अक्ल यहाँ आती है सबको खुद ही ठोकर खाने से
कहाँ समझता है कोई यूँ औरो के समझाने से
शमा की फितरत है जलाना परवाने को भी है पता
फिर भी बाज़ नहीं आता शमा को गले लगाने से
बरसेगा तो बीज खेत में बोने की भी सोचेंगे
कुछ अंदाज़ नहीं लगता बदली के सिर्फ छा जाने से
बूँद बूँद को तरसा डाला तूने मय के प्यासे को
वरना चाहता कौन था उठकर जाना तेरे मयखाने से
मिले बिना कभी तुझसे मुझको पल भर चैन ना आता था
फर्क नहीं क्यों पड़ता अब तेरे आने या ना आने से
हम को मतलब मय से है या फिर तेरी आँखों से है
फर्क नहीं पड़ता हम को किसी मीना या पैमाने से
मै तेरा दीवाना हूँ खुद को खो कर तुझे पाया है
रोक ना यारा खुद को अब बाँहों में मेरी आने से
भरा पड़ा है जिसका खजाना दुनिया भर की दौलत से
आज वो भी डरता फिरता है चंद सिक्के लूटने लुटाने से
कहाँ समझता है कोई यूँ औरो के समझाने से
शमा की फितरत है जलाना परवाने को भी है पता
फिर भी बाज़ नहीं आता शमा को गले लगाने से
बरसेगा तो बीज खेत में बोने की भी सोचेंगे
कुछ अंदाज़ नहीं लगता बदली के सिर्फ छा जाने से
बूँद बूँद को तरसा डाला तूने मय के प्यासे को
वरना चाहता कौन था उठकर जाना तेरे मयखाने से
मिले बिना कभी तुझसे मुझको पल भर चैन ना आता था
फर्क नहीं क्यों पड़ता अब तेरे आने या ना आने से
हम को मतलब मय से है या फिर तेरी आँखों से है
फर्क नहीं पड़ता हम को किसी मीना या पैमाने से
मै तेरा दीवाना हूँ खुद को खो कर तुझे पाया है
रोक ना यारा खुद को अब बाँहों में मेरी आने से
भरा पड़ा है जिसका खजाना दुनिया भर की दौलत से
आज वो भी डरता फिरता है चंद सिक्के लूटने लुटाने से
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