Saturday, April 18, 2009

Nothing comes free nothing free of cost
 One thing we gain other is lost
 So goes true for marriages the most
 Wife we get but life is lost
 The only unhappiness we happily embrace
Winner always loses what a funny race
 I FAIL TO UNDERSTAND SURELY i FAIL
 Why wife a jailor why house a jail
 If ever freedom comes it is on the bail
 Marriage is gamble never play it friend
Live-in-together is safest latest trend
This bet is gone whatever you choose
Heads she wins and tail you lose
 Once cross adolescence reach adult age
 Society always takes full advantage
All around you set such a stage
 King of the jungle self enters the cage
 Caged he can eat drink and roar
 But sorry he can't do,any thing more
No choice no freedom nowhere to go
 Master to dictate and he to follow
 Lives on whatever in the cage supplied
 I call him dead you call him satisfied
Whether it is success or it is flop
 fREEDOM OR Happiness MARRIAGE full stop

Friday, April 17, 2009

कश्ती डूबने से जयादा गम हुआ इस बात का
 दोस्त भी शामिल थे  साहिल के तमाशाईयो मे

 बातें ही करते है सब इमदाद कुछ करते नही
दोस्ती अब रह गयी है गजलो और रुबाईयो मे

कौन बूढी मां को रखे कौन रखे बाप को
बहस है छिडी हूई कई रोज से दो भाईयो मे

 मुर्गी तो जान से गयी झटका हो कि हलाल हो
फर्क करते रह गये हम दो तरह के कसाईयो मे

क्या क्या किये बुढापे को छुपाने के हमने   यत्न
पर राज सारे खोल डाले चेहरे की झाईयों  ने

 देखो तो किस मुकाम पे यारो ने पंहुचाया हमें
 हैं भीड मे तन्हा मगर तन्हा नही तन्हाईयो मे

कतरे कतरे से समुन्दर बन नही सकता कभी
 जान लोगे उतरोगे जब इसकी तुम गहराईयों में

मेरी बरबादी पे दुश्मन किस लिये इतरा रहे
अपने  सब  शामिल थे मेरे मेरी इन तबाहइयों मे

Thursday, April 16, 2009

ये समझने की नही जीने की शै है जिन्दगानी

मौसमी बरसात सा भी क्यों बहे आँखों से पानी
दर्द के गलेशियर पिघलने की बन कर निशानी
खाली रख आन्खे अगर सपना बसाना है कोइ
भर ना आँखों मे कभी कतरा कतरा खारा पानी
जीना है तो मौज से जी हरइक लम्हा जिन्दगी का
फिर नही मिलना तुझे क्या बुढापा क्या जवानी
ये किताबों का लिखा किस काम का तेरे लिये
वो थी उनकी जिन्दगी ये है तेरी जिन्दगानी
क्या हुआ कैसे हुआ और सब क्योंकर हुआ
क्या करोगे जान कर बोलेंगे सब झूठी कहानी
ये समझने की नही जीने की शै है जिन्दगानी
ना समझने मे गवाँ समझकर होना है क्या
जो तुझे अच्छा लगे वो करगुजर और मस्त रह
खत्म तो हर हाल होनी है सभी की जिन्दगानी
शुरुआत से अन्जाम का अन्दाजा क्या लगाई ये
क्या पता किस मोड से क्या मोड ले जाये कहानी
मेरी चाहत और उम्मीदे तुझसे थी सबसे अलग
तूने चाही यारी लेकिन औरो की तरह निभानी
आसमा पडता है छोटा बढने लगते जब कदम
रुकने पे दो गज जमी खत्म कर देती कहानी
सपने तेरे है तो फिर पूरे भी करने तुझ को है
कोई दे तेरे लिये क्यों अपने सपनों की कुर्बानी

Wednesday, April 15, 2009

ठोकर लगने पर समझ आ जाये जरूरी ये नहीं

दोस्त जब अहसान उन्गलियों पे गिनवाने लगे
बेखौफ हम अहसान फरामोश हो जाने लगे
तुम देखना इक रोज ये तस्वीर बदलेगी जरूर
हालात से फिर बेवजह कोई क्यों घबराने लगे
आप तो कहते थे बारिशों का ये मौसम नही
आसमां पे फिर घने बादल हैं क्यों छाने लगे
क्यों मिटा रहा है तूँ राहो से कदमो के निशा
क्या खबर कब कौन वापिस लौट के आने लगे
मानी उसकी बात यूँ जैसे खुदा का हो कहा
बात जब अपनी रखी तो उठके वो जाने लगे
आज पतझड है तो कल बहार आनी है जरूर
क्या हुआ पत्ते अगर शाखों से गिर जाने लगे
मौसम ए बहार माना आयेगा इक दिन जरूर
उनका क्या जो बनके ठूंठ आज गिर जाने लगे
मेरी सूरत आपकी सूरत से कुछ अलग ना थी
आईना सब लोग क्यों मुझको ही दिखलाने लगे
मै गलत ना था मगर कमजोर जब मै पड गया
इल्जाम इक इक कर के सारे मेरे सर आने लगे
ज़िन्दगी उतरी है जिद पे फेल करने को हमे
मुश्किल सवाल सारे मेरे हिस्से हैं आने लगे
ठोकर लगने पर समझ आ जाये जरूरी ये नहीं
हम गिरे गिर कर उठे उसी राह फिर जाने लगे

Tuesday, April 14, 2009

बेसबब मचा है शोर कि मौसम बदल गये हैं
सच तो है ये मेरी जां हम तुम बदल गये हैं
बस बात बात मे ही सब बदल गयी है बात
कुछ तुम बदल गये हो कुछ हम बदल गये हैं
बेवजह उदास रहना कुछ बन गयी है आदत
और कुछ खुशी के सारे आलम बदल गये है
अब खुल के हंसना रोना है भूलने लगे सब
खुशियों बदल गयी है मातम बदल गये हैं
ना जाने जख्म कोई भ्ररता नही क्यों सदियों
नश्तर बदल गये या मरहम बदल गये हैं
कोई जुल्म देखकर भी नहीं खून खोलता
अब बदला है कुछ लहु या दमखम बदल गये हैं
लहरा रहा है अब तो हर शख्स अपना झन्डा
बदली है कुछ हवा कुछ परचम बदल गये हैं
ये दोस्ती,मोहब्बत ये जन्मों जन्म के रिश्ते
बदली है जब जरूरत उसी दम बदल गये है
मजबूरीयों को हिम्मत का नाम दे रहे सब
अब सूली पे चढाने के नियम बदल गये है
कभी खुदकशी शहादत कभी हादसा शहादत
शहादत बदल गयी  शहीदएआजम बदल गये हैं

Monday, April 13, 2009

लिखो अब ऐसी गजल जिसके हरइक लफ्ज मे

क्या दिखाये ख्वाब,सच क्या सामने आने लगे
 ए फरेब-ए-जिन्दगी,हम तुझसे घबराने लगे
 किस किस्म के बीज थे जाने कैसी जमीन थी
पोधो पे फूलो की जगह कान्टे नजर आने लगे
 यूँ मानने को मान लेता हूँ तेरी हर बात मैं
 वैसे तो हर बात तेरी मुझ को बेमायने लगे
 अब तेरे मेरे बचने की उम्मीद बचती है कहां
 हमको बचाने वाले तो खुद को बचाने मे लगे
 खेत मे तू ही बता कोई फसल बचती हैं कभी
 खेत की जब बाड़ खुद ही खेत को खाने लगे
 दूरी की बात और थी नजदीक जब गये कभी
 ये ऊन्चे कद वाले सभी बौने नजर आने लगे
 पढके अब गजलें नयी कुछ भी नया लगता नहीं
 वही मतले हैं वही काफिया वही शेर पुराने लगे
 लगता है कि लोग अब थोडा कांट छांट कर
 कुछ बासी फूलो से नये गुलदस्ते बनाने लगे
 लिखो अब ऐसी गजल जिसके हरइक लफ्ज मे
 हों गुल नये गुलशन नया मौसम नया छाने लगे

Sunday, April 12, 2009

मन मे सबके आँख मछली की निशाने पर ही है

देखते है कौन कब तक चेहरा अपना छुपायेगा
 लाख परदो मे हो इक दिन सामने आ जायेगा
रिश्ता भी झूठा है उसका प्यार भी झूठा सनम
जो इसे सच मान लेगा वो बहुत पछतायेगा
 ये जो प्यार प्यार रटता फिर रहा है रात दिन
 है आग वासना की मौका मिलते ही बुझायेगा
 रिश्ता है खुदगरजी का प्यार का बस नाम है
 रावण है साधु वेष मे सीता हरण कर जायेगा
 बेसबब भटकेगा क्यों कोई शख्स तेरी राहों मे
 माल भी तो वसूलेगा जब दाम कोई चुकायेगा
 मन मे सबके आँख मछली की निशाने पर ही है
 ये और बात है निशाना किसका कब लग पायेगा
 मन्जिल है सब की एक रस्ते हों भले जुदा जुदा
 सीधा कोई पहुंचेगा कोई घूम के वहां आयेगा