Wednesday, June 6, 2012

हमने तो जिंदगी का रुख ही मोड़ दिया है

हमने तो जिंदगी का रुख ही मोड़  दिया है
जाने खुदा अच्छा बुरा हमने क्या किया है 

जिसे  चाँद तारे तोड़ने हों तोड़ता रहे
हमने तो चाँद देखना  भी छोड़ दिया  है

इस जिंदगी की राह में जो भी बेवफा मिले
उनमे तेरा इक नाम और जोड़ दिया है

नहीं साँसों से उम्मीद से जिंदा  हैं हम सभी   
तुमने  दांमन उम्मीद का  क्यों छोड़ दिया है

मंजिल ही मिल गयी तो फिर बाकी बचेगा क्या
राहों  का रुख उलटी दिशा को मोड़ दिया है

 शीशा भी टूट जाए तो नहीं जुड़ता पहले सा
हमने तो  टुटा  दिल भी  फिर से  जोड़ लिया है

अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए जिए मरे
ऐसे सनम से दिल लगाना छोड़ दिया है