ
उपहार के बदले में आखिर उपहार लौटाया है तुमने

इसे लें दें का नाम दो या फिर दो तरफ़ा प्यार कहो
 किसी से कुछ पाने के लिए कुछ तो गवाना पड़ता है

प्यार के बदले प्यार चाहिए उपहार दिया उपहार चाहिए
अब नही तो अगली बार चाहिए बदला मगर हर बार चाहिए

करते है व्यापार मगर  क्यों  प्यार उसे हम कहते हैं
अरे लेन  देन  ही  प्यार है तो व्यापार किसे फिर कहते हैं






अब देखूंगा कौन है ऐसा जो है मेरा साथ निभाता

आसमान में उड़ने वालों अब तुम से क्या मेरा नाता
मै  पिंजरे का पंछी ठहरा ना कहीं आता न कही जाता 

जब तक जितना उड़ सकता था मैंने सब का साथ निभाया
अब देखूंगा  कौन है ऐसा जो है मेरा साथ  निभाता

बिना परिश्रम दाना पानी वक्त से पहला ही मिल जाता
पर आसमान में तुम संग उड़ना मुझ को याद बहुत है आता

कभी नदी को लांघा हमने  कभी समुन्दर नापा हमने
धरती की तो बात ही  क्या है आसमान को नापा हमने

मीलो मीलों भूखे उड़कर अपना दाना ढूंढ के लाना
मिला जो कुछ तो खा लेना वरना भूखे भी सो जाना


बिना कमाए दाना पानी वक़्त से पहले अब मिल जाना
तुम कहते हो मजे का जीना मै  कहता ज़िंदा मर जाना

पर है पर परवाज नही जुबान है पर आवाज़ नही
कितना खो कर इतना पाया इसका तुमको अंदाज़ नही

आज़ादी का नाम नही बचा आत्मसम्मान नही
भूखा मरना आसान है पर ये जीना आसान नहीं

नहीं चाहिए ऐसा जीना  बिना परिश्रम खाना पीना
ले जाओ ये दूध कटोरी बीएस मुझ को आज़ाद करो
पंछी का जीवन पिंजरे में  और न तुम बर्बाद करो 

तुम बार बार इस दिल को क्या पाप पुण्य समझाते हो

तेरे मेरे करने से जग में सोचो आखिर क्या होता है
जब्ज्बजो होना होता है तब तब वैसा ही होता  है

सोते सोते लूट गया सब कुछ आँख खुली तो पता चला
पता है जब लुट  सकताहै  तो तो आखिर कोई क्यों सोता है

अंकगणित या अर्थशास्त्र के माना माहिर आप हुए
जीवन इतना सरल नही है इतने भर से क्या होता है

अपनी तबाही का आलम क्यों सब को बताते फिरते हो
ऐसे में जो तबाह हुआ वो  और  bhii ज़्यादा तबाह होता है


मन में तेरे क्या हलचल है बेहतर है  कोई ना जाने
दुनिया को जब पता चले गुनाह तभी गुनाह होता है

मन में तेरे लाख हो उलझन जुल्फों को सुलझा के रख
मन की उलझन चेहरे तक लाना यहाँ गुनाह होता है

तुम बार बार इस दिल को क्या पाप पुण्य समझाते हो
स्वर्ग नर्क इस दिल के लिए शायद एक सा ही होता है

भला बुरा और सही गलत नही इसको समझ आने वाला
इस दिल की तराजू में शायद एक ही पलड़ा बना होता है 

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको

इन शीशे के टुकड़े को अब जोड़ के क्या हासिल
शीशा ही नही टूटा  ाजी अक्स भी टूटा है

माना हो बहुत माहिर तुम जोड़ मिलाने के
वो शीशा नही जुड़ता कण कण में जो टूटा है

कोई लाख करो दावा कि  है प्यार में सचाई
जीवन भर देखा है हर रिश्ता झूठा है

मुझे सारी खुदाई ही नाराज सी लगती है
इक तू क्या रूठ गया सारा जग रूठा है

इकरार भी करते ही इंकार भी करते हो
तेरा प्यार जताने का अंदाज़ अनूठा है

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको
ना समझ हूँ क्या जानू सच्चा है की झूठा है

नज़रो में है प्यार भरा ,बातों में है अपनापन
जिसने भी मुझे लूटा कुछ ऐसे ही लूटा है 

तुमने पत्थर कितनी बेरहमी से मारा है

चेहरे की लकीरों को  खुद गौर से तुम पढ़ लो
हम तुम को बताएं क्या , क्या हाल हमारा है

कभी दर्द हमारा कोई तुम बाँट नही पाए
नाहक क्यों पूछते हो  क्या हाल तुम्हारा है

इक हाथ में है नश्तर इक हाथ तेरे मरहम
मर्ज़ी तेरी चलनी है भले ज़ख्म हमारा है

शीशा ही नहीं टूटा ाज़ी अक्स भी टूटा है
तुमने पत्थर कितनी  बेरहमी से मारा है

तुम जीत गए मुझसे तो कौन अजूबा हुआ
ये शख्स तो जीवन भर हर शख्स से हारा है

तन्हाई से तंग आकर किसी और को संग कर लूँ
ना चाहत है अपनी ना  उसूल हमारा है

माना कि  कसम टूटी नही तुम बिन रह पाए
सच मानो मगर इसमें नही दोष हमारा है

पैरों को अगर रोका तो दिल तन से निकल भगा
वो कहता है कि  उसको तेरे दिल ने पुकारा है




जब चाहे कोई हाथ छुड़ा क्र दूर कहीं जा सकता है

बोझ किसी पे बन के रहना ये मेरी फितरत में नहीं
 खुदको किसी पे थोपे रखना ये मेरी आदत ही नहीं

जब चाहे कोई हाथ छुड़ा क्र दूर कहीं जा सकता है
ता उम्र किसी को बांधे रखना ये अपनी चाहत ही नहीं

जब तक जिस को रास  आये वो तब तक उतना संग चले
जन्म मरण तक संग रहने का वादा  किसी से लिया नही

इक हद से ज्यादा मुस्का कर मेहमाँ  का स्वागत क्या करना
मुंह बना के बाद जो देखना हे मेहमाँ  क्यों अब तक गया नही

ताने दे उलहाने दे या किसी और तरह अपमान करे
इस हद तक मेहमाँ बन कर घर किसी के मै  ठहरा ही नही

रिश्ता तब तक ही रिश्ता है जब तक गर्माहट बनी रहे
मरे हुए रिश्ते ढोने  की मुझ में हिम्मत  रही नही   

लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

बर्बाद किसी को करने के कई और तरीके भी होंगे
क्या हुआ जो एक तरीके  से बर्बाद में तुमसे हुआ नही

कोई  फूँक जोर से मारो या  आँधिया ढूंढ के लाओ तुम
जो भी करना है कर डालो ये दिया अभी तक बुझा नही

बिजली से कहो  कुछ और जोर से गिरे मेरे घर की छत पर
 अभी मेरा नशेमन बाक़ी है अभी सारा गुलशन जला नही

कुछ और हवा दो यारों  मेरे अभी आग ठीक से लगी कहाँ
कुछ तिनके अभी भी बाकी हैं अभी आशियाँ  पूरा जला नही

समुन्दर से कहो सुनामी कोई  मेरे इस तट  पर ले आये
ऊँगली से लिखा इस रेत  पे तेरा नाम अभी तक मिटा  नही

तुम दिल इतना छोटा ना करो अभी और सितम कर सकते हो
दिन रात सही पर आंसू के सिवा अभी आँख से कुछ टपका ही  नही

कुछ नए ज़ख़्म दो इस दिल को कुछ पिछले जखम कुरेदो  तुम
आंसू संग खून भी बह  निकले दिल इतना  आहत  हुआ नही

कभी लहर  गिराना कभी लहर  उठाना ठहरा ये खेल समुन्दर का
लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

कभी वक्त मिले तो सोचना तुम इ दोस्त कहीं ऐसा तो नही
है अब भी कुछ  प्यार तेरे दिल में  जो मै  अब तक पूरा मिटा नही



Wednesday, April 19, 2017

शीशे के घरों में रहते हो और पत्थर फेंकते हो मुझ पर

जब दिल में प्यार बचा ही नही  इक बार में रिश्ता ख़त्म करो
बेजान हुए रिश्तो की लाश को मुझसे नही ढोया  जाता
जब मन में कोई खुशी ना मै  होंठो से नही हंस सकता
जब दिल में कोई दर्द ना हो आँखों से नही रोया जाता
तकलीफ  मुझे पल पल दे कर  तुमने चाहा कि  खुशी मिले
अजी आम अगर खाने हो तो बबूल नही बोया जाता
इक इक रिश्ते के मरने पर   इतना रोया  कि  मत पूछो
  अब किसी के  मर जाने   पर  क्यों मुझसे नही रोया  जाता
शीशे के घरों में रहते हो और पत्थर फेंकते हो मुझ पर
शुक्र करो की मुझसे अपना कंट्रोल नही खोया जाता
उतना ना सही कुछ काम ही सही है अब भी माल तेरे घर में
ऐसे में खुले दरवाजे रख बेफिक्र नही सोया जाता 

दो चार बूँद ही सही जो दे सके वो दे

 दो चार कदम ही सही कुछ दूर संग तो चल
ता उम्र यूँ भी किस ने दिया है किसी का साथ
 उंगली ही पकड़ इतना भी सहारा है बहुत
कम्बख्त कौन कहता है कि  थाम मेरा हाथ
इस कदर इक उम्र से प्यासे रहे है हम
कुँए को पास पा  के भी जगती नही है प्यास
दो चार बूँद ही सही  जो दे सके वो दे
मै  कहाँ कहता हूँ दे भर भर मुझे ग्लास
प्यासे की प्यास कम  रही या थी बहुत अधिक
उस प्यास का कैसे कोई कर पायेगा अहसास
 ओस की दो चार  बूंदे जीभ पर रख कर
प्यासे ना जब बुझाली अपनी उम्र भर की प्यास
हर एक को  देख कर भी नही देखता कम्बख्त
ना जाने कौन शख्स  की करता है दिल तलाश
सारे वफादारों से तो मिलवा चुका हूँ मै
लगता है किसी बेवफा की है इसे तलाश

सच तो ये है मेरी जानेमन तेरी हाँ हो जाने से डरते बहुत हैं

अंधेरो में रहने की आदत है हमको
उजाले में आने से डरते बहुत हो
तेरे आने से घर हो सकता था रोशन
 पर आँखे चौंधियाने से डरते बहुत हैं

जिसे भी दिखाए  उसीने कुरेदे
 जख्मों की अपनी यही दास्तान है
बेवजह नहीं जो किसी मेहरबाँ  को
 जख्म अब दिखाने से डरते बहुत हैं

अभी तक भी सब की ना ही सुनी थी
तेरी ना भी कोई अजूबा नही है
सच तो ये है  मेरी जानेमन
 तेरी हाँ हो जाने से डरते बहुत हैं

चाहा जिसे भी दिलो जां  से चाहा
बस इतनी सी गलती रही है हमारी
है चाहत की तुम को भी चाहें बहुत
पर गलती दोहराने से डरते बहुत हैं

राहों में मिलते हो तब पूछते हो
कैसे हो क्या हाल है आपका
कभी घर में आओ फुरसत से बैठो
 सुनाने को गम के फ़साने बहुत है

जब भी नशेमन बनाया है कोई
गिरी आसमां  से कई बिजलियाँ
जा है यूँ घर का मेरे तिनका तिनका
नया घर बसाने से डरते बहुत हैं
 


कोई तो कमी है तेरे प्यार में जो तेरे पास आने से डरते बहुत हैं

कभी प्यार खोया कभी यार खोया
रिश्ते या नाते सभी खो चुके हम
तुम्हे भी ना खो दे कहीं पाते पाते
इसी वजह पाने से डरते बहुत हैं
 
जिसे भी सिखाया कभी जीतना
हराने में मुझ को वही लग गया
हारा हूँ इतना कि  मत पूछिए
अब किसी को सिखाने से डरते बहुत हैं

हमसे दूरी तेरी सही जाती नही
और तू है कभी पास आती नही
तेरी नजदीकियों से क्या हासिल हुआ
किसी को नजदीक लाने से डरते बहुत हैं

इधर  के उधर के ना किस्से सुना
जो दिल में है तेरे वो खुल के बता
कोई तो कमी है तेरे प्यार में
जो तेरे पास आने से डरते बहुत हैं

थम सा गया है सफर प्यार का
हो सके तो इसे थोड़ी  रफ़्तार दे
काई जमती है पानी गर ठहरा रहे
वक्त ठहरा नहीं तुम क्यों ठहरे रहे
वक्त हो प्यार हो या कोई और शै
हम ठहरने ठहराने से डरते बहुत हैं



ये दवा या वो दवा इससे है पड़ता फर्क क्या

काम हो कैसे भी लेकिन काम होना चाहिए
ऐसे हो या वैसे दुनिया में  नाम होना चाहिए

ये दवा या वो दवा इससे है पड़ता फर्क क्या
मकसद तो है कि  दर्द में आराम होना चाहिए

जिंदगी की दौड़ में शामिल तो मै  हो जाऊँ  पर
मौत के सिवा कुछ और ही अंजाम होना चाहिए

किस तरह से पायी शोहरत क्योंकर हुए मशहूर तुम
कौन पूछता है इक बार नाम होना चाहिए

आदमी की क्या खुदा की भी नहीं सुनता मयकश
बस हाथ में उसके भरा  हुआ जाम होना चाहिए

हम दिल पे चोट खाने को तैयार है इक बार फिर
शर्त है यार के हाथ में बाम होंना चाहिए

बिकने को तैयार हैं दुनिया का हर इक शख्स ही
बस  चुकाने के लिए सही दाम होना चाहिए

गुजर गए वो जमाने  राम जब बसते  थे दिल में
अब तो छुरी बगल में जुबाँ  पे राम होना चाहिए 


कभी तू भी तो बेताब हो बाहों में आने के लिए

मौक़ा बे मौक़ा यार ने तोहफे हमे अक्सर दिए
ये और बात है कि  तोहफे में हमेशा गम दिए

प्यार कर सकता नही तो कम से कम  नफरत ही कर
कोई वजह तो चाहिए दुनिया में जीने के लिए

प्यार मुझसे है तो फिर  जुबान से क्यों  कहते नही
थोड़ी  तसल्ली तो मिले दिल को  धड़कने के लिए

अपना बनाने की तमन्ना जब हुई मुझ को हुई
कभी तू भी तो बेताब हो बाहों में आने के लिए

ख्वाहिशों के अंकुरित होने पे खुश ना होइए
ये पौध  होती है पनपते ही  मर जाने के लिए

मिट्टी खराब थी कभी मौसम खराब था
जब भी बीज बोया हमने बोया गंवाने के लिए 

हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

हम ने तो जिंदगी का रुख ही मोड़ दिया है
जाने खुदा अच्छा बुरा हमने क्या किया है

जिसे चाँद तारे तोड़ना हो तोड़ता रहे
हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

आदमी हो या खुदा सुनता किसी की है कहाँ
  सर झुका इन्हे सर चढ़ाना छोड़ दिया है

जिंदगी की राह में जितने भी बेवफा मिले
उनमे  तेरे एक नाम और जोड़ दिया है

अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए जिए मरे
ऐसे  सनम से दिल लगाना छोड़ दिया है

हम किनारे पहुंचेगे या डूबेंगे मझधार में
ये फैंसला माझी ने तूफां  पे छोड़ दिया है


तुम मिली क्या मुझ को जीने की तमन्ना मिल गयी

तुम मिली क्या मुझ को जीने की तमन्ना मिल गयी
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो
 तुम से ही मुझ को मिले हैं जिंदगी के मायने
तुम ही मेरा वज़ूद हो तुम ही मेरी पहचान हो

गम की अंधेरी रात में जलता हुआ दीपक हो तुम
मेरे  सूने घर के दरवाज़े पे इक दस्तक हो तुम
सुनने  को आवाज़ जिसकी कान तरसते रहे
उन भाग्यशाली कदमो की आती हुई आहट हो तुम

मेरे हर अरमान का अब पहला पालना हो तुम
 और जवां अरमान के चेहरे की तुम मुस्कान हो
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो

सूर्य की पहली किरण सी मन की धरा पे तुम पड़ी
तुम ही हो मेरी धरा अब तुम ही आसमान हो
चाँद तुम सितारे तुम तुम ही चन्दा की चांदनी
तुम गुलाब तुम रजनीगंधा  तुम मेरा गुलस्तान  हो

ना गया मंदिर  कभी और ना ही की पूजा कभी
तुम ही हो गीता मेरी तुम ही मेरी कुरान  हो
तुम दिया हो अर्चना  का तुम ही थाली  आरती की
तुम ही हो पूजा मेरी तुम ही मेरा भगवान् हो

ना सिखाओ  अब मुझे धर्म क्या अधर्म क्या
तुम ही मेरा धर्म हो तुम ही मेरा ईमान हो
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो

तुम ही नदिया तुम ही कश्ती और किनारा भी हो तुम
मुझसे डूबते  को  तिनके का सहारा भी हो तुम
पार हुआ तो तुमसे मिलन  डूबा तो तुम से मिलन
डूबना अब पार उतरने से भी बेहतर हो गया

भोर भी तुम सुबह भी तुम शाम भी तुम रात भी तुम
 दिन की हकीकत भी हो तुम रातों का हो ख्वाब तुम
अब जिंदगी का  एक भी पल एसा तो बचा नहीं
तेरे  बारे जिस भी पल मैंने कुछ सोचा नहीं

कभी ख्याल बन के मेरे सामने खड़ी हो तुम
कभी हर एक सवाल का  दिखती  हो जवाब तुम
अब तेरे ख्यालो में दिन रात यूँ रहता हूँ गम
यहाँ वहां इधर उधर देखूं जिधर उधर हो तुम

लोग  कहते है कि  हर एक शै में है खुदा बसा
गलत कहते हैं हर  शै  में मुझ  को तो दिखती हो तुम
चन्दा की चांदनी में तुम सूरज की रोशनी में तुम
तारों की चमक में  भी तुम ही प्रकाश मान हो

कोई माने या ना माने पर ये सच है पूरा सच
हर शै में खुदा हो न हो पर तुम विराजमान हो
 तुम ही मंज़िल हो मेरी तुम ही मेरा रास्ता
छोड़ना न बीच राह तुमको खुदा का वास्ता

जिंदगी से तुम गयी तो सांस भी रुक जाएगी
ना भी रुकी तो जिंदगी एक ज़िंदा लाशः हो जाएगी
तुम से दूर रहने की अब सोचना मुमकिन नही
तुम ही दिल तुम ही धड़कन तुम ही मेरी जान हो
तुम ही मेरी जिंदगी तुम ही  मेरे प्राण हो

मिल गया कभी खुदा तो उससे पूँछूगा बता
क्या उसने मेरे साथ अन्याय ये नही किया
तुम्हे बनाके  मेरा सब कुछ  किसी और के  हाथ दे दिया
देख ली तेरी खुदाई वाह रे खुदा वाह रे खुदा













और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें

सर्दीयों की सर्द  राते,   सर्द रातें लम्बी रातें
और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें

सोच  कर कि  खुश हो तुम होंठों पे मुस्कान लाना
देखना ग़मगीन तो अक्सर भिगोना अपनी आंखे
बस एक ही बात सोचना क्या ठीक है तेरे लिए
और ना कभी सोचना क्या चाहिए खुद के लिए

ये बात तुझे होगी पसंद या ना आएगी पसंद
हर बात कई  कई बार दीवारों से कर के देखना
कल्पना में अक्सर तुझ को मुस्कराता देखना
 फिर धीरे धीरे तुझको अपनी ओर आता देखना

दामन बचा के पास से फिर गुज़र जाना तेरा
 और फिर जाते हुए वो मुड़  के तेरा देखना
और फिर किसी उम्मीद का मन में जग जाना मेरा
और कभी बिस्तर पे पड़ी सिलवटों को देखना

पर रस्ते में फिर तेरे पलके बिछा देना मेरा
अगली रात फिर तेरे आने का रस्ता  देखना
सोचना इस बार दामन शायद हाथ आये  तेरा
पर गैरों के हाथों में फिर दामन तुम्हारा देखना

मन ही  मन  फिर कस्मे खाना
अब नही तुझे याद करना अब नही तुझे याद आना
पर अगले ही दिन भूल जाना और फिर वही किस्सा दोहराना
सर्दियों की सर्द रातें
और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें 







  

जो डरते हो कि कालिख ना लग जाये जरा भी

कत्ल करने का इरादा ही नहीं होता अगर
तो  आस्तीनों में खंजर छुपाया नही  करते

दर्द दिल जिन को छुपाना होता है तो वो
 आंसू के कतरे   आँख में लाया नही करते

 ज़िंदा हो तो ज़िंदा के जैसा जीना भी सीखो
मुर्दा मछली सा पानी के संग बह जाया नही करते

यहां   दर्द  किसी का  कोई भी बांटता  नही
 किस्से की तरह हाल-ए -दिल सुनाया नही करते

जो  डरते हो कि  कालिख ना लग जाये जरा भी
वो  काजर की कोठरी में फिर जाया नही करते









दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक

घर का दरवाज़ा अब खटखटाता  नही कोई
शायद किसी को मेरी ज़रूरत नही रही

और दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक
मुझसे किसी को भी अब मोहब्बत  नही रही

सख़्तियों ने ही उसे पाला होगा शायद
उसकी जुबां  में अब जो  नजाकत नही रही

वो  छोड़ गया राह में तकलीफ तो हुई
आराम है कि साथ अब  आफत नही रही

कभी चाँद उतर कर नही आया मेरे अंगना
कुदरत के नियम तोड़ने  की ताकत नहीं रही

चाँद तो  धरती के चक्कर ही  लगाता रह गया
धरती को सूरज के इर्द गिर्द घूमने से फुरसत नही रही

अब ऐसा प्यार भी कहाँ  परवान चढ़ना था
 चाहा उसे जो  किसी और की चाहत बनी रही