Saturday, October 1, 2016

अब देख तू किस मोड़ पर आकर खडी है जिंदगी

लाख समझाया तुझे पर तू ना मानी जिंदगी
अब देख तू किस  मोड़ पर आकर खडी है जिंदगी

तूफान के आगे तुझे झुकना सिखाया था कभी
वक्त देख कर तुझे बचना सिखाया था कभी

पर पेड़ की तरह तू कुछ और भी तनती  गयी
बात बिगड़ती गयी तूने समझा कि बनती गयी

 वापिस तुरन्त हो जाइये   जो कोई कदम गलत उठे
  मंजिले खो जायेगी अगर  आगे  यूँ बढ़ती रही

 


   

बुलाने पर मेरे दस बार तुम आये तो क्या आये

कभी   तुम खुद  ब खुद  आते तो लगता प्यार है तुमको
बुलाने पर मेरे दस बार  तुम आये तो क्या आये

अभी ताकत है तेरे जिस्म में और जेब में  पैसा
तुझे परवाह क्या कोई तेरे साथ आये ना आये

खुदा का नाम लेकर क्यों मुझे नाहक डराता है
हो सकता है खुदा तुझसे भी पहले मेरा  हो  जाए

कभी तू प्यार करता है कभी तकरार करता है
कभी कुछ  ऐसा कर जिससे भ्रम पूरा ही मिट जाए