Sunday, December 26, 2021

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी

 

तूफ़ान आने पे वो कश्ती ना डूबेगी तो क्या होगा

तूफान आने से पहले दरकिनार जिसने किया माझी

 

अंधेरो से लड़ाई मोल लूँ तो किस भरोसे पे

महफ़िल में एक शमा थी वो भी तो ले गया साकी


कहाँ से रौशनी लाऊं   दिया कैसे रखूं जलता

न अब तो तेल बचा न ही बाती बची बाकी


जमाने भर के शिकवे या गिले क्यों मुझ से करता है

कभी तो अपने दिल में झांक कर भी  देखा कर साथी


दुआ दे या दवा दे फर्क कुछ पड़ने नहीं वाला

रिश्ता तो मर चुका कब से सिर्फ दफनाना है बाकी

Tuesday, December 21, 2021

मै तो माफ कर दूँ गलती कुदरत कभी करती नही ,

लंगड़े घोड़े की सवारी  और जान की बाज़ी लगी

हिम्मत तो जरा देखिये  मरियल से घुड़सवार की 


आसमां छूने की जिद्द है उस  परिंदे की अज़ब

जिसने पिंज़रे  की कभी देहलीज़ तक नही पार की 


रहना एक पिंज़रे में बन्द और आसमां तक की उड़ान 

ख्वाब बेमतलब का है  ये बातें है बेकार की 


खुद तो है दर दर भटकता  कोई सहारा ढूंढ़ता

दवा करता है कईयों की जिन्दगी संवार दी 


ना दुआ की ना दवा दी ना ज़ख्मों पर मरहम  लगा 

कद्र क्या करनी  बता  ऐसे तीमारदार की 


वक्त रहते ही संभल जाता तो कोई बात थी 

चोट खाई बेवज़ह तूने कुदरत की मार की 


मै तो माफ कर  दूँ गलती  कुदरत कभी करती नही ,

अहसानफरामोश की , खुदगर्ज़ की    गद्दार की 


थोड़ा किनारा क्या दिखा कश्ती से कूद मार दी 

सोचा  ज़रूरत क्या रही  नाविक कि या पतवार की 


 किनारे के पास  आके भी  डूबती है कश्तियाँ 

ये बात भूलने  की गलती  क्यों तुमने  बार बार की 












 

 


नया उसूल अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से

अकेला हूँ ज़रूरत है तेरी पर ये ना सोचना 

मेरी मज़बूरियों का यूँ कोई फायदा उठाएगा 

नया उसूल  अपनी ज़िन्दगी का बन गया अब से 

जो हमको याद रखेगा वो हमको याद आएगा 

नाहिंन चाहिए है फ़ोनों फ्रेंड ना बातों की ही हमदर्दी

करेगा जितना जो सहयोग वो हमसे उतना gaपायेगा 

गए वो दिन एक तरफा प्यार में पागल से फिरते थे 

करेगा प्यार जो हमको अब वो ही प्यार पायेगा

यकीन मानो ज़मीं उप्जाऊ है बंजर नहीं यारा

जरा तू बीज बो,, फिर देख फसल तूं कितनी पायेगा 


हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में भरा हर लेनदेन व्यापार है

ना किसी को भी अपना समझ ना किसीसे भी कह प्यार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


यहाँ दोस्त बनकर दोस्ती में दोस्त देते हैं दगा 

रिश्तों में रिश्तेदारों ने,  है रिश्तेदारों को ठगा

जब तक है दिखता फायदा तब तक ही रिश्तेदार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


तेरा इस्तेमाल है जब तलक तेरी कद्र रहनी है तब तलक

जब तक कुछ पढने को  बाकी है तब तक ही तो अखबार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


पहले तो लूटकर मुझे   बर्बाद कर दिया आपने 

 खैरात अब कोई देके आप   बन रहे  दिलदार है 

हर रिश्ता है मतलब रिश्तों में  भरा हर लेनदेन व्यापार है 


 




जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला

खामोशी को ना जो समझा जुबां को भी ना समझेगा 

फिर कह सुन कर क्यों  शर्मिन्दा  हुआ जाए किया जाए 

दुआ कर कर के मुझको   दुश्मनों  ने ज़िंदा रखा है 

मेरे अपने तो चाहते हैं कि कल का आज मर जाए  

परिंदों  पर पाबंदी है खुले में  दाना चुगने की 

परिंदा पेट भरने को सिवा पिंजरे कहाँ जाए 

फंसा एक बार पिंजरे में निकलना फिर नहीं मुमकिन 

परिंदा लाख पर मारे परिंदा लाख छटपटाये  

जिसे कहतें है सब शादी, है बर्बादी का कदम पहला 

निकल सकता नही बचके जो भी एक बार फँस जाए 

जो फायदा नीम का चाहिए चटोरी जीभ से कह दो 

बिना शिकवा गिले चुपचाप कडवापण सहा जाए  



नशा तो है नशा क्या अच्छा क्या खराब है

 अपने हर एक गुनाह पर परदे हजार डाल कर 

हर शक्स कह रहा है जमाना खराब है

अच्छा है कुछ सवालों  को सवाल रहने  दे  

वैसे भी हर सवाल का मिलता  कहाँ   जवाब है 

दिल जोड़ने की बात कभी तो किया भी कर 

हर वक्त ही दिल तोड़ने को क्यों बेताब है 

मुसीबतों का सिलसिला यूँ ही नहीं चला 

लड़की  है  बदनसीब ,गरीबी में शबाब है 

वो डरी डरी या बुझी बुझी रहती है आज कल 

उसे लोग  कहने लग   गए   " तू लाजवाब है " 

सता का दौलत का हो या शोहरात का हो नशा 

नशा तो है नशा क्या अच्छा क्या खराब है 


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हम चले जायेंगे और कहानियां रह जायेंगी

हम चले जायेंगे और कहानियां रह जायेंगी 

अपने पीछे कदमो की निशानियाँ रह जायेंगी

दे दवा मरीज़ को  या जखमों पर मरहम लगा 

उसके दिल में तेरी  यही मेहरबानियाँ रह जायेगी

बचपन को बचपन जैसा जी जवानी जवानी की तरह 

वरना बुढापे में सिर्फ पशेमानियाँ रह जायेंगी 

बनते थे होशियार और नादानियां करते रहे 

हर मोड़ पे मेरी सिर्फ नाकामियाँ रह जायींगी

साड़ी उम्र परेशानियों का हल ही ढूंढते रहे

पर  हम ख़तम हो जायेंगे   परेशानियां रह जायेंगी

गलतफहमियों में सारी जिन्दगी ही काट दी 

अब तो अपने सर सिर्फ बदनामियाँ रह जायेंगी   

Friday, June 4, 2021

भाग्य दुर्भाग्य या संयोग

                    पूर्व रचित या पूर्व लिखित या पूर्व निश्चित भाग्य नही होता  इसे ज्यादातर वो लोग मानते है जो या तो अपने द्वारा किये गए कामों की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते या फिर कारण और परिणाम ( Cause and  Effect)  सम्बन्ध ठीक से नहीं समझ पाते.!

                     हमारे जीवन में दिन रात कई  प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं ! इनमे से बहुत सी घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नही होता या काफी नियत्रण  नही होता ! हम प्रकृति का अंशमात्र हैं और इसलिए उस पर हमारा नियंत्रण भी उससे अधिक नहीं हो सकता परन्तु ऐसा नही कि ये घटनाएं  बिना किसी cause and effect के होती है प्रकृति में भी कुछ भी बिना कारण  नही होता ! किसी भी काम के नतीजे  के पीछे बहुत सारे Factors काम कर रहे होते है किसी एक Factor पर निर्भर नहीं होता !  हमारी समझ आ गया तो विज्ञान, नही आया तो भाग्य या दुर्भाग्य ! कुछ लोग इसे ही भगवान् का प्रसाद या भगवान् की इच्छा मान लेते है ! Factors ढूंढो Factors ! फैक्टर्स बदलोगे तो Product स्वयं ही बदलेगा!   

                        इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि  हमें उन घटनाओं  का परिणाम भी भुगतना पड़ता है जो हमारे द्वारा  इच्छानुसार या योग्यता अनुसार किये गए कामों के परिणाम स्वरुप नही होती ! ये  भी सत्य है कि कुछ लोगो के साथ अच्छा ही अच्छा और कुछ के साथ बुरा ही बुरा होता है y !होती तो ये भी किसी न किसी कारण से ही है परन्तु इंसान की बुद्धि सीमित  है और इसे पूर्ण रूप से  समझने में नाकाफी साबित होती है ! अधिक से अधिक आप इसे संयोग का नाम दे सकते हैं! पूर्व रचित या पूर्व लिखित भाग्य तो कदापि नहीं !

                         हमारे जीवन में  संयोग अक्सर होते रहते हैं कुछ सुखद और कुछ दुखद परन्तु सुखद का सेहरा हम अपने सर बांधते है और दुखद को अपना भाग्य  मान कर संतोष कर लेते है ! वास्तव में मनुष्य योनी कर्म योनी के साथ साथ भोग योनी भी है उसे अपने कर्मों का फल स्वयं तो भोगना ही  है उसके कर्मो का फल उस कर्म फल की सीमा में आने वाले  अन्य व्यक्तियों को भी भोगना पड़ता है इसी प्रकार दूसरों के कर्मफल की सीमा में जिस हद तक वो स्वयं आता है उसे भी भोगना पड़ता है ! उसके हित हुआ तो भाग्याश्हाली उसके अहित में हुआ तो भाग्यहीन! अर्थात भाग्य या दुर्भाग्य का फैंसला काम का फल मिलने के बाद निश्चित होता है न कि पहले! तो कहाँ हुआ पूर्व रचित भाग्य ! 

                          भगवान् द्वारा अगर सब कुछ पहले से ही निश्चित हो तो फिर इंसान अपने या दूसरों के कर्मो का फल कैसे भोगेगा फिर तो प्रकृति  में सब कुछ पहले से ही निश्चित हो गया तो नियम कहाँ रहे और प्रकृति  तो अपने  नियमो से ही चल रही है प्रकृति में सब कुछ cause and effect के रिलेशन से चल रहा आप cause के घटक बदलिए फिर देखिये effect अपने आप बदलेगा ! भगवान को या प्रकृति को दोष देना !उचित नहीं है !न ही अपने भाग्य या दुर्भाग्य को कोसने की ज़रूरत है  !

                          Effect अच्छा चाहिए तो घटक अच्छे  बदलो और फिर कमाल देखो !बबूल के पेड़ पर कांटे ही तो लगेगे आम तो आने से रहे आम चाहिए तो आम बोवो ना भाई ! पूजा पाठ  जंतर मन्त्र जादू टोना कर    के क्या होगा ! ज्योतिषी को अपना भविष्य तो पता नहीं तेरा क्या बतायेगा ! जब कुछ पूर्व रचित या पूर्व लिखित  भाग्य है ही नहीं तो वो बेचारा क्या भविष्य  बतायेगा! हाँ तुम्हे बेवकूफ बनाकर पैसे ज़रूर ठग लेगा.

                          अपनी कमियों का दोष भगवान् पर या प्रकृति के सिरपर मत डालो अपनी गलती को सुधारों. गलती समझने  और सुधारने में कभी देर नहीं होती ! जब जागो तभी सवेरा 

                          

                           अपने कर्मों का होश नही और पत्थर  पूजते फिरते हो 

                           कभी मंदिर माथा रगड़ते हो कभी बाबा के पाँव जा पड़ते हो 

न  तो है कोई पिछला जन्म न  ही होना है अगला जन्म                           

ये सारे  तौर तरीके  है तुम्हे  बेवकूफ बनाने के                    


                                 ये जन्म अपना बर्बाद ना कर  उलटी सीधी भक्ति ना कर 

                                  नहीं  तुम्हे रब मिलना  है यूँ उलटे रस्ते जाने से  

  कभी बैठ अकेले सोचा करो कि खुद से गलती कहाँ हुई 

   क्या हासिल होना है यारा सच से मुहं छुपाने से   

Thursday, June 3, 2021

बेवफा जिंदगी

 मौत को जालिम ना कह, है जिन्दगी ही बेवफा

जान पहले जाती है, तब मौत आती है सदा


मौत आ सकती नहीं गर जाँ ना जाये जिस्म से
जाँ ने साथ छोड़ा तो बाहों मे मौत ने लिया
धीरे धीरे जाँ जिस्म से दूर खुद होती गयी
इल्जाम लेकिन जिन्दगी ने मौत के सर धर दिया

जाँ भी बीवी की तरह ही बेवफा सी हो गयी
जिस्म यूँ छोड़ा बीवी ने छोड़ ज्यों शौहर दिया
धूप का टुकडा कोई जब भी उतरा आसमा से
बाहे फैला के धरती ने आगोश मे अपनी लिया

ये क्या अपनापन हुआ ये क्या प्यार है भला
साथ देना तब तलक ठीक जब तक सब चला
बेवफा खुद होती है बीवी हो या फिर जिन्दगी
सौत को या मौत को बदनाम मुफ्त मे किया

मेरा मानना है कि

                  जीवन मे यदि कोई एक सोच या विचार आपको  दु खो या बीमारियों से बचाता है तो वो है सादगी परन्तु सादगी का अर्थ  मैला कुचैला ,गंदा या फिर लापरवाही से जीना नहीं अपितु स्वालम्बी बन कर,अनुशाषित जीवन जीने से है. अपना काम स्वयं करने से है ,दूसरों पर कम से कम आश्रित रहने से है. सादगी का अर्थ अपनी आवश्यकता अनुसार ही सामान खरीदने और उपयोग करने से है ना कि विज्ञापनों या प्रायोजित लेखों के प्रभाव  में  आकर अकारण शौपिंग करने और अनावश्यक सामान इकठ्ठा करने से है . 

                    किसी भी वस्तु  को  खरीदते समय प्राय लोग ध्यान ही नही करते कि अमुक वस्तु वास्तव में उनकी आवश्यकता है भी या नहीं. वो केवल इस लिए खरीदते  है की . किसी और के पास वो  सामन है या किसी पर रौब डालने के लिए या फिर दुसरे क्या कहेंगे  इसलिए .  कोई सामान  इस तरह खरीदना यदि मूर्खता न भी कही जाए तो भी पैसे को ठिकाने लगाने के अतिरिक्त तो कुछ नहीं कहा जाएगा. .तो सोचो आपके पास इतना अनाप शाप पैसा है क्या ?   ना केवल ये अपितु आवशयकता से अधिक मात्र में सामान खरीदना और संग्रह करना भी अनेक समस्याओं  का कारण बनता है और उसे भी सादगी नहीं कहा जा सकता 

                  हो सकता है कुछ लोग आपको कंजूस कहने लगें . परवाह मत करो क्योंकि  कंजूसी के भले लाख अवगुण हो परन्तु गुणों की संख्या उस से कुछ ज्यादा ही है.बस इतना ध्यान रखो कंजूसी का अर्थ भी आवश्यक खर्चो से बचना नहीं है अपितु अनावश्यक  खर्चो को समाप्त करना है. हो ये भी सकता है कुछ अछे दोस्त या कुछ  खर्चीले अपने आप का साथ छोड़ दे परन्तु ये तो निश्चित है कि स्वार्थी ,,अवसरवादी और परजीवी प्रकार के लोगो से आप की जान अवश्य  छूट   .जायेगी . कंजूसी के कारण आप अंत छंट नही खायेंगे तो बीमार भी कम पड़ेंगे . आप तो जानते ही है कम खाने से लोग बीमार नहीं पड़ते अपितु अधिक या गलत खाने से बीमार पड़ते है तो हुए न कंजूसी के फायदे . और कंजूसी  सादगी का जीवन जीने में काफी हद तक सहायता करती है .

                       अनुभव ये बताता है कि इंसान सुविधाओं को जुटाने के चक्कर  में  नाना प्रकार की असुविधाओं को जन्म देता है.अधिक पैसा आखिर किस काम आता है गलत खान पान पर, बीमारी पर, मुकदमो पर या शादी ब्याह के आडम्बरों पर .आप ठीक खायेंगे तो बीमार भी तो कम पड़ेंगे सारे काम सादगी से भी तो हो सकते हैं लेकिन नहीं जनाब  जो  इंसान अपने को अच्छे  कामों में आगे साबित नहीं कर पाता वो इन ओछे कामों में आगे  बढ़कर अपने अहम् को पूरा करता है और कुछ नहीं. . और इस प्रकार कई व्यसनों का शिकार हो जाता है व्यसन बिमारी को जनम देते है और फिर असमय मृत्यु और खेल ख़त्म .

सौतन

 इस कदर तकलीफ दी है जानेमन तूने  मुझे 

अब तो तेरे नाम से होने लगी नफरत मुझे 

पहले तेरे  बिन कभी कोई मुझे भाता   ना  था

 अब उसके पास जानें की  हो रही  चाहत मुझे 


आज तेरी नजरो में मेरी कोई कीमत न हो 

कल बहुत महसूस होगी मेरी जरुरत तुझे 

पर मुझे अफ़सोस है तब मै ना  लौट पाऊंगा 

उसकी बाँहों मे जो मै एक बार चला जाऊँगा


तुमने तो ठुकरा दिया ,तन्हा किया भुला दिया 

पर देख लेना वो मुझे हरगिज नहीं ठुकराएगी 

तुमने साथ न दिया तो न सही मर्जी तेरी 

सौतन तेरी बावफा है साथ लेकर जायेगी 


सौतन के इन्तजार की तारीफ़ कर सके तो कर 

जिस भी पल तू छोड़ देगी वो मुझे अपनायेगी

छीनने की उसने कोशिश इसलिए ही की  नहीं 

जानती थी एक दिन तू खुद उसे दे जायेगी 


पर सौत तेरी हो तो हो मेरी महबूबा है वो

मै तो खुशी से चल पडूंगा जब वो लेने आयेगी 

दर्द तन्हाई का शायद तब तुझे मालुम हो 

मै चला जाऊँगा और जब तनहा टू रह जायेगी 


तू सात फेरों में भी अपना  बन सकी ना बना सकी 

वो एक फेरे में ही मेरी जान  तक ले जाएगी 

मौत मेरी सौत तेरी बन के जब आ जायेगी 

देख लेना जिन्दगी तब टू बहुत पछताएगी 

Friday, February 12, 2021

अहसास अगर मर जाए तो

 अब तक तो जितने यार मिले

या मतलबी या गद्दार मिले


आँखों में बसाया जिसको भी
वो आंसू  बन के  बह  निकला
अब दिल में बसाया है  तुमको
देखें क्या हमे इस बार मिले

अहसास अगर मर जाए तो
रिश्तों में बता बाक़ी क्या बचा
क्यों लाश सा रिश्ता वो ढोना
ना वफ़ा मिले ना प्यार मिले

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में
ये तो मरना हुआ  किश्तों में
जीना तो उसी को  कहतें है
जिसमे अपनो का प्यार मिले

चाहत से नही होता कुछ भी
जी जान लगाना पडता  है
मंजिल हो अगर आकाश में तो
पंखो को फैलाना पड़ता है

तू  पंख फैला के देख जरा
आकाश लगेगा छोटा  सा
हाँ पंख फैलाने की खातिर
हिम्मत को जुटाना पड़ता है

पिंजरे का पंछी क्या बनना 
दाना चोगा तो बैठें मिला
पर जब भी कभी उड़ना चाहा
बंद  पिंजरे के सब द्वार मिले 



Tuesday, February 9, 2021

रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन

 रिश्ता ऐसा बना तुझसे ए जानेमन 

ना  तो  जुड़ ही सका न हमसे तोडा गया 


यूँ लहराया  हवा में तेरा  दामन  सदा  

न हमसे पकड़ा गया न हमसे छोड़ा गया 


तेरे दर तक जो आता था वो रस्ता अज़ब

ना हम से तय हो सका न हम से मोड़ा गया 


यूँ तो तेरी ही जानिब बढ़ा  हर  कदम 

पर न  रुक ही सके न हम से दौड़ा गया 


घर बनाया तो था शौक से हमने भी 

पर  सलीके से कुछ भी न जोड़ा गया


नींव कमज़ोर  थी  बचता घर किस तरह 

हिली धरती कहीं  ईंट  कहीं  रोड़ा  गया  


 हारने पे कोई  युद्ध ना पूछो कभी 

 सवार है  कहाँ  कहाँ  घोडा गया 


 

मेरी बातो पर शायद तुझे आज यकीन नहीं आएगा

एक पल में ही  भूल जाए  जो उम्र भर के अहसान

मेरी नज़र में जानवर से  बदतर  है ऐसा इंसान  


 नहीं ज़रुरत फिर भी इकठा करता फिरे  सामान 

खुद ही समस्या पैदा कर रहा फिर ढूंढेगा समाधान 

 

बस औरों को उपदेश देने में   माहिर हैं  सब  लोग

जब  आन पड़े  खुद पे तो मारते   हर उसूल को लात 


न रिश्ते राहे अब रिश्तो से न रहा प्यार सा प्यार 

वक्त ने क्या  करवट ली सारा बदल गया संसार  


इतना ही खुददार है तो पिछला क़र्ज़ चुका के दिखा 

गर वो था मेरा  फ़र्ज़ तो चल अपना फ़र्ज़ निभा के दिखा 


मेरी  गलती रट रट  के खुद को तू पाक साफ न कर

अपना फ़र्ज़ निभाके दिखा फिर चाहे मुझसे बात ना कर  


तूने किसीका खाया है तो तेरा भी कोई खायेगा 

तूने रुलाया है मुझको कोई आकर तुझे रुलाएगा 


मेरी बातो पर शायद तुझे आज यकीन नहीं आएगा 

पर तू  रोयेगा पछतायेगा वो दिन भी  ज़ल्दी आएगा  

Wednesday, December 30, 2020

प्यार करने का सब का तरीका अलग

 

साथ मेरे चले क्यों कोई उम्र भर

सब की मंजिल अलग सब की राहे अलग

मेरी चाहत को अपनी क्यों चाहत कहे

उसकी चाहत अलग मेरी चाहत अलग


है ज़रूरत का है मारा यहाँ हर कोई

हो भले सब की अपनी ज़रूरत अलग

एक रहते है हम पर सिर्फ तब तक ही

जरूरते जब इक दूजे से हो न अलग 

 

प्यार करता है हर कोई मुझसे बहुत

प्यार करने का सब का तरीका अलग

आप की बात सच है पर ये तो बता

ये तरीका क्यों मुझ पे हो लागु अलग


जिस्म और जान दोनों ना हो इक जगह   

तो जिस्म रहता नही अपनी जाँ से अलग 

बात इतनी सी क्यों मान लेते नही

जो ही घर से अलग वो है दिल से अलग


  

Sunday, December 27, 2020

देने को तैयार सब तू जब तक कुछ नहीं ले

 देने को  तैयार सब तू  जब तक कुछ नहीं ले 

जब भी कुछ लेने लगे तो कोई कुछ नहीं दे  


धरम करम  का ओढ़  लबादा  करे उंची उंची बात 

भीतर से तो जानवर  जैसी करता हर एक बात 


कुछ बाजियों में तो जीत हार का  पता कहाँ  चल पाता है 

तू समझेगा  तू  जीता पर असल में होगा तू हारा


Friday, December 25, 2020

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात

 अर्थ हीन सी लगने लगी है मुझ को हर एक बात
ना दिन लगते  दिन जैसे न लगे रात सी रात 

ना दोस्त रहे अब दोस्तों से ना रहा प्यार सा प्यार
अब तो सब करने लगे  मतलब सा व्यवहार 

जब तक इस्तेमाल  है तेरा तब तक क़द्र  है तेरी
वरना आँखे  फेर लेने में करे ना कोई देरी 

अच्छे  बुरे का   दुनिया में बस बचा एक पैमाना
कौन मेरे क्या काम आया या कितने काम है आना

 आज नहीं तो कल तुझको अहसास जरूर है होना
जो है रुलाता औरों को उसे पड़ेगा इकदिन रोना 

झूठे वाडे झूटी कस्मे और झूठे सब जज्बात
अपना उल्लू सीधा हुआ तो भूल गए हर बात 

पर मर जाए या मुकर जाए या हो जाए बेईमान
उसका इलाज़ तो ढूंढ नहीं पाया हकीम लुकमान




 

Tuesday, July 28, 2020

तब जा के हिसाब हो पायेगा तू कैसा है मै कैसा हूँ

ना मरहम है तेरे हाथो में ना दि ल में तेरे गुंजाइश है
फिर दुखती रग पे उंगली रख क्यों  पूछ रहे हो कैसा हूँ

जब बस में नहीं कुछ भी तेरे हमदर्दी जता कर क्या होगा
अच्छा है ना पूछो हाल मेरा  मुझे रहने दो मै जैसा हूँ

जखम दिए सदा  अपनों ने , और गैरों ने  सिर्फ कुरेदा है
इस पे भी  शिकायत है उनको मै क्यों ऐसा हूँ या वैसा हूँ

कभी तू  फिसला जो मेरी तरह और चोट लगी कभी मुझ जैसी
तब समझगो मै  ना था   पत्थर मै  भी इन्सा  तेरे जैसा हूँ

मेरे ही गुनाह क्यों गिनता है कभी अपने पाप भी गिनती कर
तब जा के  हिसाब हो पायेगा   तू कैसा है मै  कैसा हूँ


Thursday, July 23, 2020

अब दर्द नहीं होता



मैंने प्यार किया जिनसे,  उनसे  नाराज़ नहीं होता 
हाँ अब  खुलके नहीं हँसता अब  छुपके नहीं रोता

जो मेरा ही हिस्सा थे  वो भी ना रहे  अपने
जो थे ही नही मेरे , क्या उनसे गिला होता

मालूम अगर होता कि  फल ऐसे लगने है
या फसल जला देता या बीज नहीं बोता

जो तुम ने किया मुझ संग कोई  बात नयी तो नहीं
किनारा मिल जाने पर , कोई कश्ती नहीं ढोता

 कोई ज़ख़्म अब देता है तो खुद पे हंस लेता हूँ
सच कहता हूँ दोस्त   मुझे अब दर्द नहीं होता

 करोना पर मुझसे क्या अब बात करोगे तुम
 छोटा न करो तुम दिल मुझे करोना  नहीं होता

अभी ज़िंदा रहना है और उस हद तक रहना है
जब तक मेरे ज़ख्मो का इन्साफ नहीं होता

मै  भी तो जरा देखूं   कांटो पे सुला के मुझे
फूलों की सेज़ पे खुद ,  कब तक है कोई सोता

तुम छत  तक क्या पहुंचे  सीढ़ी  ही हटा डाली
कभी आना पड़ा नीचे तो सीढ़ी को रहेगा  रोता

मेरी छोडो यारों  अब  अपनी सम्भालो तुम
कहते हैं मतलबी का अंत अच्छा नही होता




Wednesday, March 18, 2020

कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

ना हाथ मिलाना न गले ही लगना
मिलने पे हमेशा नमस्ते तुम  करना
बे वजह किसी को
 छुओ ना छुओ ना तुम छुओ ना
डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

आँख नाक या मुंह के रस्ते
घुसता है ये  वायरस हँसते हँसते
ये घुस ना पाए  इसका  है उपाए
इन्हे हाथ धोये बिन  छुआ ना जाए
छुओ ना छुओ ना तुम छुओ ना
कुछ ना कर पायेगा ये कोरोना
डरो ना डरो ना डरो ना तुम डरो ना

जब छींको खांसो मुंह पर रुमाल हो
विषाणु ना फैले बस इतना ख्याल हो
भीड़ भाड़ में बेवज़ह जाना बंद करो बंद करो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना
डरो  ना डरो  न तुम डरो ना

हाथो को अक्सर सैनेटाइज़ करना
कोरोना से फिर काहे डरना
साबुन पानी से अक्सर हाथ धोना
फिर क्या कर  लेगा तेरा कोरोना
 डरो  ना डरो  न तुम डरो ना
कुछ ना कर सकेगा ये कोरोना

Friday, March 13, 2020

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में

अब तक तो जितने यार मिले
या मतलबी या गद्दार मिले

आँखों में बसाया जिसको भी
वो आंसू  बन के  बह  निकला
अब दिल में बसाया है  तुमको
देखें क्या हमे इस बार मिले

अहसास अगर मर जाए तो
रिश्तों में बता बाक़ी क्या बचा
क्यों लाश सा रिश्ता वो ढोना
ना वफ़ा मिले ना प्यार मिले

गरमाहट न रहे जब रिश्तो में
ये तो मरना हुआ  किश्तों में
जीना तो उसी को  कहतें है
जिसमे अपनो का प्यार मिले

चाहत से नही होता कुछ भी
जी जान लगाना पडता  है
मंजिल हो अगर आकाश में तो
पंखो को फैलाना पड़ता है

तू  पंख फैला के देख जरा
आकाश लगेगा छोटा  सा
हाँ पंख फैलाने की खातिर
हिम्मत को जुटाना पड़ता है

पिंजरे का पंछी क्या बनना 
दाना चोगा तो बैठें मिला
पर जब भी कभी उड़ना चाहा
बंद  पिंजरे के सब द्वार मिले 




बद से बदतर हो चुका है आदमी

  बेहतर से बेहतर होने का लाख वो दावा करे
 मेरी नज़र में बद से बदतर हो चुका है आदमी

पहले मरहम की तरह काम आता था कभी
अब सिर्फ काँटा या नश्तर हो चुका है आदमी

पहले  टूटते  थे दिल तो  अक्सर जुड़ भी जाते थे
अब टूटे दिल जोड़ने का हुनर खो चूका है आदमी

जंगल से शहर का सफर तय तो किया पर क्या हुआ
जंगली से  अब शहरी जानवर हो चुका है आदमी

माना कि पढ़ लिख गया पर  इस से ज्यादा क्या हुआ
अनपढ़ था अब शिक्षित जानवर  हो चुका है आदमी

दर्द की कोई चीख क्यों अब कोई भी सुनता नहीं 
 क्या गहरी नींद  इस कदर सो चुका है आदमी

आदमी से आदमी हो  बेहतर ये   होड़ ख़त्म है
बस चेहरा संवारने में माहिर हो चुका है आदमी

 अब किसी के ग़म में क्यों आँसू नही आता कोई
अपने ग़मो  में  इतना ज्यादा रो चुका है आदमी

अब किसी को  भी परखना तेरे मेरे बस में नही
यूँ  रंग बदलने में माहिर हो चुका  है आदमी

मेरी क्या अब किसी की भी कोई सुनता नही
अपनी धुन में  मग्न इस कदर हो चुका है आदमी

बिखरे रिश्ते टूटे सपने और ज़ख्मी दिल लिए
शायद अब जोड़ने का हुनर खो चूका है आदमी

जागने का वक्त है और  सो चुका है आदमी
मानो ना मानो बद से बदतर  हो चुका है आदमी 

Thursday, January 11, 2018

इक आखरी उम्मीद थी वो भी अब दम तोड़ गयी



तुझ से ही  उम्मीद थी और तू भी हमको   छोड़ गयी
इक आखरी उम्मीद थी  वो भी अब  दम तोड़ गयी
मंज़िलो पे पहुंचना तो  दूर तक की बात थी 
तू तो पहले मोड़ पे ही अपना रास्ता मोड़ गयी
प्यार में मज़बूरियां किसको न थी और कब ना थी
मजबूरियों के नाम पर फिर तू क्यों दिल मेरा तोड़ गयी
रिश्ते बनाना तोड़ना तो कोई तुम से सीख ले
किस से था रिश्ता जोड़ना और किस से रिश्ता जोड़ गयी
हम तो नाहक ही तेरी किस्मत सवांरते रहे
तू है कि  किस्मत मेरी अपने हाथो  फोड़ गयी


Thursday, January 4, 2018

HAPPY NEW YEAR

Whatever you wish what ever you want
This year, to you , God may grant
May god fulfill one and all
Each of  your dreams big or small

Set your priorities,  and targets  clear
Remember, confusion always brings tears
Nothing is right nothing is wrong
Just be brave, bold and strong

Always, in yourself, you must believe
Only formula, for every thing to achieve
Damn others, do whatever you think is right
But of course, when you do , do it with full might
O else you prove that others were right.

Never choose/ accept the ROLE you can't play well
Or else It will make your and other's life hell 
Carry only the useful, lessen your load
Drop the useless or you will be dropped

Only then in the real sense O my 'dear'
It will prove  really HAPPY NEW YEAR

जिसे दुनिया के साथ चलना है वो मेरे साथ चल नहीं सकता

हालात कभी बदलेंगे नही,
खुद को भी तू बदल नही सकता
जिसे दुनिया के साथ चलना है
वो मेरे साथ चल नहीं सकता

जिसे  गिराने  को तैयार सारे बैठे हों
वो लाख चाहे तो भी संभल नही सकता
लाजवाब हुस्न  की फिसलन है तेरे दर पे बहुत
देखे तो कौन है ऐसा जो  फिसल नही सकता

बेवज़ह चाँद को पाने की कोशिशे में रहे
क्या दिया घर का अन्धेरा निगल नहीं सकता

आसमान छूने की वो बात करता फिरता है
घर के पिंजरे से तो बहार निकल नही सकता
 झूठे वादों से फ़रेब खाये है इस दिल ने बहुत
अब तो सच से भी तेरे ये बहल  नही सकता

ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी

ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी
ना पाने  को कुछ है ना खोने को ही

कर के हिम्मत फसल जब भी बोई है मैंने
या तो पाला पड़ा या गिरी बिजलियाँ
खेत खलिहान की क्यों मै  बातें करूँ
ना काटने को है कुछ  ना बोने  को ही

तू ख़्वाबों में आती तो रंगीन रात  होती
हकीकत  में मिलती तो क्या बात होती
ना ख़्वाबों में आती ना दिन में ही मिलती
ना जागने को है कुछ न सोने को ही

ना आँखों में आंसू बचा है कोई
ना चेहरे पे ही है हंसी की लहर
छोड़ कर  तुम गए ऐसे अंदाज़ से
ना हंसने को कुछ है ना रोने को ही

बेवफा गर कहूं तो बुरी बात है
और  वफादार कहने को माने ना दिल
ऐसा धोखा दिया है तूने  प्यार में
कोसूँ इश्क  होने को भी ना होने को भी

जोड़ कर तिनका तिनका बनाया था घर
एक आंधी क्या आयी गया सब बिखर
आसमां  अब है छत तो ज़मीं है बिस्तर
ना ओढ़ने को कुछ ना बिछोने को ही

 ये किस मोड़ पर आ गयी ज़िंदगी
ना पाने  को कुछ है ना खोने को ही



Monday, January 1, 2018

अक्ल यहाँ आती है सबको खुद ही ठोकर खाने से

अक्ल यहाँ आती है सबको खुद ही ठोकर  खाने से
कहाँ समझता है कोई यूँ औरो के समझाने से

शमा की फितरत है जलाना परवाने को भी है पता
फिर भी बाज़ नहीं आता शमा को गले लगाने से

बरसेगा तो बीज खेत में  बोने  की भी सोचेंगे
 कुछ अंदाज़ नहीं लगता बदली के सिर्फ छा  जाने से

बूँद बूँद को तरसा  डाला तूने मय  के प्यासे को
वरना चाहता कौन था उठकर जाना तेरे मयखाने से

मिले बिना कभी तुझसे मुझको पल भर चैन ना आता था
फर्क नहीं क्यों पड़ता अब तेरे आने या ना आने से

हम को मतलब  मय से है या फिर तेरी आँखों से है
फर्क नहीं पड़ता हम को  किसी मीना  या पैमाने से

मै   तेरा दीवाना हूँ खुद को खो कर तुझे पाया है
रोक ना यारा खुद को अब  बाँहों में मेरी आने से

भरा पड़ा है  जिसका खजाना दुनिया भर की दौलत से
आज वो भी डरता फिरता है चंद  सिक्के  लूटने लुटाने से






Wednesday, November 15, 2017

मकसद के पूरा होने पर रिश्तों का नाम बदल जाता है

मकसद के पूरा होने पर रिश्तों का नाम बदल जाता है
कहीं  बदलती है राधा और कहीं श्याम बदल जाता है किस

यहाँ ज़रुरत तय करती किस रिश्ते की कीमत कितनी है
 मांग के घटने बढ़ने पर हर चीज़ का दाम बदल जाता है

लाख कोई खाये कस्मे कोई लाख करे तुझ से वादा
रिश्तों का बदलना लाज़िम है नही सुबह तो शाम बदल जाता है

बदले औकात तो पीने का अंदाज़ बदलने लगता  है
बोतल भी बदल जाती है और जाम बदल जाता है

औकात जरा सी क्या बदली महफ़िल ही बदल डाली तुमने
साधन भी बदलने लगते है जब काम बदल जाता है

आज जो तेरा है वो कल किसी और की बाहों में होगा
यहाँ बंद लिफाफे में अक्सर पैगाम बदल जाता है

तेरी नही तेरे पास है जो यहाँ बस उसकी ही इज़्ज़त है
कुर्सी से जरा हट  कर देखो सलाम बदल जाता है

गए जमाने शर्म से सर झुकता था  रंग बदलने पर
अब तो बदलने वाला,  रंग सरे आम बदल जाता है

तू बदल गया तो क्या शिकवा बदलाव नियम है कुदरत का
हम को तो शिकायत खुद से है ना सुबह बदल पाता  है न शाम बदल पाता है












Tuesday, October 31, 2017

जो किसी का प्यार न बन सके किस काम का वो शबाब है

ना सिखा मुझे  अच्छा है क्या और क्या यहाँ खराब है
बस अपनी अपनी सोच है और अपना अपना हिसाब है

रेखा के इस पार हैं या रेखा के उस पार हम
वैसी ही बनती सोच है वैसा ही आता ख्वाब है

दुनिया के रंग ढंग देख हुई एक बात तो साफ़ है
जो  खुद करो तो पुण्य है दूजा करे तो पाप है

कल सब को रोकते थे जो उस घर में जाने के लिए
उस घर से आज   निकल रहे  ये वही जनाब है

गेंदा  या चम्पा चमेली  फूल भी कुछ कम  नही
सब के हाथो में हमेशा आता कहाँ  गुलाब है

किस लिए समझाना उसको किस लिए करें मिन्नते
आखिर में हर सवाल का  जब "ना" ही उसका जवाब है

जो अन्धेरा दूर न कर सके वो दिया भला किस काम का
जो  किसी का प्यार न बन सके  किस काम का वो शबाब है


लोग आते रहे लोग जाते रहे कमी तेरी मगर फिर भी खलती रही

कोई मिलता गया कोई बिछुड़ता गया
जिंदगी तन्हा हुई  फिर भी चलती रही
लोग  आते  रहे  लोग जाते रहे
गाड़ी अपनी राह ;लेकिन  चलती रही

कोई तुझ सा मिला कोई  बेहतर मिला
बात फिर भी किसी से बनी ही नहीं
भीड़ अपनों बेगानो की लगी ही रही
कमी तेरी मगर फिर भी खलती रही

लाख की कोशिशे कि  ना फिसले कभी
लड़खड़ा ही गए पर कहीं न कहीं
दिल के अरमान दिल में हुए सब दफ़न
उम्मीदे एक एक कर सब अर्थी  चढ़ी
जिंदगी ठहरी  हर हाल में  जिंदगी
दिल के कोने कोई उम्मीद  पलती  रही

तुझे पाके कुछ हासिल ना अब तक हुआ
आगे भी कुछ नही मिलना , है मुझ को  पता
जिंदगी फिर भी जिद्दी बच्चे  की तरह
अपनी शै पाने को क्यों  मचलती रही


Tuesday, October 17, 2017

जैसे तूने छोड़ा है मुझको तुझको भी कोई छोड़ेगा

तुमने तोड़ा है मेरा दिल तेरा भी कोई तोड़ेगा
जैसे तूने छोड़ा है मुझको तुझको भी कोई छोड़ेगा

मेरी बद्द्दुआएं पीछा करेंगी हालात कुछ ऐसे बन जायेंगे
अपने बाल तू खुद नोचेगा अपना सर खुद फोड़ेगा

जानता हूँ कि  मेरे दर्द से दर्द तुझे होना ही नही
जब जब मेरा ज़ख़्म रिसेगा कोई दर्द तुझे भी निचोड़ेगा

प्यार वफ़ा चाहत अपनापन तुझ को रास नही आया
देखना  अब कोई धोखेबाज़ ही तुझसे रिश्ता जोड़ेगा

खाली हाथ ही रह जाते हैं कुछ भी हाथ नही आता
एक वक़्त में जो कोई दो  दो  के पीछे दौड़ेगा 

एक और उम्मीद आज फिर से धोखा दे गयी

एक और उम्मीद आज फिर से धोखा दे गयी
देखते ही देखते एक और रिश्ता मर गया

फायदे और  नुक्सान के पलड़े में ना तोलो तो ठीक
प्यार के व्यापार में तो घाटा ही अक्सर हुआ

बुजदिलों को दिल लगाने का कोई  होता हक़ नही
पहली चोट पे यार  तू तो   पाला ही बदल गया 

इस तरह तोड़ा है तूने दिल मेरा   ऐ  बेवफा
हर बेवफा से बेवफाई का गिला   जाता रहा

देके धोखा आज खुश हो ले भले कोई ग़म नही
बहुत पछताएगी जब तुझको कोई धोखा मिला


     

सिर्फ चाहने से इस दुनिया में कुछ होता नहीं हासिल

अगर ख्वाहिश में है गुलाब तो इतना समझ लीजे
बिना कांटो के तो   गुलाब बस ख्वाबो  में खिलता है

तुम्हारी याद तो अब भी बहुत आती है जाने मन
ना जाने क्यों मगर  आँखो  से आंसू  कम  निकलते हैं

ख्वाबो को बिखरते  टूटते किस दिन नहीं देखा
मगर कुछ ख्वाब रह रह कर मेरी आँखों  में पलते हैं

सिर्फ चाहने से इस दुनिया में कुछ होता नहीं हासिल
 है मिलता उनको जो घर छोड़ बाहर को निकलते हैं

फिसलने की उम्र ज्यादा संभल कर जो रहे चलते
संभलने की उम्र में लोग वो अक्सर फिसलते है

परिंदे ने किया जब फैसला आकाश पाने का
उसे पिंजरे के दरवाज़े अब सारे  बंद मिलते हैं

बता तुझ में और पालतू जानवर   में फर्क क्या बचा
रहने को छत खाने को दाने तो उसको भी मिलते हैं

कोई भी फैसला लेने की आज़ादी   नहीं जिसको
अमीरों के घरो में बच्चे अक्सर  ऐसे  पलते  हैं

ना रख उम्मीद  इन से ये खुशी तेरी न चाहेंगे
तुझे जायदाद और खुद को तेरा मालिक समझते हैं

 बहा तू लाख आंसू ये कभी हरगिज़ ना पिघलेंगे
 तू बन ज्वालामुखी फिर देख पत्थर  भी पिघलते हैं

अब  डर सैयाद से उतना नही जितना है माली से
सुना  है माली खुद बुलबुल का सौदा  करते फिरते हैं

जो तेरा  सिर्फ तेरा होने का दम भरते फिरते हैं
वो आज तेरी तो कल किसी और की बाँहों में मिलते हैं

 आई लव यु  या आई मिस यु या यू मिस मी  कहने तक
अगर यही प्यार होता है तो फिर सारे ही करते हैं

उम्र भर साथ देने की जो खाते  रोज़ है  कस्मे
बुरा वक़्त आने पे ये सब से पहले रंग बदलते हैं

   







 



 

Friday, August 25, 2017

अपना वो, जो वक्त पे काम अपने के आये सदा

जिंदगी भर जिंदगी जो बन पड़ा तुझ को दिया
अब चाहा कुछ तुझसे तो तू मुहं मोड़ के जाने लगी

वो भी दिन थे मै  ना चाहता था  कोई मेरे साथ हो
चाहा  क्या तेरा साथ  तू मुझे छोड़ के जाने लगी

बूँद बूँद पानी को तरसाता  रहा  सदा आसमा
मर गयी धरती की प्यास तो बदलियां छाने लगी

अब गरज या बरस  इससे फर्क कुछ पड़ता नही
दिल की हर उम्मीद की अर्थी है उठ जाने लगी

अपना वो, जो वक्त पे काम अपने के आये सदा
मेरी जिंदगी तो हर मोड़ पे बहाने है बनाने लगी

जानती थी एक  दिन  वो  छोड़ ही देगी  मुझे
सौंप कर मुझे  मौत  को  जिंदगी पछताने लगी 

Monday, August 21, 2017

ना पर है न परवाज़ है , बस कहने भर को परिंदा है

ना पर है न परवाज़ है , बस  कहने भर को परिंदा है
ना जमीन का ज़र्रा रहा   ना बना आसमां का चन्दा है

हर आस हर उम्मीद दफन हो चुकी  दम तोड़ के
साँसों के आने जाने तक  बेवज़ह हर शख्स  ज़िंदा  है

कहने को हर रोज़ कहता  प्यार है तुझसे जिंदगी
तुझसे क्या इस झूठ पर  वो  खुद  से भी शर्मिन्दा है

अच्छा था जब तक ना तुझसे प्यार था मुझे  ज़िंदगी
अब तो बस मेरे गले तेरी बंदिशों का फंदा है

 सच तो ये  है बस हवस को प्यार सब कहने लगे
क्या सोचना फिर  कौन  प्यार  अच्छा कौन गंदा है

जिस  दुनिया में कोई किसी के  वास्ते जीता नहीं
उसी दुनिया में इक शख्स बस तेरे लिए ही  ज़िंदा है





Monday, July 24, 2017

तुम मेरे पास चली आना

आज तुम मुझे छोड़ कर
मेरे विश्वास मेरी आस को तोड़ कर
अपने किये वादे से मुकर
मुझे ठुकरा कर शर्मिदा कर
जा रही  हो
 फिर भी  अगर कभी कोई तुम्हे भी  इसी तरह छोड़ जाए
तेरा दिल इस तरह से तोड़ जाए
मंजिल आने से पहले ही अपना रास्ता मोड़ जाए
बहुत तनहा सा लगने लगे तुझे  ये ज़िंदगी का  सफर
तो खुद अकेला मत महसूस करना
तुम मेरे पास चली आना

तेरी जवानी की दोपहरी जब ढलने लगे
परछाइयाँ जब तेरे कद से लम्बी लगने लगे
रात का अन्धेरा तुझे जब डराने लगे
पैर  तेरे जब ठोकर पे ठोकर खाने लगे
डरना मत
मै  दिया तेरी राहों में बन के जलूँगा
मै  हर एक कदम पे तेरे आगे चलूँगा
तुम मेरे पास चली आना

आज के तेरे अपने जब तेरा साथ छोड़ दे
तेरे चाहने वाले भी तुझसे मुँह मोड़ ले
ना पैसा बचे ना  जवानी बचे
ना अपनो की कोई  निशानी बचे
तुम दुखी मत होना
मै  हमेशा की तरह तेरा साथ दूंगा
बस तुम मेरे पास चली आना

मत सोचना कि  तुम ने खुद ही तो मेरा साथ छोडा था
तुमने जान बूझकर ही मेरा दिल तोड़ा था
मेरे दिल  में ना कोई उल्हाना है न कोई शिकायत
मै  खुली बाहों से तेरा स्वागत करूँगा
तुम शर्मिन्दा मत होना
तुम  मेरे पास चली आना









अपनी खुदगर्ज़ी से खुद घोंटा हर रिश्ते का गला

जितनी सुलझाता हूँ उतनी ही उलझती जा  रही है
ज़िंदगी तेरी पहेली जाने क्या मुझ से चाह रही है

मेरी ज़रूरतें मेरी चाहतें कब की ख़तम सब हो गयी
अब क्या है  जो इस उम्र में मुझको तू देना चाह  रही है

गीली लकड़ियों से सिर्फ धुंआ ही तो निकलना है 
बे वजह तू इनमे आग किसलिए सुलगा रही है

कल तो आने दे  जो कल होगा वो  देखा जायेगा
कल की फिक्र में  आज क्यों बर्बाद करती जा रही है

कभी पूछ मुझ से चाहता हूँ मै  क्या तुझसे  ज़िंदगी
या फिर बता खुल के कि आखिर तू  क्या मुझसे चाह रही है

किस तरह मिलती सफलता कैसे मिलती मंज़िले
तू तो दो  कदम भी चलने से अभी घबरा रही है

जब भी कुछ मांगा तो तेरी न के सिवा कुछ ना मिला
इसके बावजूद भी तू अपना मुझे बता  रही है

अपनी इस करनी पे तुझको होना है इक दिन शर्मसार
आज बेशक अपनी हर हरकत पे तू इतरा  रही है

अपनी खुदगर्ज़ी से खुद  घोंटा  हर रिश्ते  का गला
अब शिकायत है  घुटन जिंदगी में बढ़ती जा रही है

फूल बनने  पर हश्र   तेरा भी देखेंगे कली
आज  डाली पर लगी  तू मुस्करा रही इतरा रही है

सिर्फ शब्दों तक सिमट के प्यार तेरा रह गया
करने के नाम पर  सिर्फ मज़बूरिया  गिनवा रही है

तेरी इस हरकत से तंग  मै खुद  भी तुझको छोड़ता
मेरी जान  तू  तो खुद ही मुठी से फिसलती जा रही है





नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

 बुलन्दी  आसमां  की छूना कोई मुश्किल  नही होता
बस नज़र आसमा  पर और ज़मीं पर घोंसला  चाहिए

तुझे उड़ान भरने से कहाँ कोई  रोक सकता है
बस थोड़े पर फैलाने है और थोड़ा होंसला चाहिए

अगर  उड़ने की चाहत है तो फिर इतना समझ लीजे
हर पिंजरा  छोड़ना होगा  अगर आसमां  खुला चाहिए

परिंदा  सोच से उड़ता है  या फिर हिम्मत से उड़ता है
नहीं उड़ते परिंदे जिनको पिंजरे का मज़ा चाहिए

बिना कुर्बानियों  के कुछ नहीं होता यहाँ हासिल
कुछ खोने को  भी रह तैयार अगर पाने को कुछ चाहिए

अगर ये जुर्म है कि  तुम से मै  क्यों  प्यार कर बैठा
तो फिर इस जुर्म की मिलनी मुझे कोई  सजा चाहिए 


फिसल ही गया मेरे हाथ से देख ले तेरा हाथ

तुम जागो तो सुबह हो गई तुम सोओ  तो रात
ऐसे कहाँ बन पाती है दुनिया  में  किसी की बात

तेरा प्यार तो  प्यार कहलाये भले ही शब्दों  तक  सीमित हो
तुम "ना" करो तो  मज़बूरी है  मेरी  'ना" है  विश्वास घात

चाहने भर से क्या होता है हर कोई चाँद सितारे चाहता
किस्मत वाले को  मिलना  है तुझ से हसीन  का  साथ

चाहने भर से कहाँ होती है बिन बादल बरसात
 हिम्मत से लांघ सकता है इन्सा चाहे तो समुन्दर सात

"लेन  देन  को ख़ाक मोहब्बत पाक" कहाँ चलती है
 फिसल ही गया मेरे  हाथ से देख ले तेरा हाथ











Thursday, June 29, 2017

किसी एक का होकर रहना ये उसकी फितरत में नही


पालने का ही शौक है तो फिर, नस्ल देख कर पाला कर
वरना इक दिन जान तुम्हारी आफत में आ जायेगी
गली की कुत्तिया पालोगे  तो आखिर जात दिखायेगी
इक दिन तेरी टांग पे अपने पैने दांत गड़ाएगी
भोंकना उसकी रही है आदत अक्सर बेवज़ह भोंकेगी
तू उसको पुचकारा करेगा पर वो तुझ पर  गुर्राएगी
किसी एक का होकर रहना ये उसकी फितरत में नही
आज वो तेरे घर में है कल और नज़र कहीं आयेगी
गली के कुत्तो के संग मस्ती उसको अच्छी लगनी है
तेरे नाम का पट्टा गले में कब तक पहन वो पायेगी
लाख खिलाना उसको अच्छा, लाख तू उसका रखना ध्यान
देखके थाली भरी किसीकी जीभ उसकी ललचायेगी
इधर उधर मुँह मारना उसकी आदत है मज़बूरी भी
जब भी मौक़ा लगेगा वो कहीं मुहँ मार ही आयेगी
कभी कहीं कोई गली का कुत्ता जब उसको मिल जाएगा
छोड़के तेरा दर तू देखना उसके संग हो जायेगी
वफा के नाम पे इस दुनिया में बस धोखा ही धोखा है
मज़बूरी रहने तक दुनिया वफा निभाती जाएगी
यहाँ बेवफाई भी दुनियां करती बड़ी चतुराई से
तेरे दिल में रहते रहते, किसी और की होती जाएगी
मुर्गी तुम्हारी तुम मुर्गी के, फिर भी कुछ नही कह सकते
मुर्गी दाना कहाँ चुगेगी ,अंडा कहाँ दे आएगी

खुद को इतना कमज़ोर ना कर जो देखे दबाने की सोचे

चेहरे पे मायूसी, आँखों में नमी , दुनिया के ताने, उलहाने
देख ले किसीको क्या मिलता है  तेरा साथ निभाने में

प्यार भी था मरहम भी था दवा भी थी दुआ भी थी
कौन सी चीज़ की कमी थी यारा आखिर तेरे खजाने में

उतना ही मिलता है सबको , जो जितने  के लायक हो
 क्यों ललचाना  देख के कितना माल तेरे ख़ज़ाने में

अपने प्यार को खोने का गम कैसा और कितना होता है
समझेगा,  खो देगा जब , तू प्यार  जाने अनजाने में

खुद को इतना कमज़ोर ना कर जो देखे दबाने की सोचे
ताकतवर को समय नही लगता कमज़ोर को खाने में

जैसा तूने तड़पाया है,  ऐसे भी कोई तड़पाता है क्या
क्या पाया  है ये तो बता ,  ऐसे मुझ को तड़पाने में


मेरे प्यार की लाज तू रख ले खुदा मेरा प्यार कहीं बदनाम ना हो

ए  मेरे खुदा कुछ ऐसा कर  हालात कुछ ऐसे बन जाएँ
मेरी चाहत मुझको मिले ना मिले उसे उसकी चाहत मिल  जाए

तूँ  उसकी खुशी उसको दे दे, बदले में तू मेरी खुशी ले ले
इतने में जो दाम ना पूरा चुके , बदले में तू  मेरी जां  ले ले

वो प्यार बहुत करती है उसे,  शायद उस बिन ना जी पाए
मेरा क्या है जी लेता हूँ,  कोई मिल जाए या खो जाये

वो भोर की  पहली किरण है उसको लंबा सफर तय करना है
मै  तो हूँ इक ढलता सूरज कुछ देर में मुझ को ढलना  है

 उसे ऐसा उभरता सूरज दे  जिसकी कभी कोई  शाम ना हो
मेरे प्यार की लाज तू रख ले खुदा मेरा प्यार कहीं बदनाम ना हो

मेरी खुशियों की परवाह ना कर ऐ  खुदा मै  सब कुछ सह लूंगा
अब तक भी अकेला रहता रहा,  आगे भी अकेला  रह लूंगा

 उसकी आँख से आंसू बहे,     मै  कैसे खुश रह सकता हूँ
 उसकी खुशी के लिए   , जुदाई भी उसकी सह सकता हूँ






Monday, June 19, 2017

ग़म होता है सिर्फ काम की चीजों के खो जाने का

प्यासे की ओक  पे रुक रुक कर कतरा कतरा  पानी डाला
प्यास बुझाने से ज्यादा इरादा है तेरा  तड़पाने का

जूठा होने के डर  से अगर होंठो तक भी आ ना सके
 ना मय  पीने के काम आये तो काम है क्या पैमाने का

आज नही तो कल तुझको महसूस ये होना है आखिर
ग़म  होता है सिर्फ काम की चीजों के खो जाने का

अपना रिश्ता टूटने की कगार पे आखिर आ पहुंचा
काश कुछ  जोर लगाया होता तूने इसे बचाने का

कागज़ की कश्ती ए दोस्त  ज्यादा देर नही  चलती
लाख तजुर्बा हो तुझको भले ऎसी कश्ती चलाने का

ये संस्कारो की मैली चादर , ये पाप पुण्य के  आडंबर
क्या  फायदा होना है  इन को ओढ़ मेरे पास  आने का

अमल तुझे करना ही नही तो  बात बनेगी  कोई कैसे
खाना ही नही तो हासिल  क्या गुड़ गुड़ जपते जाने का


















Friday, June 2, 2017

मुझ से ज्यादा खुशकिस्मत अब और भला कोई होगा क्या

मुझ से ज्यादा खुशकिस्मत अब और भला कोई होगा क्या
यार  है मिलता किसको ऐसा जैसा मुझको तू है मिला

अपनी जान से ज्यादा जिस को मेरी जान की हो परवाह
तुझसे पहले इस  दुनिया में कौन था ऐसा तू ही बता

कहने वाले बहुत मिले नही करने वाला  एक   मिला
तन मन धन जो  मुझपे  वार दे मतलब की दुनिया में कहाँ

पर तुमने  अपना तन मन धन तीनो   मुझ पे वार दिए
प्यार तू जितना करता है मुझसे कोई किसी से  करता है क्या

अब जान है मेरी तेरी अमानत जब चाहे  ले सकते हो
 तेरे प्यार के बदले मेरी जान की कीमत आखिर है भी क्या

अब तो इतनी अर्ज़ है तुझसे सुन पाए तो सुनले खुदा
साँसे भी ना आने देना जब  यार मेरा आ पाए ना

ये जनम तो जैसा भी बीता  ऐ  यार मेरे चलो बीत गया
अगला जन्म नहीं लेना जब तक तुझको संग भेजे ना खुदा







   

Thursday, April 27, 2017

तेरा मरीज़ए ए इश्क तो प्यारे कल मरा कि आज मरा

मन भी है कुछ बोझिल बोझिल तन भी है कुछ थका थका
उम्मीदे  है  बिखरी बिखरी हर सपना कुछ  टूटा टूटा

साँसे भी कुछ रुकी रुकी है धड़कन भी है  धीमी धीमी
होंठो से  मुस्कान है गायब आँखों में है पानी भरा

फिर भी तेरे प्यार में जाने कौन सी ऎसी कशिश है दोस्त
हर रोज़ नयी  उम्मीद है बंधती  हर रोज़ है दिखता सपना  नया

अब तो जी करता है कह दू नही चाहिए तुझ से कुछ भी
तेरा माल तो  पहले से ही लगता है सब   बिका हुआ

 मान लिया तुम दवा भी दोगे  लेकिन जानू दोगे  कब
तेरा मरीज़ए ए  इश्क तो प्यारे कल मरा कि  आज मरा

अक्ल है  कहती बढ़ती उम्र में  थोड़ा संजीदा हो जाओ
मन कहता है कर  डालो जो नहीं उम्र भर पहले किया

खेल खत्म होने से पहले जो खेलना  है  वो सब खेलो
खेल खत्म  होने में यारा थोड़ा ही वक्त  है  बचा हुआ




















Saturday, April 22, 2017

करते है व्यापार मगर क्यों प्यार उसे हम कहते हैं

हर दिल में एक तराजू है बिन तोले  कोई क्या देगा
कागज़ पे नही तो दिल में सही पूरा हिसाब लगा लेगा

मानो न मानो पर सच है दिल से हम व्यापारी हैं
आँखों आँखों में तोलते है कि  सौदा  कितना भारी है

कहाँ कहँ कितना कितना फायदा हम को होना
किससे  कितना मिलना है और किस संग कितना खोना है

कुछ मुफ्त नही मिलता है यहाँ हर चीज का दाम चुकाना है
जो मुफ्त दिखायी पड़ता है दरअसल वो तुझे फ़साना है

सोचो तो जरा अबतक  तुमने  क्या मुफ्त में पाया है तुमने
आखिर तो हर उपलब्धि का इक  मोल चुकाया है तुम ने

कभी धन से किया चुकता तुमने  कभी तन से चुकाया है तुमने
कभी पहले ही कर दिया अदा कभी  बाद में बिल पाया तुम ने

उपहार जिसे तुम कहते हो दरअसल उधार में कहता हूँ
उपहार के बदले में आखिर उपहार लौटाया है तुमने

इसे लें दें का नाम दो या फिर दो तरफ़ा प्यार कहो
 किसी से कुछ पाने के लिए कुछ तो गवाना पड़ता है

प्यार के बदले प्यार चाहिए उपहार दिया उपहार चाहिए
अब नही तो अगली बार चाहिए बदला मगर हर बार चाहिए

करते है व्यापार मगर  क्यों  प्यार उसे हम कहते हैं
अरे लेन  देन  ही  प्यार है तो व्यापार किसे फिर कहते हैं






अब देखूंगा कौन है ऐसा जो है मेरा साथ निभाता

आसमान में उड़ने वालों अब तुम से क्या मेरा नाता
मै  पिंजरे का पंछी ठहरा ना कहीं आता न कही जाता 

जब तक जितना उड़ सकता था मैंने सब का साथ निभाया
अब देखूंगा  कौन है ऐसा जो है मेरा साथ  निभाता

बिना परिश्रम दाना पानी वक्त से पहला ही मिल जाता
पर आसमान में तुम संग उड़ना मुझ को याद बहुत है आता

कभी नदी को लांघा हमने  कभी समुन्दर नापा हमने
धरती की तो बात ही  क्या है आसमान को नापा हमने

मीलो मीलों भूखे उड़कर अपना दाना ढूंढ के लाना
मिला जो कुछ तो खा लेना वरना भूखे भी सो जाना


बिना कमाए दाना पानी वक़्त से पहले अब मिल जाना
तुम कहते हो मजे का जीना मै  कहता ज़िंदा मर जाना

पर है पर परवाज नही जुबान है पर आवाज़ नही
कितना खो कर इतना पाया इसका तुमको अंदाज़ नही

आज़ादी का नाम नही बचा आत्मसम्मान नही
भूखा मरना आसान है पर ये जीना आसान नहीं

नहीं चाहिए ऐसा जीना  बिना परिश्रम खाना पीना
ले जाओ ये दूध कटोरी बीएस मुझ को आज़ाद करो
पंछी का जीवन पिंजरे में  और न तुम बर्बाद करो 

तुम बार बार इस दिल को क्या पाप पुण्य समझाते हो

तेरे मेरे करने से जग में सोचो आखिर क्या होता है
जब्ज्बजो होना होता है तब तब वैसा ही होता  है

सोते सोते लूट गया सब कुछ आँख खुली तो पता चला
पता है जब लुट  सकताहै  तो तो आखिर कोई क्यों सोता है

अंकगणित या अर्थशास्त्र के माना माहिर आप हुए
जीवन इतना सरल नही है इतने भर से क्या होता है

अपनी तबाही का आलम क्यों सब को बताते फिरते हो
ऐसे में जो तबाह हुआ वो  और  bhii ज़्यादा तबाह होता है


मन में तेरे क्या हलचल है बेहतर है  कोई ना जाने
दुनिया को जब पता चले गुनाह तभी गुनाह होता है

मन में तेरे लाख हो उलझन जुल्फों को सुलझा के रख
मन की उलझन चेहरे तक लाना यहाँ गुनाह होता है

तुम बार बार इस दिल को क्या पाप पुण्य समझाते हो
स्वर्ग नर्क इस दिल के लिए शायद एक सा ही होता है

भला बुरा और सही गलत नही इसको समझ आने वाला
इस दिल की तराजू में शायद एक ही पलड़ा बना होता है 

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको

इन शीशे के टुकड़े को अब जोड़ के क्या हासिल
शीशा ही नही टूटा  ाजी अक्स भी टूटा है

माना हो बहुत माहिर तुम जोड़ मिलाने के
वो शीशा नही जुड़ता कण कण में जो टूटा है

कोई लाख करो दावा कि  है प्यार में सचाई
जीवन भर देखा है हर रिश्ता झूठा है

मुझे सारी खुदाई ही नाराज सी लगती है
इक तू क्या रूठ गया सारा जग रूठा है

इकरार भी करते ही इंकार भी करते हो
तेरा प्यार जताने का अंदाज़ अनूठा है

यूँ प्यार भारी नजरों से देखो ना करो हमको
ना समझ हूँ क्या जानू सच्चा है की झूठा है

नज़रो में है प्यार भरा ,बातों में है अपनापन
जिसने भी मुझे लूटा कुछ ऐसे ही लूटा है 

तुमने पत्थर कितनी बेरहमी से मारा है

चेहरे की लकीरों को  खुद गौर से तुम पढ़ लो
हम तुम को बताएं क्या , क्या हाल हमारा है

कभी दर्द हमारा कोई तुम बाँट नही पाए
नाहक क्यों पूछते हो  क्या हाल तुम्हारा है

इक हाथ में है नश्तर इक हाथ तेरे मरहम
मर्ज़ी तेरी चलनी है भले ज़ख्म हमारा है

शीशा ही नहीं टूटा ाज़ी अक्स भी टूटा है
तुमने पत्थर कितनी  बेरहमी से मारा है

तुम जीत गए मुझसे तो कौन अजूबा हुआ
ये शख्स तो जीवन भर हर शख्स से हारा है

तन्हाई से तंग आकर किसी और को संग कर लूँ
ना चाहत है अपनी ना  उसूल हमारा है

माना कि  कसम टूटी नही तुम बिन रह पाए
सच मानो मगर इसमें नही दोष हमारा है

पैरों को अगर रोका तो दिल तन से निकल भगा
वो कहता है कि  उसको तेरे दिल ने पुकारा है




जब चाहे कोई हाथ छुड़ा क्र दूर कहीं जा सकता है

बोझ किसी पे बन के रहना ये मेरी फितरत में नहीं
 खुदको किसी पे थोपे रखना ये मेरी आदत ही नहीं

जब चाहे कोई हाथ छुड़ा क्र दूर कहीं जा सकता है
ता उम्र किसी को बांधे रखना ये अपनी चाहत ही नहीं

जब तक जिस को रास  आये वो तब तक उतना संग चले
जन्म मरण तक संग रहने का वादा  किसी से लिया नही

इक हद से ज्यादा मुस्का कर मेहमाँ  का स्वागत क्या करना
मुंह बना के बाद जो देखना हे मेहमाँ  क्यों अब तक गया नही

ताने दे उलहाने दे या किसी और तरह अपमान करे
इस हद तक मेहमाँ बन कर घर किसी के मै  ठहरा ही नही

रिश्ता तब तक ही रिश्ता है जब तक गर्माहट बनी रहे
मरे हुए रिश्ते ढोने  की मुझ में हिम्मत  रही नही   

लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

बर्बाद किसी को करने के कई और तरीके भी होंगे
क्या हुआ जो एक तरीके  से बर्बाद में तुमसे हुआ नही

कोई  फूँक जोर से मारो या  आँधिया ढूंढ के लाओ तुम
जो भी करना है कर डालो ये दिया अभी तक बुझा नही

बिजली से कहो  कुछ और जोर से गिरे मेरे घर की छत पर
 अभी मेरा नशेमन बाक़ी है अभी सारा गुलशन जला नही

कुछ और हवा दो यारों  मेरे अभी आग ठीक से लगी कहाँ
कुछ तिनके अभी भी बाकी हैं अभी आशियाँ  पूरा जला नही

समुन्दर से कहो सुनामी कोई  मेरे इस तट  पर ले आये
ऊँगली से लिखा इस रेत  पे तेरा नाम अभी तक मिटा  नही

तुम दिल इतना छोटा ना करो अभी और सितम कर सकते हो
दिन रात सही पर आंसू के सिवा अभी आँख से कुछ टपका ही  नही

कुछ नए ज़ख़्म दो इस दिल को कुछ पिछले जखम कुरेदो  तुम
आंसू संग खून भी बह  निकले दिल इतना  आहत  हुआ नही

कभी लहर  गिराना कभी लहर  उठाना ठहरा ये खेल समुन्दर का
लगती है चोट किनारे को उसने ये कभी सोचा ही नही

कभी वक्त मिले तो सोचना तुम इ दोस्त कहीं ऐसा तो नही
है अब भी कुछ  प्यार तेरे दिल में  जो मै  अब तक पूरा मिटा नही



Wednesday, April 19, 2017

शीशे के घरों में रहते हो और पत्थर फेंकते हो मुझ पर

जब दिल में प्यार बचा ही नही  इक बार में रिश्ता ख़त्म करो
बेजान हुए रिश्तो की लाश को मुझसे नही ढोया  जाता
जब मन में कोई खुशी ना मै  होंठो से नही हंस सकता
जब दिल में कोई दर्द ना हो आँखों से नही रोया जाता
तकलीफ  मुझे पल पल दे कर  तुमने चाहा कि  खुशी मिले
अजी आम अगर खाने हो तो बबूल नही बोया जाता
इक इक रिश्ते के मरने पर   इतना रोया  कि  मत पूछो
  अब किसी के  मर जाने   पर  क्यों मुझसे नही रोया  जाता
शीशे के घरों में रहते हो और पत्थर फेंकते हो मुझ पर
शुक्र करो की मुझसे अपना कंट्रोल नही खोया जाता
उतना ना सही कुछ काम ही सही है अब भी माल तेरे घर में
ऐसे में खुले दरवाजे रख बेफिक्र नही सोया जाता 

दो चार बूँद ही सही जो दे सके वो दे

 दो चार कदम ही सही कुछ दूर संग तो चल
ता उम्र यूँ भी किस ने दिया है किसी का साथ
 उंगली ही पकड़ इतना भी सहारा है बहुत
कम्बख्त कौन कहता है कि  थाम मेरा हाथ
इस कदर इक उम्र से प्यासे रहे है हम
कुँए को पास पा  के भी जगती नही है प्यास
दो चार बूँद ही सही  जो दे सके वो दे
मै  कहाँ कहता हूँ दे भर भर मुझे ग्लास
प्यासे की प्यास कम  रही या थी बहुत अधिक
उस प्यास का कैसे कोई कर पायेगा अहसास
 ओस की दो चार  बूंदे जीभ पर रख कर
प्यासे ना जब बुझाली अपनी उम्र भर की प्यास
हर एक को  देख कर भी नही देखता कम्बख्त
ना जाने कौन शख्स  की करता है दिल तलाश
सारे वफादारों से तो मिलवा चुका हूँ मै
लगता है किसी बेवफा की है इसे तलाश

सच तो ये है मेरी जानेमन तेरी हाँ हो जाने से डरते बहुत हैं

अंधेरो में रहने की आदत है हमको
उजाले में आने से डरते बहुत हो
तेरे आने से घर हो सकता था रोशन
 पर आँखे चौंधियाने से डरते बहुत हैं

जिसे भी दिखाए  उसीने कुरेदे
 जख्मों की अपनी यही दास्तान है
बेवजह नहीं जो किसी मेहरबाँ  को
 जख्म अब दिखाने से डरते बहुत हैं

अभी तक भी सब की ना ही सुनी थी
तेरी ना भी कोई अजूबा नही है
सच तो ये है  मेरी जानेमन
 तेरी हाँ हो जाने से डरते बहुत हैं

चाहा जिसे भी दिलो जां  से चाहा
बस इतनी सी गलती रही है हमारी
है चाहत की तुम को भी चाहें बहुत
पर गलती दोहराने से डरते बहुत हैं

राहों में मिलते हो तब पूछते हो
कैसे हो क्या हाल है आपका
कभी घर में आओ फुरसत से बैठो
 सुनाने को गम के फ़साने बहुत है

जब भी नशेमन बनाया है कोई
गिरी आसमां  से कई बिजलियाँ
जा है यूँ घर का मेरे तिनका तिनका
नया घर बसाने से डरते बहुत हैं
 


कोई तो कमी है तेरे प्यार में जो तेरे पास आने से डरते बहुत हैं

कभी प्यार खोया कभी यार खोया
रिश्ते या नाते सभी खो चुके हम
तुम्हे भी ना खो दे कहीं पाते पाते
इसी वजह पाने से डरते बहुत हैं
 
जिसे भी सिखाया कभी जीतना
हराने में मुझ को वही लग गया
हारा हूँ इतना कि  मत पूछिए
अब किसी को सिखाने से डरते बहुत हैं

हमसे दूरी तेरी सही जाती नही
और तू है कभी पास आती नही
तेरी नजदीकियों से क्या हासिल हुआ
किसी को नजदीक लाने से डरते बहुत हैं

इधर  के उधर के ना किस्से सुना
जो दिल में है तेरे वो खुल के बता
कोई तो कमी है तेरे प्यार में
जो तेरे पास आने से डरते बहुत हैं

थम सा गया है सफर प्यार का
हो सके तो इसे थोड़ी  रफ़्तार दे
काई जमती है पानी गर ठहरा रहे
वक्त ठहरा नहीं तुम क्यों ठहरे रहे
वक्त हो प्यार हो या कोई और शै
हम ठहरने ठहराने से डरते बहुत हैं



ये दवा या वो दवा इससे है पड़ता फर्क क्या

काम हो कैसे भी लेकिन काम होना चाहिए
ऐसे हो या वैसे दुनिया में  नाम होना चाहिए

ये दवा या वो दवा इससे है पड़ता फर्क क्या
मकसद तो है कि  दर्द में आराम होना चाहिए

जिंदगी की दौड़ में शामिल तो मै  हो जाऊँ  पर
मौत के सिवा कुछ और ही अंजाम होना चाहिए

किस तरह से पायी शोहरत क्योंकर हुए मशहूर तुम
कौन पूछता है इक बार नाम होना चाहिए

आदमी की क्या खुदा की भी नहीं सुनता मयकश
बस हाथ में उसके भरा  हुआ जाम होना चाहिए

हम दिल पे चोट खाने को तैयार है इक बार फिर
शर्त है यार के हाथ में बाम होंना चाहिए

बिकने को तैयार हैं दुनिया का हर इक शख्स ही
बस  चुकाने के लिए सही दाम होना चाहिए

गुजर गए वो जमाने  राम जब बसते  थे दिल में
अब तो छुरी बगल में जुबाँ  पे राम होना चाहिए 


कभी तू भी तो बेताब हो बाहों में आने के लिए

मौक़ा बे मौक़ा यार ने तोहफे हमे अक्सर दिए
ये और बात है कि  तोहफे में हमेशा गम दिए

प्यार कर सकता नही तो कम से कम  नफरत ही कर
कोई वजह तो चाहिए दुनिया में जीने के लिए

प्यार मुझसे है तो फिर  जुबान से क्यों  कहते नही
थोड़ी  तसल्ली तो मिले दिल को  धड़कने के लिए

अपना बनाने की तमन्ना जब हुई मुझ को हुई
कभी तू भी तो बेताब हो बाहों में आने के लिए

ख्वाहिशों के अंकुरित होने पे खुश ना होइए
ये पौध  होती है पनपते ही  मर जाने के लिए

मिट्टी खराब थी कभी मौसम खराब था
जब भी बीज बोया हमने बोया गंवाने के लिए 

हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

हम ने तो जिंदगी का रुख ही मोड़ दिया है
जाने खुदा अच्छा बुरा हमने क्या किया है

जिसे चाँद तारे तोड़ना हो तोड़ता रहे
हम ने तो चाँद देखना तक छोड़ दिया है

आदमी हो या खुदा सुनता किसी की है कहाँ
  सर झुका इन्हे सर चढ़ाना छोड़ दिया है

जिंदगी की राह में जितने भी बेवफा मिले
उनमे  तेरे एक नाम और जोड़ दिया है

अपनी कहे अपनी सुने अपने लिए जिए मरे
ऐसे  सनम से दिल लगाना छोड़ दिया है

हम किनारे पहुंचेगे या डूबेंगे मझधार में
ये फैंसला माझी ने तूफां  पे छोड़ दिया है


तुम मिली क्या मुझ को जीने की तमन्ना मिल गयी

तुम मिली क्या मुझ को जीने की तमन्ना मिल गयी
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो
 तुम से ही मुझ को मिले हैं जिंदगी के मायने
तुम ही मेरा वज़ूद हो तुम ही मेरी पहचान हो

गम की अंधेरी रात में जलता हुआ दीपक हो तुम
मेरे  सूने घर के दरवाज़े पे इक दस्तक हो तुम
सुनने  को आवाज़ जिसकी कान तरसते रहे
उन भाग्यशाली कदमो की आती हुई आहट हो तुम

मेरे हर अरमान का अब पहला पालना हो तुम
 और जवां अरमान के चेहरे की तुम मुस्कान हो
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो

सूर्य की पहली किरण सी मन की धरा पे तुम पड़ी
तुम ही हो मेरी धरा अब तुम ही आसमान हो
चाँद तुम सितारे तुम तुम ही चन्दा की चांदनी
तुम गुलाब तुम रजनीगंधा  तुम मेरा गुलस्तान  हो

ना गया मंदिर  कभी और ना ही की पूजा कभी
तुम ही हो गीता मेरी तुम ही मेरी कुरान  हो
तुम दिया हो अर्चना  का तुम ही थाली  आरती की
तुम ही हो पूजा मेरी तुम ही मेरा भगवान् हो

ना सिखाओ  अब मुझे धर्म क्या अधर्म क्या
तुम ही मेरा धर्म हो तुम ही मेरा ईमान हो
तुम ही मेरी जिंदगी हो तुम ही मेरे प्राण हो

तुम ही नदिया तुम ही कश्ती और किनारा भी हो तुम
मुझसे डूबते  को  तिनके का सहारा भी हो तुम
पार हुआ तो तुमसे मिलन  डूबा तो तुम से मिलन
डूबना अब पार उतरने से भी बेहतर हो गया

भोर भी तुम सुबह भी तुम शाम भी तुम रात भी तुम
 दिन की हकीकत भी हो तुम रातों का हो ख्वाब तुम
अब जिंदगी का  एक भी पल एसा तो बचा नहीं
तेरे  बारे जिस भी पल मैंने कुछ सोचा नहीं

कभी ख्याल बन के मेरे सामने खड़ी हो तुम
कभी हर एक सवाल का  दिखती  हो जवाब तुम
अब तेरे ख्यालो में दिन रात यूँ रहता हूँ गम
यहाँ वहां इधर उधर देखूं जिधर उधर हो तुम

लोग  कहते है कि  हर एक शै में है खुदा बसा
गलत कहते हैं हर  शै  में मुझ  को तो दिखती हो तुम
चन्दा की चांदनी में तुम सूरज की रोशनी में तुम
तारों की चमक में  भी तुम ही प्रकाश मान हो

कोई माने या ना माने पर ये सच है पूरा सच
हर शै में खुदा हो न हो पर तुम विराजमान हो
 तुम ही मंज़िल हो मेरी तुम ही मेरा रास्ता
छोड़ना न बीच राह तुमको खुदा का वास्ता

जिंदगी से तुम गयी तो सांस भी रुक जाएगी
ना भी रुकी तो जिंदगी एक ज़िंदा लाशः हो जाएगी
तुम से दूर रहने की अब सोचना मुमकिन नही
तुम ही दिल तुम ही धड़कन तुम ही मेरी जान हो
तुम ही मेरी जिंदगी तुम ही  मेरे प्राण हो

मिल गया कभी खुदा तो उससे पूँछूगा बता
क्या उसने मेरे साथ अन्याय ये नही किया
तुम्हे बनाके  मेरा सब कुछ  किसी और के  हाथ दे दिया
देख ली तेरी खुदाई वाह रे खुदा वाह रे खुदा













और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें

सर्दीयों की सर्द  राते,   सर्द रातें लम्बी रातें
और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें

सोच  कर कि  खुश हो तुम होंठों पे मुस्कान लाना
देखना ग़मगीन तो अक्सर भिगोना अपनी आंखे
बस एक ही बात सोचना क्या ठीक है तेरे लिए
और ना कभी सोचना क्या चाहिए खुद के लिए

ये बात तुझे होगी पसंद या ना आएगी पसंद
हर बात कई  कई बार दीवारों से कर के देखना
कल्पना में अक्सर तुझ को मुस्कराता देखना
 फिर धीरे धीरे तुझको अपनी ओर आता देखना

दामन बचा के पास से फिर गुज़र जाना तेरा
 और फिर जाते हुए वो मुड़  के तेरा देखना
और फिर किसी उम्मीद का मन में जग जाना मेरा
और कभी बिस्तर पे पड़ी सिलवटों को देखना

पर रस्ते में फिर तेरे पलके बिछा देना मेरा
अगली रात फिर तेरे आने का रस्ता  देखना
सोचना इस बार दामन शायद हाथ आये  तेरा
पर गैरों के हाथों में फिर दामन तुम्हारा देखना

मन ही  मन  फिर कस्मे खाना
अब नही तुझे याद करना अब नही तुझे याद आना
पर अगले ही दिन भूल जाना और फिर वही किस्सा दोहराना
सर्दियों की सर्द रातें
और अकेले बैठ कर खुद से करना तेरी बातें 







  

जो डरते हो कि कालिख ना लग जाये जरा भी

कत्ल करने का इरादा ही नहीं होता अगर
तो  आस्तीनों में खंजर छुपाया नही  करते

दर्द दिल जिन को छुपाना होता है तो वो
 आंसू के कतरे   आँख में लाया नही करते

 ज़िंदा हो तो ज़िंदा के जैसा जीना भी सीखो
मुर्दा मछली सा पानी के संग बह जाया नही करते

यहां   दर्द  किसी का  कोई भी बांटता  नही
 किस्से की तरह हाल-ए -दिल सुनाया नही करते

जो  डरते हो कि  कालिख ना लग जाये जरा भी
वो  काजर की कोठरी में फिर जाया नही करते









दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक

घर का दरवाज़ा अब खटखटाता  नही कोई
शायद किसी को मेरी ज़रूरत नही रही

और दिल के दरवाज़े नही होती कोई दस्तक
मुझसे किसी को भी अब मोहब्बत  नही रही

सख़्तियों ने ही उसे पाला होगा शायद
उसकी जुबां  में अब जो  नजाकत नही रही

वो  छोड़ गया राह में तकलीफ तो हुई
आराम है कि साथ अब  आफत नही रही

कभी चाँद उतर कर नही आया मेरे अंगना
कुदरत के नियम तोड़ने  की ताकत नहीं रही

चाँद तो  धरती के चक्कर ही  लगाता रह गया
धरती को सूरज के इर्द गिर्द घूमने से फुरसत नही रही

अब ऐसा प्यार भी कहाँ  परवान चढ़ना था
 चाहा उसे जो  किसी और की चाहत बनी रही


Wednesday, March 15, 2017

फर्क रहा क्या ऎसी गर्ल फ्रेन्ड होने या ना होने में

अपनी जो होनी थी होली,   हो ली   हो ली  हो ली
जो थी कभी हमारी  वो अब और किसी की  हो ली
ले तोड़ दी हम ने सारी कसमे फिर ए  मेरे हमजोली
हर इक  गम को ताक पे रखके  हमने मना ली होली

तुझ को ही जब  भाने लगा है साथ कोई अनजाना
मिल ही जाएगा हमको भी अब कोई और  ठिकाना
जाने कब से खेल रही हो तुम मुझ से आँख मिचोली
हर इक गम को ताक  पे रखके  हमने  मना ली  होली

कल तक मेरा ही होने की खाती थी जो कसमे
आज उसे याद आने लगी है रीति रिवाज और रस्मे
खुशियों का वादा था भर दी गम से मेरी झोली
हर एक गम को ताक  पे रख के हमने मना ली होली

वैसे भी खुदग़रज़  लोग हैं कहाँ किसी के होते
जब तक मतलब रहता है बस तब तक रिश्ते ढोते
ऐसे लोगो की क्या परवाह मारो इनको गोली
हर इक  गम को ताक पे रखके   मैंने   मना ली होली

प्यार के रंग से बचने को जा छुपी है जो किसी कोने में
फर्क रहा क्या ऎसी गर्ल फ्रेन्ड होने या ना होने में
इतना प्यासा  रखा अब तो प्यास छूमन्तर  हो ली
हर इक  गम को ताक पे रखके हमने मना ली होली


झूठ मूठ का गले लगे लो मन गए सब त्यौहार

मुँह  देखे की यारी रह गयी मुंह देखे का प्यार
नाम के रह गए सारे रिश्ते बिखरे बिखरे परिवार

खून के रिश्ते पानी हो गए  मुंहबोले रिश्तों ने मुंह फेरा
पल पल रंग बदलता रिश्ता तेरा हो या मेरा

लेने वाला रिश्ता  हैं सब  रखने को तैयार
देने वाला रिश्ता सब को  लगने लगा है भार

रस्मी तौर पर मिली बधाई, बेमन से मिले उपहार
झूठ मूठ का  गले लगे, लो मन गए सब त्यौहार

दिल से अब जज्बात नही बस जुबां  से शब्द निकलते हैं
अब तो चमन में बिना महक के फूल ही अक्सर खिलते हैं

जो नही मिला है उसका गिला  जो मिला है उसको भूले
गिरा हुआ ही मानो उसे,  वो चाहे कितनी ऊंचाई  छू ले

तुम ही कहो फिर और कहाँ से दे तुमको भगवान्
दिया था जो भी,   कौन सा उसका मान लिया अहसान

मैं  तो अपनी कहता हूँ तू मान मेरी  ना  मान
जानवर से भी बदतर है जो भूल जाये अहसान


  

Friday, March 10, 2017

होना है आखिर वही , जो नियती को मंजूर है

किस मोड़ पर लाकर खड़ा किया है तूने ज़िंदगी
अपनी ज़मीन भी खो गयी और आसमाँ  भी दूर है

कसमसाने के सिवा कुछ और कर सकता नही
आदमी किस्मत के हाथों किस कदर मज़बूर है

इश्क के बाजार में कुछ तो मिला है हुस्न को
बेवज़ह कहाँ  हुस्न के  चेहरे पे आता नूर है

कसमसाता , फड़फड़ाता छटपटाता   रह गया
हालात के पिंजरे का पंछी किस तरह मज़बूर है

काम के बदले में काम और चीज़ के बदले में दाम
प्यार का नही ये तो व्यापार का दस्तूर है

कामयाबीया नही मिलती बिना नसीब के
अक्ल या  पैसा  तो सबके  पास ही  भरपूर है

जिंदगी की जब भी मैंने की  समीक्षा  पाया ये
ज़िन्दगी और  कुछ नही,  इक बेवफा सी हूर है

लाख कोशिशें तू कर लाख तू चक्कर चला
होना है आखिर वही , जो नियती को मंजूर  है


घर का दरवाज़ा कभी इतना खुला ना छोड़िये

कल तक थे अपने, आज  बेगाने नज़र आने लगे
चेहरे जाने पहचाने से ,अनजाने नज़र आने लगे

वक्त ने ली कैसी करवट देखते ही देखते
कभी ढूंढते थे जो हमें वो हम से कतराने लगे

 कुछ भी तो बदला नही पर कुछ तो बदला है ज़रूर
जिनको समझाते थे हम वो हम को समझाने लगे

आकाश सारा छाना न खाना न ठिकाना मिला
थक हार के परिन्दे  वापिस घर को है जाने लगे

धरती को  प्यासा रखने की  बादलों ने खायी है कसम
आसमान पे किस लिए  बादल   हैं फिर छाने लगे

पूछा वजह है क्या भला  ऐसा करने की हज़ूर
इधर उधर की बात कर वो मुझ को बहकाने लगे

मानने को मान भी लेता तेरी हर बात मैं
पर तुम तो उंगली के इशारों पे ही नचाने लगे

चाँद अब तो निकला  है पर जाने कब छुप जाएगा
नादान  बन कर क्यों दीया,  तुम घर का बुझाने लगे

वैसे भी तो  ऎसी महफ़िल से  हासिल क्या होना है
जिसका साकी बूँद  बूँद को भी तारसाने लगे

घर का दरवाज़ा कभी इतना खुला ना छोड़िये
दोस्ती की आड़  में दुश्मन ना घर आने  लगे

रस  के प्यासे भँवरे की बदनसीबी देखिये
फूलों की जगह चमन में  कांटे उग आने लगे

मैं तो मरीज़- ऐ- इश्क हूँ मेरा सकून तेरा इश्क था

धरती प्यासी रहनी है और बादल  को  बरसना ही  नही
तो आसमा पर फिर ये बादल छाये क्या ना छाये क्या

 ना दवा ना दुआ ना  करनी मरीज़ की सेवा 
हाल पूछने मेरा तुम आये क्या ना आये क्या

मैं  तो मरीज़ -ऐ-  इश्क हूँ मेरा सकून तेरा इश्क था
सामान ऐशो आराम के तुम लाये क्या ना लाये क्या

ज़िंदगी हमने  गुजार दी  सिर्फ अंधेरो में हज़ूर
अब कब्र पे मेरी दीये कोई जलाये क्या ना जलाये क्या

रातें  भी गुजरी अकेले,   दिन भी अकेले ही  कटे
अब जनाजे पर मेरे कोई आये क्या ना आये क्या

जब चाँद मिलना ही नही तो चाँद की तमन्ना  क्यों
जो चीज़ अपनी ही नही वो भाये  क्या ना भाये क्या



Sunday, January 29, 2017

उजाले की खातिर क्यों घर को जलाओ

लगता है मौसम बदलने लगा है
चमन में नए फूल खिलने लगे हैं
कलियों पे मुस्कान आने लगी है
फूलों पे भँवरे मचलने लगे है
जो बच के निकलते थे इस राह से
वो फिर इस तरफ से निकलने लगे है

फिजा में  अजब सी इक है  ताज़गी
पौधों पे नए पत्ते निकलने लगे है
चिड़िया अब फिर से चहकने  लगी हैं
 नशेमन नए फिर से बनने लगे है
बुलबुल नए गीत गाने लगी है
नए अरमा दिल में फिर पलने लगे है

डर है तो  बस अब इसी बात का है
कुछ सैयाद इस और चलने लगे है
हो सके तो चमन को अब इन से बचाओ
हिम्मत करो और इन को भगाओ

नशेमन तेरा अब उजड़ने ना पाये
जो बिजली गिराये तुम उन को गिराऔ
 है काफी दिया एक  यहाँ रोशनी को
उजाले की खातिर क्यों घर को जलाओ 

पहुँच किनारे भूल गए सब कैसी कश्ती मांझी कौन

तुमने  चुप्पी साध  ली  है तो मैं  भी अब हो चला  हूँ मौन
वक्त फैसला देगा इस खामोशी का अपराधी कौन

अंधेरो में तो कोई ना कोई दीया  जलाना ही पड़ता है
रात कटी  भोर हुई ,तो दीये  की परवाह करता कौन

जब तक है मझधार में कश्ती मांझी की जरूरत रहती है
पहुँच किनारे भूल गए सब कैसी कश्ती मांझी कौन

दुनिया का दस्तूर है  शायद हम को ही मालूम नही
फायदा नही तो कैसा  रिश्ता  तू  कौन और मैं हूँ कौन

माप दंड उपयोगिता  है  रिश्ता  किस से कितना रखना है
बूढ़े बैल को जोत के अपने खेत में हल चलवाता कौन 

रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला

अर्थहीन सी लगने लगी  है मुझ को हर एक बात
चाहे कोई अपना ले या  छोड़ दे मेरा साथ

किसे कहूँ दुनिया में अपना किसे पराया  मानु
रिश्ता दोनों का है  जब तक सिद्ध होता है स्वार्थ

तेज दिमाग से काम ले रहे तेज छुरी के जैसा
स्वार्थ की हर एक शख्स लगा कर बैठा हुआ है घात

बीज तो  अक्सर बोये  पर फसल नसीब में नही रही
जमीन कभी बंजर निकली कभी हुई नही बरसात

फ़ायदा और नुक्सान की गिनती कितनी ज्यादा सीख गए
ख़त्म हो गयी प्यार मोहब्बत , ख़तम हुए जज्बात

रिश्तों को जीने की जगह शतरंज का दर्जा दे डाला
चाल पे चाल लगे चलने,  किसीको शह  दी  किसीको मात

बेवफाई हो जिनकी फितरत उन्हें बदलना है हर हाल
और  बहाना  होता  है  अक्सर कि बदल गए हालात








अब तो छोड़ के जाने वाले, तेरी याद तलक नही आती है

जिंदगी जब भी कभी कोई दर्द लेके आती है
सीखे हुओं को भी नया कुछ ना कुछ सिखाती है

पहले दर्द बहुत होता था जब कोई छोड़ के जाता था
अब तो छोड़ के जाने वाले तेरी याद  तलक नही आती है

ना कोई उम्मीद ना खुशी ना दिया कभी होंसला
तू तो जब भी  मिलती है तकलीफ ही  दे के जाती है

पहले पछताया करती थी जब   गलती हो जाती  थी
अब तो गलती कर के दुनिया उल्टी और  इतराती  है

कभी मोहब्बत भी थी मुझसे अब तो सिर्फ शिकायत है
वाह री दुनिया इतनी देर में कितने रंग बदल जाती  है

ऐसा भी क्या प्यार में यारा अधिकार जताना साथी पे
उसे  सांस तलक नही लेने देती गला  घोंटती  जाती है

दिल  बड़ा मिला है  तो दिमाग वालो से बचो
अच्छे दिलवालो  का फ़ायदा दुनिया बहुत उठाती है

मुठ्ठीयों में कैद आसमां  करेंगे ख़ाक हम
अपनी मुठ्ठियों से रेत  तक तो फिसल जाती है





   

Saturday, January 14, 2017

इस दुनिया में कोई किसी से प्यार नही करता है

अपने लिए ही  जीता  हर कोई अपने लिए ही मरता है
इस दुनिया में कोई  किसी से  प्यार नही   करता है

 हर रिश्ते  की  उम्र  यहाँ पर तय जरूरत करती है
नही जरूरत  रहे तो रिश्ता इक दिन और ना चलता है

उसीसे मन का रिश्ता है उसीसे तन का नाता
जब तक जिसके  बिना  किसीका काम  नही सरता है

रही गर्ज    तो  यहाँ  गधे को  लोग बाप कहते हैं
 वरना अपने बाप स भी  कोई बात  नही करता है

झूठी कसमे झूठे  वादे और नकली व्यवहार सभी का
कहने को  इक दूजे से हर कोई प्यार बहुत करता है

हाथ पकड़ के चलने वाले हाथ छुड़ा के  चले गए
अपनी छड़ी के सिवा सहारा  कोई नही बनता  है

प्यार का दावा करने वाले वक्त है नींद से जाग ज़रा
सपना कितना भी लम्बा हो नही हकीकत बनता है

      

शायद हमें किसीसे मोहब्बत नहीं रही

शिकवा रहा ना कोई  शिकायत नही रही
 शायद हमें किसीसे  मोहब्बत  नहीं  रही

अच्छा हुआ  कुछ बोझ  अहसानो का कम हुआ
अब दोस्तों की हम पे  इनायत  नही रही

अच्छा हो ये ना पूछो  कि  तुम   लगते  हो कैसे  
हमें झूठ बोलने  की अब आदत नहीं  रही

चलने को साथ तेरे मै  चलता  तेरी  तरह
पर बेवफाई मेरी कभी    फितरत  नही रही

आज का सच कल  का झूठ परसों का है भरम
सच   झूठ जानने की अब  चाहत नही रही   

बेहतर  हो  तुम मेरे सिवा  किसी और को चाहे
चाहे हमे   कोई  ये अब  चाहत  नही रही

पहलू से जो उठते ना थे अब उनकी भी सुन लो
पहलू  में आके बैठे    उन्हें  फुरसत  नही रही
  

हम स्पेशल हैं तभी तक ही किसी के वास्ते

दूर तक  कोई  साथ   किसी  के नही चलता
रिश्ता  कोई  भी  देर तक  नहीं  अब  तो  संभलता

 हम   स्पेशल  हैं   तभी तक ही  किसी  के  वास्ते
दूसरा  बेहतर उसे जब तक नहीं मिलता

गेंदा  भी इतरा  के बालो में लगा लेती है हूर
गुलाब कहीं  से उसे  जब तक नहीं  मिलता

 क्यों  दिखाता फिर  रहा   सब  को अपना चाक दामन
 देख कर  हंस लेंगे  सब  , कोई  नहीं  सिलता  

उलझे धागे की तरह खुद में ही उलझे है लोग
 कभी गाँठ नही  खुलती  कभी  सिरा नहीं  मिलता

काम  क्या आएगा  किसीके    वो  शख्स  तू  बता
अपनी ही उलझनों से   वक्त  जिसको नहीं मिलता

अच्छा तो लगता  है चाँद  पर दूरी के अहसास से
हिम्मत भी नही होती दिल भी नहीं मचलता

कहने  को जीता मरता है वो शख्स  मेरे वास्ते
मिलने का वक्त भी जिसे  अक्सर नही मिलता     

Saturday, December 24, 2016

हम खोटे सिक्को का वज़न बेवज़ह उठाते रहे

इस से रिश्ता उस से नाता तहेदिल से निभाते रहे
हम खोटे सिक्को का वज़न बेवज़ह उठाते रहे

ज़िन्दगी की गाड़ी  थी , अकेले ही चलती रही
सवारी की तरह दोस्त थे आते रहे जाते रहे

एक तुम ही थे हमें  जिससे  कुछ उम्मीद थी
तुम भी पर  तब तक चले जब तक हम चलाते रहे

घाव मैं  दिल के दिखाता भी तो दिखलाता किसे
सब के सब   हाथो में नश्तर और नमक लाते रहे

एक हम थे अपना घर फूँका कि हो कुछ रौशनी
एक वो थे हाथ सेंक अपने  घर जाते  रहे

ना रही अब जिस्म में ताकत ना पैसा जेब में
बारी बारी पल्ला सब बहाने से छुड़ाते रहे

हीरे  मोती  से तेरा दामन था भर सकता मगर
तुम क्यों  कंकर पथ्थरो  से जी को बहलाते रहे

आज भी   आदम का  बच्चा  उतना ही  नासमझ है
 लाखों  रहनुमा भले    इसको  समझाते रहे