Thursday, January 11, 2018

इक आखरी उम्मीद थी वो भी अब दम तोड़ गयी



तुझ से ही  उम्मीद थी और तू भी हमको   छोड़ गयी
इक आखरी उम्मीद थी  वो भी अब  दम तोड़ गयी
मंज़िलो पे पहुंचना तो  दूर तक की बात थी 
तू तो पहले मोड़ पे ही अपना रास्ता मोड़ गयी
प्यार में मज़बूरियां किसको न थी और कब ना थी
मजबूरियों के नाम पर फिर तू क्यों दिल मेरा तोड़ गयी
रिश्ते बनाना तोड़ना तो कोई तुम से सीख ले
किस से था रिश्ता जोड़ना और किस से रिश्ता जोड़ गयी
हम तो नाहक ही तेरी किस्मत सवांरते रहे
तू है कि  किस्मत मेरी अपने हाथो  फोड़ गयी


Thursday, January 4, 2018

HAPPY NEW YEAR

Whatever you wish what ever you want
This year, to you , God may grant
May god fulfill one and all
Each of  your dreams big or small

Set your priorities,  and targets  clear
Remember, confusion always brings tears
Nothing is right nothing is wrong
Just be brave, bold and strong

Always, in yourself, you must believe
Only formula, for every thing to achieve
Damn others, do whatever you think is right
But of course, when you do , do it with full might
O else you prove that others were right.

Never choose/ accept the ROLE you can't play well
Or else It will make your and other's life hell 
Carry only the useful, lessen your load
Drop the useless or you will be dropped

Only then in the real sense O my 'dear'
It will prove  really HAPPY NEW YEAR

जिसे दुनिया के साथ चलना है वो मेरे साथ चल नहीं सकता

हालात कभी बदलेंगे नही,
खुद को भी तू बदल नही सकता
जिसे दुनिया के साथ चलना है
वो मेरे साथ चल नहीं सकता

जिसे  गिराने  को तैयार सारे बैठे हों
वो लाख चाहे तो भी संभल नही सकता
लाजवाब हुस्न  की फिसलन है तेरे दर पे बहुत
देखे तो कौन है ऐसा जो  फिसल नही सकता

बेवज़ह चाँद को पाने की कोशिशे में रहे
क्या दिया घर का अन्धेरा निगल नहीं सकता

आसमान छूने की वो बात करता फिरता है
घर के पिंजरे से तो बहार निकल नही सकता
 झूठे वादों से फ़रेब खाये है इस दिल ने बहुत
अब तो सच से भी तेरे ये बहल  नही सकता

ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी

ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी
ना पाने  को कुछ है ना खोने को ही

कर के हिम्मत फसल जब भी बोई है मैंने
या तो पाला पड़ा या गिरी बिजलियाँ
खेत खलिहान की क्यों मै  बातें करूँ
ना काटने को है कुछ  ना बोने  को ही

तू ख़्वाबों में आती तो रंगीन रात  होती
हकीकत  में मिलती तो क्या बात होती
ना ख़्वाबों में आती ना दिन में ही मिलती
ना जागने को है कुछ न सोने को ही

ना आँखों में आंसू बचा है कोई
ना चेहरे पे ही है हंसी की लहर
छोड़ कर  तुम गए ऐसे अंदाज़ से
ना हंसने को कुछ है ना रोने को ही

बेवफा गर कहूं तो बुरी बात है
और  वफादार कहने को माने ना दिल
ऐसा धोखा दिया है तूने  प्यार में
कोसूँ इश्क  होने को भी ना होने को भी

जोड़ कर तिनका तिनका बनाया था घर
एक आंधी क्या आयी गया सब बिखर
आसमां  अब है छत तो ज़मीं है बिस्तर
ना ओढ़ने को कुछ ना बिछोने को ही

 ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी
ना पाने  को कुछ है ना खोने को ही



Monday, January 1, 2018

अक्ल यहाँ आती है सबको खुद ही ठोकर खाने से

अक्ल यहाँ आती है सबको खुद ही ठोकर  खाने से
कहाँ समझता है कोई यूँ औरो के समझाने से

शमा की फितरत है जलाना परवाने को भी है पता
फिर भी बाज़ नहीं आता शमा को गले लगाने से

बरसेगा तो बीज खेत में  बोने  की भी सोचेंगे
 कुछ अंदाज़ नहीं लगता बदली के सिर्फ छा  जाने से

बूँद बूँद को तरसा  डाला तूने मय  के प्यासे को
वरना चाहता कौन था उठकर जाना तेरे मयखाने से

मिले बिना कभी तुझसे मुझको पल भर चैन ना आता था
फर्क नहीं क्यों पड़ता अब तेरे आने या ना आने से

हम को मतलब  मय से है या फिर तेरी आँखों से है
फर्क नहीं पड़ता हम को  किसी मीना  या पैमाने से

मै   तेरा दीवाना हूँ खुद को खो कर तुझे पाया है
रोक ना यारा खुद को अब  बाँहों में मेरी आने से

भरा पड़ा है  जिसका खजाना दुनिया भर की दौलत से
आज वो भी डरता फिरता है चंद  सिक्के  लूटने लुटाने से