दो चार कदम ही सही कुछ दूर संग तो चल
ता उम्र यूँ भी किसने दिया है किसीका साथ
उंगली ही पकड इतना भी सहारा है बहुत
कमबख्त कौन कहता है कि थाम मेरा हाथ
दो चार घूंट ही सही जो दे सके वो दे
मै कहाँ कहता हूँ दे भर भर मुझे गिलास
इस कदर इक उम्र से प्यासे रहें हैं हम
कूँए को पास पाके भी जगती नही अब प्यास
प्यासे की प्यास कम रही या थी बहुत अधिक
इस प्यास का कैसे कोई कर पायेगा अह्सास
बस ओस की दो चार बून्दे जीभ पर रख कर
प्यासे ने गर बुझा ली अपनी उम्र भर की प्यास
हर इक देखकर भी नहीं देखता कमबख्त
न जाने कौन शख्स की करता है दिल तलाश
सारे वफादारों से तो मिलवा चुका हूं मै
लगता है किसी बेवफा की है इसे तलाश
ता उम्र यूँ भी किसने दिया है किसीका साथ
उंगली ही पकड इतना भी सहारा है बहुत
कमबख्त कौन कहता है कि थाम मेरा हाथ
दो चार घूंट ही सही जो दे सके वो दे
मै कहाँ कहता हूँ दे भर भर मुझे गिलास
इस कदर इक उम्र से प्यासे रहें हैं हम
कूँए को पास पाके भी जगती नही अब प्यास
प्यासे की प्यास कम रही या थी बहुत अधिक
इस प्यास का कैसे कोई कर पायेगा अह्सास
बस ओस की दो चार बून्दे जीभ पर रख कर
प्यासे ने गर बुझा ली अपनी उम्र भर की प्यास
हर इक देखकर भी नहीं देखता कमबख्त
न जाने कौन शख्स की करता है दिल तलाश
सारे वफादारों से तो मिलवा चुका हूं मै
लगता है किसी बेवफा की है इसे तलाश