Thursday, June 29, 2017

किसी एक का होकर रहना ये उसकी फितरत में नही


पालने का ही शौक है तो फिर, नस्ल देख कर पाला कर
वरना इक दिन जान तुम्हारी आफत में आ जायेगी
गली की कुत्तिया पालोगे  तो आखिर जात दिखायेगी
इक दिन तेरी टांग पे अपने पैने दांत गड़ाएगी
भोंकना उसकी रही है आदत अक्सर बेवज़ह भोंकेगी
तू उसको पुचकारा करेगा पर वो तुझ पर  गुर्राएगी
किसी एक का होकर रहना ये उसकी फितरत में नही
आज वो तेरे घर में है कल और नज़र कहीं आयेगी
गली के कुत्तो के संग मस्ती उसको अच्छी लगनी है
तेरे नाम का पट्टा गले में कब तक पहन वो पायेगी
लाख खिलाना उसको अच्छा, लाख तू उसका रखना ध्यान
देखके थाली भरी किसीकी जीभ उसकी ललचायेगी
इधर उधर मुँह मारना उसकी आदत है मज़बूरी भी
जब भी मौक़ा लगेगा वो कहीं मुहँ मार ही आयेगी
कभी कहीं कोई गली का कुत्ता जब उसको मिल जाएगा
छोड़के तेरा दर तू देखना उसके संग हो जायेगी
वफा के नाम पे इस दुनिया में बस धोखा ही धोखा है
मज़बूरी रहने तक दुनिया वफा निभाती जाएगी
यहाँ बेवफाई भी दुनियां करती बड़ी चतुराई से
तेरे दिल में रहते रहते, किसी और की होती जाएगी
मुर्गी तुम्हारी तुम मुर्गी के, फिर भी कुछ नही कह सकते
मुर्गी दाना कहाँ चुगेगी ,अंडा कहाँ दे आएगी

खुद को इतना कमज़ोर ना कर जो देखे दबाने की सोचे

चेहरे पे मायूसी, आँखों में नमी , दुनिया के ताने, उलहाने
देख ले किसीको क्या मिलता है  तेरा साथ निभाने में

प्यार भी था मरहम भी था दवा भी थी दुआ भी थी
कौन सी चीज़ की कमी थी यारा आखिर तेरे खजाने में

उतना ही मिलता है सबको , जो जितने  के लायक हो
 क्यों ललचाना  देख के कितना माल तेरे ख़ज़ाने में

अपने प्यार को खोने का गम कैसा और कितना होता है
समझेगा,  खो देगा जब , तू प्यार  जाने अनजाने में

खुद को इतना कमज़ोर ना कर जो देखे दबाने की सोचे
ताकतवर को समय नही लगता कमज़ोर को खाने में

जैसा तूने तड़पाया है,  ऐसे भी कोई तड़पाता है क्या
क्या पाया  है ये तो बता ,  ऐसे मुझ को तड़पाने में


मेरे प्यार की लाज तू रख ले खुदा मेरा प्यार कहीं बदनाम ना हो

ए  मेरे खुदा कुछ ऐसा कर  हालात कुछ ऐसे बन जाएँ
मेरी चाहत मुझको मिले ना मिले उसे उसकी चाहत मिल  जाए

तूँ  उसकी खुशी उसको दे दे, बदले में तू मेरी खुशी ले ले
इतने में जो दाम ना पूरा चुके , बदले में तू  मेरी जां  ले ले

वो प्यार बहुत करती है उसे,  शायद उस बिन ना जी पाए
मेरा क्या है जी लेता हूँ,  कोई मिल जाए या खो जाये

वो भोर की  पहली किरण है उसको लंबा सफर तय करना है
मै  तो हूँ इक ढलता सूरज कुछ देर में मुझ को ढलना  है

 उसे ऐसा उभरता सूरज दे  जिसकी कभी कोई  शाम ना हो
मेरे प्यार की लाज तू रख ले खुदा मेरा प्यार कहीं बदनाम ना हो

मेरी खुशियों की परवाह ना कर ऐ  खुदा मै  सब कुछ सह लूंगा
अब तक भी अकेला रहता रहा,  आगे भी अकेला  रह लूंगा

 उसकी आँख से आंसू बहे,     मै  कैसे खुश रह सकता हूँ
 उसकी खुशी के लिए   , जुदाई भी उसकी सह सकता हूँ