Wednesday, July 29, 2009

हार को समझौते का नाम देकर इस जीत का रंग ना दो

जागती आन्खे बन्द कर सपने देखने का मै आदी नहीं
चाहो तो कह सकते हो मै तुम सा आशावादी नहीं
जब तक शीशा देखा ही नहीं क्या पता कि सूरत कैसी है
कागज पे उतारो तो जाने मन मे बसी मूरत कैसी है
ऐसा वैसा जैसा भी है सच तुम्हे मानना ही होगा
आज नहीं तो कल इस नगें सच का सामना भी होगा
यथार्थ को तुम निराशा कहो ये बात समझ मे आती नही
बन्द आँख कर लेने पर बिल्ली क्या कबूतर खाती नही
बेहतर है कबूतर उड जाये और उड कर जान बचा डाले
या फिर चोन्चे मार मार बिल्ली को घायल कर डाले
सच देख के आन्खे बन्द ना कर सच सच है ये सच मान ले तूँ
हो सके तो सच को लड़ के जीत क्यों उसको नियति मान ले तूँ
जीवन है अगर संग्राम तो फिर तुम मरोगे या तो मारोगे
और जीवन है संघर्ष तो फिर तुम जीतोगे या हारोगे
इस जंग से बच सकते ही नहीं या झुकना है या झुकाना है
हारे तो समर्पण करना है जीते तो फिर करवाना है
हार को समझौते का नाम देकर इस जीत का रंग ना दो
हार गये तो हार गये इस हार से क्या घबराना है
हार भी सच है जीत भी सच है झूठ सिर्फ समझौता है
आँखे बन्द कर ख्वाब देखना आशावाद कब होता है
आशावाद तो लडना है जब तक जीत नहीं होती
समझौता घुटने टेकना है बाद इसके जीत कहाँ होती

Tuesday, July 28, 2009

प्यार करते हो तो सरेआम कहो करते हैं


प्यार में दर्द का अहसास ही कब होता है
प्यार जब आधा अधूरा हो ये तब होता है

दर्द जब हद में रहे तब ये रूलाता है बहुत
दर्द जब हद से गुजर जाये दवा होता है

प्यार तड़पाता,रुलाता है,सताता है बहुत
प्यार जो अपने ही दायरों मे घिरा होता है

प्यार जब हद से गुजर जाये तो फिर क्या कहना
प्यार में सारे जमाने का मजा होता है

प्यार में रोने रूलाने का चलन है तब तक
जब ये अपनी ही जंजीरो मे बंधा होता है

अपने संस्कारो की जंजीरे जरा तोड़ के देख
अपने दायरों से निकल अहम जरा छोड़ के देख

प्यार करते हो तो सरे आम कहो करते हैं
यार से साफ कहो तुम पे बहुत मरते हैं

कोई भी अहम तूँ आड़े ना आने दे कभी
रूठ के प्यार को तूँ दूर ना जाने दे कभी

खा कसम  डर या वहम दिल मे ना तेरे आयेगा
तूँ कदम आगे बढा जहाँ खुद पीछे ह्ट जायेगा

हाँ ये हो सकता है कुछ चर्चे रहें दो चार दिन
इससे ज्यादा तूँ बता कि और क्या हो जायेगा

थोडी ताकत थोड़ी सी हिम्मत जुटानी है तुम्हें
प्यार तेरी सारी दुनियां को हसीं कर जायेगा

वो कहेगा कब कहेगा इसका ना इंतजार कर
तुम कहोगे पहले तो इसमें तेरा क्या जायेगा

तेरे दामन के पकड़ने में ही दिखती ढील है
वरना क्या हिम्मत जो वो दामन छुड़ा ले जायेगा

Monday, July 27, 2009

वो कहेगा कब कहेगा इसका ना इंतजार कर


प्यार में दर्द का अहसास ही कब होता है
प्यार जब आधा अधूरा हो ये तब होता है

दर्द जब हद में रहे तब ये रूलाता है बहुत
दर्द जब हद से गुजर जाये दवा होता है

प्यार तड़पाता,रुलाता है,सताता है बहुत
प्यार जो अपने ही दायरों मे घिरा होता है

प्यार जब हद से गुजर जाये तो फिर क्या कहना
प्यार में सारे जमाने का मजा होता है

प्यार में रोने रूलाने का चलन है तब तक
जब ये अपनी ही जंजीरो मे बंधा होता है

अपने संस्कारो की जंजीरे जरा तोड़ के देख
अपने दायरों से निकल अहम जरा छोड़ के देख

प्यार करते हो तो सरेआम कहो करते हैं
यार से साफ कहो तुम पे बहुत मरते हैं

अपना कोई अहम तूं आड़े ना आने दे कभी
प्यार को रूठ के  दूर ना  जाने दे कभी

खा कसम डर या वहम दिल मे नहीं आयेगा
तूँ जरा  आगे तो बढ़  पीछे जहाँ हट जायेगा

हाँ ये हो सकता है  कुछ चर्चे रहें दो चार दिन
तूँ बता कि इससे ज्यादा और क्या हो जायेगा

थोडी ताकत थोड़ी सी हिम्मत जुटानी है तुम्हें
प्यार तेरी सारी दुनियां को रगीन  कर जायेगा

वो कहेगा कब कहेगा इसका ना इंतजार कर
तुम कहोगे पहले तो इसमें तेरा क्या जायेगा

तेरे दामन के पकड़ने में ही दिखती ढील है
वरना क्या हिम्मत जो वो दामन छुड़ा ले जायेगा