Thursday, May 29, 2008

घर फूँक तमाशा देखा है मैने इन दुनिया वालो का

क्यों व्यर्थ यत्न तुम करते हो बान्धने का मुझे बन्धन मे
 मै सूखी रेत के जैसा बन्द मुठठी से फिसलता जाँऊंगा
 मै दिवाना मन का मौजी जिस राह चला चलता ही गया
 किसी राह में खुशिया खडी मिली किसी राह मे गम मिलता ही गया
 घर फूँक तमाशा देखा है मैने इन दुनिया वालो का
तब जाकर उत्तर पाया है जीवन के कठिन सवालों का
 जब तक नीँद नही खुलती सच्चे सब सपने लगते है
और जब तक वक्त नही पडता सारे ही अपने लगते हैं
 जीवन साथी भी जीवन भर यहाँ साथ निभा नहीं पाता है
 तुम से क्या उम्मीद कि तुम से कुछ दिन का ही नाता है
 क्यो बान्धू मै तुम से खुद को इस बन्धन से क्या होना है
तुम से तो रिश्ता निभना नही दुनिया से भी रिश्ता खोना है

Tuesday, May 27, 2008

तुम जीत गयी मै हार गया

तुम जीत गयी मै हार गया
ना चाह कर भी जब तुमसे मै कर अनचाहा प्यार गया
 तुम ने तो कभी ये कहा नही तुम आओगी मुझसे मिलने
 क्यो दिल मे उमगें जगने लगी जब सान्झ लगी थोडा ढलने
 हर सान्झ ढले अम्बुआ के तले मै क्यो करने इन्तजार गया
 तुम जीत् गयी मै हार गया
 तुम थोड़ा सा क्या मुस्काई मै होकर पागल सौदाई
तुम्हें ऐसे अपना समझने लगा जैसे हो मेरी तुम परछाई
 है प्यार वही जो हो दोतरफा ये जान के भी
ना जाने क्यों मैं कर इकतरफा प्यार गया
तुम जीत् गयी मै हार गया रहने दे
जो बात अधूरी है नही होनी कभी ये पूरी है
ये जो तुम मे मुझ मे दूरी है
कुछ दोनों की मजबूरी है
मै प्यार बिना नही रह सकता
और तेरे लिये ये गैर जरूरी है
मानो ना मानो अपना तो
सारा जीवन बेकार गया
तुम जीत गयी मै हार गया

Monday, May 26, 2008

अब देखिये अन्जाम क्या होगा हमारी वफाओं का

मन्जिल ना थी नसीब मे तो मिलती किस तरह
मन्जिल कभी बदल गयी रस्ते कभी बदल गये
 मन्जिल ही नही ठीक या फिर रास्ते ही गलत है
 हम अकेले रह गये जिस राह को भी निकल गये
 शायद मेरी रफतार मे ही कुछ अजीब बात है
 कुछ तो पीछे रह गये कुछ लोग आगे निकल गये
 जिससे थी उम्मीद कि कुछ दूर संग चलेगा वो
 पहला मोड़ आया तो वो रास्ता ही बदल गये
 इल्जाम बेवफाई का बेशक मेरे सिर धर दिया
 सच ये है कि मुझ से पहले खुद ही वो बदल गये
 सुना हैं उस के दर पे फिसलन इस कदर मौजूद है
 जितने गये दर खुलने से पहले ही पहले फिसल गये
 अब देखिये अन्जाम क्या होगा हमारी वफाओं का
 आज तक तो गये जहाँ हम गिरते गिरते संभल गये