Wednesday, April 19, 2017

हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

हम ने तो जिंदगी का रुख ही मोड़ दिया है
जाने खुदा अच्छा बुरा हमने क्या किया है

जिसे चाँद तारे तोड़ना हो तोड़ता रहे
हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

आदमी हो या खुदा सुनता किसी की है कहाँ
  सर झुका इन्हे सर चढ़ाना छोड़ दिया है

जिंदगी की राह में जितने भी बेवफा मिले
उनमे  तेरे एक नाम और जोड़ दिया है

अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए जिए मरे
ऐसे  सनम से दिल लगाना छोड़ दिया है

हम किनारे पहुंचेगे या डूबेंगे मझधार में
ये फैंसला माझी ने तूफां  पे छोड़ दिया है


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