Friday, June 4, 2021

भाग्य दुर्भाग्य या संयोग

                    पूर्व रचित या पूर्व लिखित या पूर्व निश्चित भाग्य नही होता  इसे ज्यादातर वो लोग मानते है जो या तो अपने द्वारा किये गए कामों की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते या फिर कारण और परिणाम ( Cause and  Effect)  सम्बन्ध ठीक से नहीं समझ पाते.!

                     हमारे जीवन में दिन रात कई  प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं ! इनमे से बहुत सी घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नही होता या काफी नियत्रण  नही होता ! हम प्रकृति का अंशमात्र हैं और इसलिए उस पर हमारा नियंत्रण भी उससे अधिक नहीं हो सकता परन्तु ऐसा नही कि ये घटनाएं  बिना किसी cause and effect के होती है प्रकृति में भी कुछ भी बिना कारण  नही होता ! किसी भी काम के नतीजे  के पीछे बहुत सारे Factors काम कर रहे होते है किसी एक Factor पर निर्भर नहीं होता !  हमारी समझ आ गया तो विज्ञान, नही आया तो भाग्य या दुर्भाग्य ! कुछ लोग इसे ही भगवान् का प्रसाद या भगवान् की इच्छा मान लेते है ! Factors ढूंढो Factors ! फैक्टर्स बदलोगे तो Product स्वयं ही बदलेगा!   

                        इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि  हमें उन घटनाओं  का परिणाम भी भुगतना पड़ता है जो हमारे द्वारा  इच्छानुसार या योग्यता अनुसार किये गए कामों के परिणाम स्वरुप नही होती ! ये  भी सत्य है कि कुछ लोगो के साथ अच्छा ही अच्छा और कुछ के साथ बुरा ही बुरा होता है y !होती तो ये भी किसी न किसी कारण से ही है परन्तु इंसान की बुद्धि सीमित  है और इसे पूर्ण रूप से  समझने में नाकाफी साबित होती है ! अधिक से अधिक आप इसे संयोग का नाम दे सकते हैं! पूर्व रचित या पूर्व लिखित भाग्य तो कदापि नहीं !

                         हमारे जीवन में  संयोग अक्सर होते रहते हैं कुछ सुखद और कुछ दुखद परन्तु सुखद का सेहरा हम अपने सर बांधते है और दुखद को अपना भाग्य  मान कर संतोष कर लेते है ! वास्तव में मनुष्य योनी कर्म योनी के साथ साथ भोग योनी भी है उसे अपने कर्मों का फल स्वयं तो भोगना ही  है उसके कर्मो का फल उस कर्म फल की सीमा में आने वाले  अन्य व्यक्तियों को भी भोगना पड़ता है इसी प्रकार दूसरों के कर्मफल की सीमा में जिस हद तक वो स्वयं आता है उसे भी भोगना पड़ता है ! उसके हित हुआ तो भाग्याश्हाली उसके अहित में हुआ तो भाग्यहीन! अर्थात भाग्य या दुर्भाग्य का फैंसला काम का फल मिलने के बाद निश्चित होता है न कि पहले! तो कहाँ हुआ पूर्व रचित भाग्य ! 

                          भगवान् द्वारा अगर सब कुछ पहले से ही निश्चित हो तो फिर इंसान अपने या दूसरों के कर्मो का फल कैसे भोगेगा फिर तो प्रकृति  में सब कुछ पहले से ही निश्चित हो गया तो नियम कहाँ रहे और प्रकृति  तो अपने  नियमो से ही चल रही है प्रकृति में सब कुछ cause and effect के रिलेशन से चल रहा आप cause के घटक बदलिए फिर देखिये effect अपने आप बदलेगा ! भगवान को या प्रकृति को दोष देना !उचित नहीं है !न ही अपने भाग्य या दुर्भाग्य को कोसने की ज़रूरत है  !

                          Effect अच्छा चाहिए तो घटक अच्छे  बदलो और फिर कमाल देखो !बबूल के पेड़ पर कांटे ही तो लगेगे आम तो आने से रहे आम चाहिए तो आम बोवो ना भाई ! पूजा पाठ  जंतर मन्त्र जादू टोना कर    के क्या होगा ! ज्योतिषी को अपना भविष्य तो पता नहीं तेरा क्या बतायेगा ! जब कुछ पूर्व रचित या पूर्व लिखित  भाग्य है ही नहीं तो वो बेचारा क्या भविष्य  बतायेगा! हाँ तुम्हे बेवकूफ बनाकर पैसे ज़रूर ठग लेगा.

                          अपनी कमियों का दोष भगवान् पर या प्रकृति के सिरपर मत डालो अपनी गलती को सुधारों. गलती समझने  और सुधारने में कभी देर नहीं होती ! जब जागो तभी सवेरा 

                          

                           अपने कर्मों का होश नही और पत्थर  पूजते फिरते हो 

                           कभी मंदिर माथा रगड़ते हो कभी बाबा के पाँव जा पड़ते हो 

न  तो है कोई पिछला जन्म न  ही होना है अगला जन्म                           

ये सारे  तौर तरीके  है तुम्हे  बेवकूफ बनाने के                    


                                 ये जन्म अपना बर्बाद ना कर  उलटी सीधी भक्ति ना कर 

                                  नहीं  तुम्हे रब मिलना  है यूँ उलटे रस्ते जाने से  

  कभी बैठ अकेले सोचा करो कि खुद से गलती कहाँ हुई 

   क्या हासिल होना है यारा सच से मुहं छुपाने से   

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