Tuesday, July 28, 2020

तब जा के हिसाब हो पायेगा तू कैसा है मै कैसा हूँ

ना मरहम है तेरे हाथो में ना दि ल में तेरे गुंजाइश है
फिर दुखती रग पे उंगली रख क्यों  पूछ रहे हो कैसा हूँ

जब बस में नहीं कुछ भी तेरे हमदर्दी जता कर क्या होगा
अच्छा है ना पूछो हाल मेरा  मुझे रहने दो मै जैसा हूँ

जखम दिए सदा  अपनों ने , और गैरों ने  सिर्फ कुरेदा है
इस पे भी  शिकायत है उनको मै क्यों ऐसा हूँ या वैसा हूँ

कभी तू  फिसला जो मेरी तरह और चोट लगी कभी मुझ जैसी
तब समझगो मै  ना था   पत्थर मै  भी इन्सा  तेरे जैसा हूँ

मेरे ही गुनाह क्यों गिनता है कभी अपने पाप भी गिनती कर
तब जा के  हिसाब हो पायेगा   तू कैसा है मै  कैसा हूँ