Thursday, June 3, 2021

मेरा मानना है कि

                  जीवन मे यदि कोई एक सोच या विचार आपको  दु खो या बीमारियों से बचाता है तो वो है सादगी परन्तु सादगी का अर्थ  मैला कुचैला ,गंदा या फिर लापरवाही से जीना नहीं अपितु स्वालम्बी बन कर,अनुशाषित जीवन जीने से है. अपना काम स्वयं करने से है ,दूसरों पर कम से कम आश्रित रहने से है. सादगी का अर्थ अपनी आवश्यकता अनुसार ही सामान खरीदने और उपयोग करने से है ना कि विज्ञापनों या प्रायोजित लेखों के प्रभाव  में  आकर अकारण शौपिंग करने और अनावश्यक सामान इकठ्ठा करने से है . 

                    किसी भी वस्तु  को  खरीदते समय प्राय लोग ध्यान ही नही करते कि अमुक वस्तु वास्तव में उनकी आवश्यकता है भी या नहीं. वो केवल इस लिए खरीदते  है की . किसी और के पास वो  सामन है या किसी पर रौब डालने के लिए या फिर दुसरे क्या कहेंगे  इसलिए .  कोई सामान  इस तरह खरीदना यदि मूर्खता न भी कही जाए तो भी पैसे को ठिकाने लगाने के अतिरिक्त तो कुछ नहीं कहा जाएगा. .तो सोचो आपके पास इतना अनाप शाप पैसा है क्या ?   ना केवल ये अपितु आवशयकता से अधिक मात्र में सामान खरीदना और संग्रह करना भी अनेक समस्याओं  का कारण बनता है और उसे भी सादगी नहीं कहा जा सकता 

                  हो सकता है कुछ लोग आपको कंजूस कहने लगें . परवाह मत करो क्योंकि  कंजूसी के भले लाख अवगुण हो परन्तु गुणों की संख्या उस से कुछ ज्यादा ही है.बस इतना ध्यान रखो कंजूसी का अर्थ भी आवश्यक खर्चो से बचना नहीं है अपितु अनावश्यक  खर्चो को समाप्त करना है. हो ये भी सकता है कुछ अछे दोस्त या कुछ  खर्चीले अपने आप का साथ छोड़ दे परन्तु ये तो निश्चित है कि स्वार्थी ,,अवसरवादी और परजीवी प्रकार के लोगो से आप की जान अवश्य  छूट   .जायेगी . कंजूसी के कारण आप अंत छंट नही खायेंगे तो बीमार भी कम पड़ेंगे . आप तो जानते ही है कम खाने से लोग बीमार नहीं पड़ते अपितु अधिक या गलत खाने से बीमार पड़ते है तो हुए न कंजूसी के फायदे . और कंजूसी  सादगी का जीवन जीने में काफी हद तक सहायता करती है .

                       अनुभव ये बताता है कि इंसान सुविधाओं को जुटाने के चक्कर  में  नाना प्रकार की असुविधाओं को जन्म देता है.अधिक पैसा आखिर किस काम आता है गलत खान पान पर, बीमारी पर, मुकदमो पर या शादी ब्याह के आडम्बरों पर .आप ठीक खायेंगे तो बीमार भी तो कम पड़ेंगे सारे काम सादगी से भी तो हो सकते हैं लेकिन नहीं जनाब  जो  इंसान अपने को अच्छे  कामों में आगे साबित नहीं कर पाता वो इन ओछे कामों में आगे  बढ़कर अपने अहम् को पूरा करता है और कुछ नहीं. . और इस प्रकार कई व्यसनों का शिकार हो जाता है व्यसन बिमारी को जनम देते है और फिर असमय मृत्यु और खेल ख़त्म .

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