Wednesday, December 30, 2020

प्यार करने का सब का तरीका अलग

 

साथ मेरे चले क्यों कोई उम्र भर

सब की मंजिल अलग सब की राहे अलग

मेरी चाहत को अपनी क्यों चाहत कहे

उसकी चाहत अलग मेरी चाहत अलग


है ज़रूरत का है मारा यहाँ हर कोई

हो भले सब की अपनी ज़रूरत अलग

एक रहते है हम पर सिर्फ तब तक ही

जरूरते जब इक दूजे से हो न अलग 

 

प्यार करता है हर कोई मुझसे बहुत

प्यार करने का सब का तरीका अलग

आप की बात सच है पर ये तो बता

ये तरीका क्यों मुझ पे हो लागु अलग


जिस्म और जान दोनों ना हो इक जगह   

तो जिस्म रहता नही अपनी जाँ से अलग 

बात इतनी सी क्यों मान लेते नही

जो ही घर से अलग वो है दिल से अलग


  

Sunday, December 27, 2020

देने को तैयार सब तू जब तक कुछ नहीं ले

 देने को  तैयार सब तू  जब तक कुछ नहीं ले 

जब भी कुछ लेने लगे तो कोई कुछ नहीं दे  


धरम करम  का ओढ़  लबादा  करे उंची उंची बात 

भीतर से तो जानवर  जैसी करता हर एक बात 


कुछ बाजियों में तो जीत हार का  पता कहाँ  चल पाता है 

तू समझेगा  तू  जीता पर असल में होगा तू हारा


Friday, December 25, 2020

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात

 अर्थ हीन सी लगने लगी है मुझ को हर एक बात
ना दिन लगते  दिन जैसे न लगे रात सी रात 

ना दोस्त रहे अब दोस्तों से ना रहा प्यार सा प्यार
अब तो सब करने लगे  मतलब सा व्यवहार 

जब तक इस्तेमाल  है तेरा तब तक क़द्र  है तेरी
वरना आँखे  फेर लेने में करे ना कोई देरी 

अच्छे  बुरे का   दुनिया में बस बचा एक पैमाना
कौन मेरे क्या काम आया या कितने काम है आना

 आज नहीं तो कल तुझको अहसास जरूर है होना
जो है रुलाता औरों को उसे पड़ेगा इकदिन रोना 

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात
अपना उल्लू सीधा हुआ तो भूल गए हर बात 

पर मर जाए या मुकर जाए या हो जाए बेईमान
उसका इलाज़ तो ढूंढ नहीं पाया हकीम लुकमान




 

Tuesday, July 28, 2020

तब जा के हिसाब हो पायेगा तू कैसा है मै कैसा हूँ

ना मरहम है तेरे हाथो में ना दि ल में तेरे गुंजाइश है
फिर दुखती रग पे उंगली रख क्यों  पूछ रहे हो कैसा हूँ

जब बस में नहीं कुछ भी तेरे हमदर्दी जता कर क्या होगा
अच्छा है ना पूछो हाल मेरा  मुझे रहने दो मै जैसा हूँ

जखम दिए सदा  अपनों ने , और गैरों ने  सिर्फ कुरेदा है
इस पे भी  शिकायत है उनको मै क्यों ऐसा हूँ या वैसा हूँ

कभी तू  फिसला जो मेरी तरह और चोट लगी कभी मुझ जैसी
तब समझगो मै  ना था   पत्थर मै  भी इन्सा  तेरे जैसा हूँ

मेरे ही गुनाह क्यों गिनता है कभी अपने पाप भी गिनती कर
तब जा के  हिसाब हो पायेगा   तू कैसा है मै  कैसा हूँ


Thursday, July 23, 2020

अब दर्द नहीं होता



मैंने प्यार किया जिनसे,  उनसे  नाराज़ नहीं होता 
हाँ अब  खुलके नहीं हँसता अब  छुपके नहीं रोता

जो मेरा ही हिस्सा थे  वो भी ना रहे  अपने
जो थे ही नही मेरे , क्या उनसे गिला होता

मालूम अगर होता कि  फल ऐसे लगने है
या फसल जला देता या बीज नहीं बोता

जो तुम ने किया मुझ संग कोई  बात नयी तो नहीं
किनारा मिल जाने पर , कोई कश्ती नहीं ढोता

 कोई ज़ख़्म अब देता है तो खुद पे हंस लेता हूँ
सच कहता हूँ दोस्त   मुझे अब दर्द नहीं होता

 करोना पर मुझसे क्या अब बात करोगे तुम
 छोटा न करो तुम दिल मुझे करोना  नहीं होता

अभी ज़िंदा रहना है और उस हद तक रहना है
जब तक मेरे ज़ख्मो का इन्साफ नहीं होता

मै  भी तो जरा देखूं   कांटो पे सुला के मुझे
फूलों की सेज़ पे खुद ,  कब तक है कोई सोता

तुम छत  तक क्या पहुंचे  सीढ़ी  ही हटा डाली
कभी आना पड़ा नीचे तो सीढ़ी को रहेगा  रोता

मेरी छोडो यारों  अब  अपनी सम्भालो तुम
कहते हैं मतलबी का अंत अच्छा नही होता




Wednesday, March 18, 2020

कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

ना हाथ मिलाना न गले ही लगना
मिलने पे हमेशा नमस्ते तुम  करना
बे वजह किसी को
 छुओ ना छुओ ना तुम छुओ ना
डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

आँख नाक या मुंह के रस्ते
घुसता है ये  वायरस हँसते हँसते
ये घुस ना पाए  इसका  है उपाए
इन्हे हाथ धोये बिन  छुआ ना जाए
छुओ ना छुओ ना तुम छुओ ना
कुछ ना कर पायेगा ये कोरोना
डरो ना डरो ना डरो ना तुम डरो ना

जब छींको खांसो मुंह पर रुमाल हो
विषाणु ना फैले बस इतना ख्याल हो
भीड़ भाड़ में बेवज़ह जाना बंद करो बंद करो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना
डरो  ना डरो  न तुम डरो ना

हाथो को अक्सर सैनेटाइज़ करना
कोरोना से फिर काहे डरना
साबुन पानी से अक्सर हाथ धोना
फिर क्या कर  लेगा तेरा कोरोना
 डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

Friday, March 13, 2020

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में

अब तक तो जितने यार मिले
या मतलबी या गद्दार मिले

आँखों में बसाया जिसको भी
वो आंसू  बन के  बह  निकला
अब दिल में बसाया है  तुमको
देखें क्या हमे इस बार मिले

अहसास अगर मर जाए तो
रिश्तों में बता बाक़ी क्या बचा
क्यों लाश सा रिश्ता वो ढोना
ना वफ़ा मिले ना प्यार मिले

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में
ये तो मरना हुआ  किश्तों में
जीना तो उसी को  कहतें है
जिसमे अपनो का प्यार मिले

चाहत से नही होता कुछ भी
जी जान लगाना पडता  है
मंजिल हो अगर आकाश में तो
पंखो को फैलाना पड़ता है

तू  पंख फैला के देख जरा
आकाश लगेगा छोटा  सा
हाँ पंख फैलाने की खातिर
हिम्मत को जुटाना पड़ता है

पिंजरे का पंछी क्या बनना 
दाना चोगा तो बैठें मिला
पर जब भी कभी उड़ना चाहा
बंद  पिंजरे के सब द्वार मिले 




बद से बदतर हो चुका है आदमी

  बेहतर से बेहतर होने का लाख वो दावा करे
 मेरी नज़र में बद से बदतर हो चुका है आदमी

पहले मरहम की तरह काम आता था कभी
अब सिर्फ काँटा या नश्तर हो चुका है आदमी

पहले  टूटते  थे दिल तो  अक्सर जुड़ भी जाते थे
अब टूटे दिल जोड़ने का हुनर खो चूका है आदमी

जंगल से शहर का सफर तय तो किया पर क्या हुआ
जंगली से  अब शहरी जानवर हो चुका है आदमी

माना कि पढ़ लिख गया पर  इस से ज्यादा क्या हुआ
अनपढ़ था अब शिक्षित जानवर  हो चुका है आदमी

दर्द की कोई चीख क्यों अब कोई भी सुनता नहीं 
 क्या गहरी नींद  इस कदर सो चुका है आदमी

आदमी से आदमी हो  बेहतर ये   होड़ ख़त्म है
बस चेहरा संवारने में माहिर हो चुका है आदमी

 अब किसी के ग़म में क्यों आँसू नही आता कोई
अपने ग़मो  में  इतना ज्यादा रो चुका है आदमी

अब किसी को  भी परखना तेरे मेरे बस में नही
यूँ  रंग बदलने में माहिर हो चुका  है आदमी

मेरी क्या अब किसी की भी कोई सुनता नही
अपनी धुन में  मग्न इस कदर हो चुका है आदमी

बिखरे रिश्ते टूटे सपने और ज़ख्मी दिल लिए
शायद अब जोड़ने का हुनर खो चूका है आदमी

जागने का वक्त है और  सो चुका है आदमी
मानो ना मानो बद से बदतर  हो चुका है आदमी