Saturday, April 22, 2017

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको

इन शीशे के टुकड़े को अब जोड़ के क्या हासिल
शीशा ही नही टूटा  ाजी अक्स भी टूटा है

माना हो बहुत माहिर तुम जोड़ मिलाने के
वो शीशा नही जुड़ता कण कण में जो टूटा है

कोई लाख करो दावा कि  है प्यार में सचाई
जीवन भर देखा है हर रिश्ता झूठा है

मुझे सारी खुदाई ही नाराज सी लगती है
इक तू क्या रूठ गया सारा जग रूठा है

इकरार भी करते ही इंकार भी करते हो
तेरा प्यार जताने का अंदाज़ अनूठा है

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको
ना समझ हूँ क्या जानू सच्चा है की झूठा है

नज़रो में है प्यार भरा ,बातों में है अपनापन
जिसने भी मुझे लूटा कुछ ऐसे ही लूटा है 

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