मैंने प्यार किया जिनसे, उनसे नाराज़ नहीं होता
हाँ अब खुलके नहीं हँसता अब छुपके नहीं रोता
जो मेरा ही हिस्सा थे वो भी ना रहे अपने
जो थे ही नही मेरे , क्या उनसे गिला होता
मालूम अगर होता कि फल ऐसे लगने है
या फसल जला देता या बीज नहीं बोता
जो तुम ने किया मुझ संग कोई बात नयी तो नहीं
किनारा मिल जाने पर , कोई कश्ती नहीं ढोता
कोई ज़ख़्म अब देता है तो खुद पे हंस लेता हूँ
सच कहता हूँ दोस्त मुझे अब दर्द नहीं होता
करोना पर मुझसे क्या अब बात करोगे तुम
छोटा न करो तुम दिल मुझे करोना नहीं होता
अभी ज़िंदा रहना है और उस हद तक रहना है
जब तक मेरे ज़ख्मो का इन्साफ नहीं होता
मै भी तो जरा देखूं कांटो पे सुला के मुझे
फूलों की सेज़ पे खुद , कब तक है कोई सोता
तुम छत तक क्या पहुंचे सीढ़ी ही हटा डाली
कभी आना पड़ा नीचे तो सीढ़ी को रहेगा रोता
मेरी छोडो यारों अब अपनी सम्भालो तुम
कहते हैं मतलबी का अंत अच्छा नही होता