Wednesday, March 15, 2017

फर्क रहा क्या ऎसी गर्ल फ्रेन्ड होने या ना होने में

अपनी जो होनी थी होली,   हो ली   हो ली  हो ली
जो थी कभी हमारी  वो अब और किसी की  हो ली
ले तोड़ दी हम ने सारी कसमे फिर ए  मेरे हमजोली
हर इक  गम को ताक पे रखके  हमने मना ली होली

तुझ को ही जब  भाने लगा है साथ कोई अनजाना
मिल ही जाएगा हमको भी अब कोई और  ठिकाना
जाने कब से खेल रही हो तुम मुझ से आँख मिचोली
हर इक गम को ताक  पे रखके  हमने  मना ली  होली

कल तक मेरा ही होने की खाती थी जो कसमे
आज उसे याद आने लगी है रीति रिवाज और रस्मे
खुशियों का वादा था भर दी गम से मेरी झोली
हर एक गम को ताक  पे रख के हमने मना ली होली

वैसे भी खुदग़रज़  लोग हैं कहाँ किसी के होते
जब तक मतलब रहता है बस तब तक रिश्ते ढोते
ऐसे लोगो की क्या परवाह मारो इनको गोली
हर इक  गम को ताक पे रखके   मैंने   मना ली होली

प्यार के रंग से बचने को जा छुपी है जो किसी कोने में
फर्क रहा क्या ऎसी गर्ल फ्रेन्ड होने या ना होने में
इतना प्यासा  रखा अब तो प्यास छूमन्तर  हो ली
हर इक  गम को ताक पे रखके हमने मना ली होली


झूठ मूठ का गले लगे लो मन गए सब त्यौहार

मुँह  देखे की यारी रह गयी मुंह देखे का प्यार
नाम के रह गए सारे रिश्ते बिखरे बिखरे परिवार

खून के रिश्ते पानी हो गए  मुंहबोले रिश्तों ने मुंह फेरा
पल पल रंग बदलता रिश्ता तेरा हो या मेरा

लेने वाला रिश्ता  हैं सब  रखने को तैयार
देने वाला रिश्ता सब को  लगने लगा है भार

रस्मी तौर पर मिली बधाई, बेमन से मिले उपहार
झूठ मूठ का  गले लगे, लो मन गए सब त्यौहार

दिल से अब जज्बात नही बस जुबां  से शब्द निकलते हैं
अब तो चमन में बिना महक के फूल ही अक्सर खिलते हैं

जो नही मिला है उसका गिला  जो मिला है उसको भूले
गिरा हुआ ही मानो उसे,  वो चाहे कितनी ऊंचाई  छू ले

तुम ही कहो फिर और कहाँ से दे तुमको भगवान्
दिया था जो भी,   कौन सा उसका मान लिया अहसान

मैं  तो अपनी कहता हूँ तू मान मेरी  ना  मान
जानवर से भी बदतर है जो भूल जाये अहसान