Wednesday, December 9, 2009

इस जीवन में पड़ते पड़ते कई पासे उलटे पड़ जाते हैं

रिहते टूटें साथी छूटे लेकिन तूं आंखें नम ना कर

पतझड़ के मौसम में अक्सर पेड़ से पत्ते झड़ जाते है

अपनी धुन में मस्त रहे हो नहीं सुनी कोई बात किसी की

अपनी तरह से जीने वाले यूं ही अकेले पड़ जाते हैं

ये देख के तुफाँ के आगे कभी टिक पाना आसान नहीं

घास तो अक्सर झुक जाता है पेड़ हमेशा अड़ जाते हैं

जिद्द छोडो तो बेहतर है , है वक्त संभलने का अब भी

तेज तुफाँ में अड़ने वाले अक्सर जड़ से उखड़ जाते की

माना तुम खिलाड़ी हो पक्के पर ये चौसर का खेल नहीं

इस जीवन में पड़ते पड़ते कई पासे उलटे पड़ जाते हैं

Tuesday, December 8, 2009

चाह कर भी दूरीयां दोनों नही मिटा सके

चाह कर भी दूरीयां दोनों नही मिटा सके
हम भी ठहरे रह गए तुम भी ना चल के आ सके

 उलझन सुलझने की जगह और उलझती गयी
 कुछ तुम से ना सुलझ सकी कुछ हम नही सुलझा सके

 सब कुछ समझ के भी ना इक दूजे को कुछ समझ सके
 कुछ तुम नहीं समझ सके कुछ हम नही समझा सके

 बात बिगड़ी थी तो बन भी सकती थी चाहते अगर
 तुम ने भी चाहा नही  हम भी नहीं बना सके

 लौट कर पक्षी घरौंदे की तरफ सब चल दिए
 कुछ ऎसी राह भटके लौट कर ना वापिस आ सके

तेरे मिटाने से नहीं मिटना मेरा नामो निशां
इस हस्ती को तो नाम वाले भी नहीं मिटा सके

Sunday, December 6, 2009

सौतन के इन्तजार की तारीफ कर सके तो कर i

किस कद्र तकलीफ दी है जिन्दगी तूने मुझे

अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे

पहले तेरे बिन कभी कोई मुझे भाता न था

अब तुझ से दूर जाने की होने लगी चाहत मुझे

आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत नहीं

कल बहुत महसूस होगी मेरी जरूरत तुझे

पर मुझे अफसोस है तब मैं ना लौट पाऊंगा

सौत की बाहों में जो इक बार चला जाऊंगा

तुमने तो ठुकरा दिया तनहा किया भुला दिया

पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी

तुमने साथ ना दिया तो ना सही मर्जी तेरी

सौत तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी

सौतन के इन्तजार की तारीफ कर सके तो कर

जिस भी पल तूम छोड़ देगी वो मुझे अपनायेगी

छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की नहीं

जानती थी एक दिन तूं खुद उसे दे जायेगी

सौत तेरी हो तो हो पर मेरी महबूबा है वो

मैं भी खुशी से चलूँगा जब वो लेने आयेगी

दर्द तन्हाई का शायद तब तुझे महसूस हो

मैं चला जौउगा जब और तनहा तूं रह जायेगी

तूं सात फेरे में भी अपना बन सकी ना बना सकी

वो एक फेरे में ही मेरी जान तक ले जायेगी

मौत मेरी सौत तेरी बन के जब आ जायेगी

देख लेना उस घड़ी तूं बहुत पछताएगी

किस कद्र तकलीफ दी है जिन्दगी तूने मुझे

अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे

पहले तेरे बिन कभी कोई मुझे भाता न था

अब तुझ से दूर जाने की होने लगी चाहत मुझे

आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत नहीं

कल बहुत महसूस होगी मेरी जरूरत तुझे

पर मुझे अफसोस है तब मई ना लौट पाऊंगा

सौत की बाहों में जो इक बार चला जाऊंगा

तुमने तो ठुकरा दिया तनहा किया भुला दिया

पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी

तुमने साथ ना दिया तो ना सही मर्जी तेरी

सौत तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी

सौतन के इन्तजार की तारीफ कर सके तो कर

जिस भी पल tuu छोड़ देगी वो मुझे apanaayegii

छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की नहीं

जानती थी एक दिन तूं खुद उसे दे जायेगी

सौत तेरी हो तो हो pr मेरी महबूबा है वो

मैं खुशी से चल प्दुम्गा जब वो लेने आयेगी

दर्द तन्हाई का शायद का तब तुझे महसूस हो

मई चला जौउगा जब और तनहा टू रह जायेगी

टू सात फेरे में भी अपना बन सकी ना बना सकी

वो एक फेरे में ही मेरी jaan tak le जायेगी

maut मेरी सौत तेरी बन के जब aa जायेगी

देख लेना उस घड़ी तूं बहुत पछताएगी