Thursday, July 10, 2008

बोलो या ना बोलो तुम पर अपने मन को टटोलो तुम

बोलो या ना बोलो तुम
 पर अपने मन को टटोलो तुम
आजादी के इन वर्षों मे क्या खोया है क्या पाया है
 अब तो सब मे होड लगी है जीवन स्तर ऊंचा हो जाये
 बस पैसा ही पैसा आये चाहे मर्जी जैसा आये
माल पराया हडप के आये हक किसी का झड़प के आये
 रिश्वत्खोरी से वो आये टैक्स की चोरी से वो आये
बस पैसा ही पैसा आये कुछ फर्क नहीं वो कैसा आये
सच की राह पे चलने वाले लिये नंगे पांव मे छाले
 विनती कर कर पूछ रहे है बोलो या ना बोलो तुम ………॥
 परिवार हमारे टूट रहे हैं रिश्ते नाते छूट रहे है
हम को पैदा करने वाले वृद्ध आश्रम ढूंढ रहे हैं
सब जग जीते तुम से हारे बूढे और लाचार तुम्हारे
 माँ बाप ये तुम से पूछ रहें हैं बोलो या ना बोलो तुम्………।
 वर्षों तक भी समय नही मिलता अपनो से मिलने का
 लेकिन वक्त बहुत बचत है टीवी से नहीं हिलने का
 दूर गाँव मे बैथे अपने , लिये तुम से मिलने के सपने
 चिठठी लिख लिख पूछ रहे है बोलो या न बोलो तुम् ………।
 हया खो गयी शर्म खो गयी धर्म खो गया कर्म खो गया
ऐसी चली हवा पश्चिमी सारा भारत पश्चिम हो गया
अब पूरव से उगता सूरज निस दिन तुम से पूछा करेगा
बोलो या ना बोलो तुम पर अपने मन को टटोलो तुम
 अजादी के इन वषों मे क्या खोया है क्या पाया है

Tuesday, July 8, 2008

बोलो या ना बोलो तुम पर अपने मन को टटोलो तुम

बोलो या ना बोलो तुम पर अपने मन को टटोलो तुम आजादी के इन वर्षों मे क्या खोया है क्या पाया है अब तो सब मे होड लगी है जीवन स्तर ऊंचा हो जाये बस पैसा ही पैसा आये चाहे मर्जी जैसा आये माल पराया हडप के आये हक किसी का झड़प के आये रिश्वत्खोरी से वो आये टैक्स की चोरी से वो आये बस पैसा ही पैसा आये कुछ फर्क नहीं वो कैसा आये सच की राह पे चलने वाले लिये नंगे पांव मे छाले विनती कर कर पूछ रहे है बोलो या ना बोलो तुम ………॥ परिवार हमारे टूट रहे हैं रिश्ते नाते छूट रहे है हम को पैदा करने वाले वृद्ध आश्रम ढूंढ रहे हैं सब जग जीते तुम से हारे बूढे और लाचार तुम्हारे माँ बाप ये तुम से पूछ रहें हैं बोलो या ना बोलो तुम्………। वर्षों तक भी समय नही मिलता अपनो से मिलने का लेकिन वक्त बहुत बचत है टीवी से नहीं हिलने का दूर गाँव मे बैथे अपने , लिये तुम से मिलने के सपने चिठठी लिख लिख पूछ रहे है बोलो या न बोलो तुम् ………। हया खो गयी शर्म खो गयी धर्म खो गया कर्म खो गया ऐसी चली हवा पश्चिमी सारा भारत पश्चिम हो गया अब पूरव से उगता सूरज निस दिन तुम से पूछा करेगा बोलो या ना बोलो तुम पर अपने मन को टटोलो तुम अजादी के इन वषों मे क्या खोया है क्या पाया है