Thursday, March 19, 2015

यूँ प्यार नहीं करते मेरी मान ऐ जानेमन

उसको भी शिकायत है  हम को  भी शिकायत है
दिल माने तो क्यों माने कि दोनों में मोहब्बत है

कुछ फूल भी बोये थे मेहनत से बहुत हम ने
कांटे ही नज़र आये ,मौसम की शरारत है

मंज़िल के करीब आके यूँ राह बदल लेना
कुछ उसका मुकदर है कुछ अपनी भी किस्मत है

चाहकर भी मनचाहे रंग भर पाये नहीं हम तो
शायद तस्वीर में  कुछ पहले की कोई रंगत है

वो मुझ से करे नफरत मै  प्यार इसे मानू
कुछ सोच है ये उसकी कुछ दुनिया की फितरत है

इक बार कोई रूठे तो सो बार मनाओ उसे
हर रोज़ कोई रूठे, छोडो, उसकी ये आदत है

यूँ प्यार नहीं करते मेरी मान ऐ जानेमन
जिसमे ये लगे लगने ये कौन सी आफत है










 

Wednesday, March 18, 2015

रौशनी के लिए घर जलाएगा कौन

है बहुत प्यार तुझसे हमे  ज़िंदगी
लेकिन  नखरे तुम्हारे उठाएगा कौन

है चाहत हमे भी बहुत  रोशनी की
पर इसके लिए  घर जलाएगा कौन

 है मन में तो आता  रूठे तुझसे हम
तेरी  तरह मुझे पर मनाएगा कौन

क्या पता छोड़ कर चल तू दे कब हमे
ऐसी चाहत  गले फिर लगाएगा कौन

प्यार के नाम पर डाले बंधन हज़ार
ऐसा पट्टा गले में  डलवायेगा  कौन

जिसे अपने सिवा कुछ ना आये नज़र
उसे  अपने  ज़ख़्म फिर दिखायेगा  कौन

लूली लंगड़ी सी हम को मिली ज़िंदगी
उम्र भर इसको काँधे  उठाएगा   कौन

तेरी चाहत  पाने की थी चाहत बहुत
 तेरी मुंह मांगी कीमत चुकाएगा कौन
 

Tuesday, March 17, 2015

तुझे पाके हमने आखिर ये तो बता क्या पाया

ज़िंदगी तुझे खोने का क्यों हो गम ज़रा भी हमको
तुझे पाके हमने आखिर ये तो बता क्या पाया

 रही उम्र भर डराती मुझे बेवज़ह तू अक्सर
अब तो याद भी नहीं  है कब तुझ पे प्यार आया

ये हुआ तो तब क्या होगा वो हुआ तो तब क्या होगा
इसी सोच में ही  हमने सारा समय गवाया 

हर वक़्त की मुसीबत हर समय का रोना धोना
बेवज़ह दबाव हरदम है कब किसको रास आया
 
कभी ये भी सोच कर देख तेरे मुक़ाबिल हमने
जिसे  मौत है तू कहती क्यों हमने गले लगाया