Thursday, January 4, 2018

जिसे दुनिया के साथ चलना है वो मेरे साथ चल नहीं सकता

हालात कभी बदलेंगे नही,
खुद को भी तू बदल नही सकता
जिसे दुनिया के साथ चलना है
वो मेरे साथ चल नहीं सकता

जिसे  गिराने  को तैयार सारे बैठे हों
वो लाख चाहे तो भी संभल नही सकता
लाजवाब हुस्न  की फिसलन है तेरे दर पे बहुत
देखे तो कौन है ऐसा जो  फिसल नही सकता

बेवज़ह चाँद को पाने की कोशिशे में रहे
क्या दिया घर का अन्धेरा निगल नहीं सकता

आसमान छूने की वो बात करता फिरता है
घर के पिंजरे से तो बहार निकल नही सकता
 झूठे वादों से फ़रेब खाये है इस दिल ने बहुत
अब तो सच से भी तेरे ये बहल  नही सकता

No comments: